कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी एवं उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी की मंशा के अनुरूप किसानों के हितों के लिए पूर्ववती केन्द्र की डाॅ0 मनमोहन सिंह सरकार द्वारा बहुत पुराने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करके बनाये गये वर्ष 2013 के कानून में वर्तमान केन्द्र की भाजपानीत मोदी सरकार द्वारा अपने निजी स्वार्थवश पूंजीपतियों एवं औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने की नीयत से किसान विरोधी लाये गये भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के विरोध में अ0भा0 कंाग्रेस कमेटी द्वारा आगामी 19अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित विशाल किसान रैली में उत्तर प्रदेश के अधिक से अधिक किसान भाग लेंगे।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री, पूर्व सांसद ने कहा कि दिल्ली में आयोजित किसान रैली में अधिकाधिक संख्या में उ0प्र0 के किसानों एवं आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के परिप्रेक्ष्य में उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी द्वारा प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पदयात्रा के माध्यम से जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। उन्होने कहा कि 2013 में यूपीए सरकार द्वारा बनाये गये भूमि अधिग्रहण कानून में यह प्रावधानित किया गया था कि- 1. किसी भी भूमि के अधिग्रहण का सामाजिक प्रभाव आंकलन छः माह के भीतर किया जायेगा। क्योंकि सामाजिक प्रभाव आंकलन इसलिए महत्वपूर्ण है कि प्रस्तावित अधिग्रहण का लोक प्रयोजन स्पष्टतया स्थापित हो, घोषित लोक प्रयोजन के सिवाय किसी दूसरे काम के लिए अधिग्रहीत भूमि का प्रयोग न हो, वास्तविक जरूरत से ज्यादा भूमि अधिग्रहीत न की जाय, बहु फसली सिंचित भूमि का अधिग्रहण केवल अन्तिम विकल्प के तौर पर हो, आजीविका से वंचित होने वाले तथा मुआवजे के अन्य लाभार्थी चिन्हित किये जा सकें। वर्तमान भाजपा सरकार ने यह प्राविधान पूरी तरह हटा दिया है जो किसानों के साथ अन्याय है, 2. निजी कम्पनियों के लिए 80 फीसदी और पीपीपी परियोजनाओं के लिए 70 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी थी, जिसे अब हटाया जा रहा है। 3. औद्योगिक कारीडोर के लिए ही भूमि अधिग्रहण होना चाहिए, लेकिन नये अध्यादेश में कारीडोर के दोनों तरफ एक-एक किलोमीटर का अधिग्रहण करना किसानों के साथ अन्याय है। 4. जिन किसानों की जमीनें 1894 के अधिनियम के तहत अधिग्रहीत की गयीं और जिन्होने मुआवजे स्वीकार नहीं किये या जिनकी जमीनों पर कब्जा नहीं किया गया है उन्हें भी बढ़े हुए मुआवजे मिलेंगे, इस प्रावधान में संशोधन करके तथा एक और शर्त जोड़कर भाजपा सरकार ने उन लाखों किसानों को मुआवजे के अयोग्य ठहरा दिया है, जिन्हें 2013 के कानून के तहत बढ़े हुए लाभ प्राप्त होते। इस प्रक्रिया में वर्तमान केन्द्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसलों के भी विरूद्ध गयी हैं। 5. अप्रयुक्त जमीन किसान को पांच साल बाद लौटा दी जानी चाहिए। वर्तमान अध्यादेश में अब व्यवस्था कर दी है कि अधिग्रहीता जब तक मन चाहे जमीन अपने पास ही रखे रहे, यह सरासर किसानों के हितों के विरूद्ध है। केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को कंाग्रेस पार्टी कभी भी स्वीकार नहीं करेगी और किसानों के हितों के लिए संघर्ष करती रहेगी।
डाॅ0 खत्री ने उ0प्र0 में हुए बेमौसम अतिवृष्टि एवं ओलावृष्टि से फसलों के पूरी तरह बर्बाद होने से किसानों द्वारा की गयी आत्महत्याएं एवं सदमों से हुई मौतों पर शोक व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि अविलम्ब पूरे प्रदेश में किसानों के कर्ज माफ किये जायें, सरकारी एवं सहकारी ऋणों की वसूली पर तुरन्त रोक लगाने के साथ ही किसानों की नष्ट हुई फसलों का अधिक से अधिक मुआवजा यथाशीघ्र किसानों को प्रदान करते हुए जिन किसानों के परिवारों में मौतें हुई हैं उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिये जाने की मांग की है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने बताया कि दिल्ली के रामलीला मैदान में आगामी 19अप्रैल को होने वाली विशाल किसान रैली की तैयारी के सिलसिले में कल दिनांक 13 अप्रैल से 17 अप्रैल तक अखिल भारतीय कंाग्रेस कमेटी के महासचिव-प्रभारी उ0प्र0 श्री मधुसूदन मिस्त्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री दिल्ली के नजदीकी पश्चिमी उ0प्र0 के विभिन्न जिलों का दौरा करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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