स्थानीय दीवानी कचहरी में दलित चेतना के मसीहा और भारतीय सम्विधान के प्रमुख शिल्पी बाबा साहब भाीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती धूम धाम से मनाई गई जिसमें अधिवक्ताओं के अलावा कई समाजसेवी व बुद्धिजीवी भी शामिल हुए। इस अवसर पर कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए सिविल जज जूनियर डिवीजन फरेन्दा डाक्टर सुनील कुमार सिंह ने कहा कि बाबा साहब एक महान विधि वेत्ता , बौद्ध पुनरुत्थानवादी होने के साथ ही भारतीय सम्विधान के प्रमुख वास्तुकार भी रहे।एक दलित परिवार में जन्म लेकर विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर न केवल विदेश में शिक्षा ग्रहण किया वल्कि राजनीति , अर्थशास्त्र और कानून में डाक्टरेट की डिग्री हासिल किया।
उन्होंने कहा कि इवाल्युशन आफ प्राविन्शियल फाइनेन्स इन ब्रिटिश इन्डिया ,प्राब्लेम्स आफ द रूपी तथा थाट्स आन पाकिस्तान आदि बाबा साहब के द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तकें हैं जो बाबा साहब के बहु आयामी व्यक्तित्व की परिचायक हैं। वे हिन्दू समुदाय में प्रचलित अस्पृश्यता और दलितों के साथ अमानवीय व्यवहार के ही धुर विरोधी नहीं रहे वल्कि इस्लाम और दक्षिण एशिया में उसकी रीतियों खासकर बाल विवाह और बहु विवाह के कारण महिलाओं के साथ होने वाले दुव्र्यवहार के मुखर आलोचक रहे। बाबा साहब की विद्वत्ता के कारण ही उन्हें सम्विधान निर्मात्री समिति का अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने भारतीय सम्विधान के निर्माण में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई। श्री सिंह ने कहा कि बाबा साहब ने पाकिस्तान की मांग का ही विरोध नहीं किया था वल्कि वे भारतीय सम्विधान में धारा 370 के जरिए कश्मीर को विशोष दर्जा दिए जाने के भी खिलाफ रहे।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि भन्ते धम्म प्रिय ने लोगों को सम्बोधत करते हुए भगवान बुद्ध के पंचशील सिद्धान्त पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि ए सभी के लिए हें और इन नियमों का पालन करके कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। उन्होंने बाबा साहब को महामानव की संज्ञा दिया और उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर ही उन्हें सही मायने में श्रद्धा सुमन अर्पित किया जा सकता है। अधिवक्ता डी एन चतुर्वेदी ने कहा कि उन्नीसवीं सदी का उत्तरार्ध कई महान विभूतियों के जन्म का साक्षी रहा। इन्हीं में एक बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर भी रहे। हिन्दू समाज में दलितों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार से दुखी बाबा साहब ने दलितों को अपने हक के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने के लिए दलित चमतना को जागृत करने में उनकी भूमिका उन्हें सही मायने में दलितों का मसीहा बना दिया।
अधिवक्ता ओ पी पाण्डेय , रवीन्द्रनाथ उपाध्याय , मुकेश सिन्हा , जदयू नेता विजय सिंह एडवोकेट , प्रेम सिंह , अशोक कुमार पाण्डेय , मुहम्मद हई , श्रीपति प्रसाद , संग्राम प्रसाद , बन क्षेत्राधिकारी फरेन्दा रामदेव आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए और बाबा साहब के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। इससे पूर्व बौद्ध भिक्षु भन्ते धम्म प्रिय की अगुआई में भगवान बुद्ध और बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण के बाद केक काटकर बाबा साहब का 125वां जन्म दिन मनाया गया। इस अवसर पर सुधेश मोहन श्रीवास्तव,शैलेन्द्र श्रीवास्तव , सुधाकर पाण्डेय,रामजीत प्रसाद , प्रदीप मौर्य, शम्भू , अनिल कुमार , राजेश यादव, अरविन्द उपाध्याय सहित भारी संख्या में अधिवक्ता व न्यायस कर्मी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शम्भू यादव के द्वारा किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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