दीवानी न्यायालयों में बढ़ते मुकदमों के बोझ के बीच लोक अदालतें वरदान साबित हो रही हैं, इससे जहां लबे अरसे तक दीवानी कचेहरी के चPर लगाने से तो लोगों को मुक्ति मिल ही रही है, वहीं आपसी सौहार्दपूर्ण माहौल में मामलों का निपटारा भी हो रहा है।
दीवानी न्यायालय में आयोजित एक लोक अदालत में जरिये सुलह समझौते से 83भ् वादों का निस्तारण किया गया, जिसमें सर्वाधिक 710 वाद फौजदारी के शामिल हैं। जो आम घटनाओं में रंजिश का कारण बनती देखी जाती हैं। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वह क्षण था, जब इस अदालत ने आठ ऐसे जोड़ों को बिछुड़ने एवं उनके परिवारों को बिखरने से बचाते हुए उन्हें हंसी-खुशी पुनज् साथ रहने का संकल्प दिला कर बिदा किया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सिविल जज महेन्द्र सिंह ने बताया कि दीवानी में लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें अलग-अलग न्यायालयों के माध्यम से 83भ् वादों का निस्तारण हुआ। इसमें दो वाद क्लेम पेटीशन, 8 वाद वैवाहिक, 21 वाद उत्तराधिकार, 94 वाद राजस्व व 710 वाद फौजदारी के निस्तारित किये गए।
श्री सिंह ने बताया कि वादों के निस्तारण से एक लाख सात हजार पांच सौ रूपये की क्षतिपूर्ति एवं पैतालिस हजार तीन सौ पैसठ रूपये का अर्थदण्ड वसूला गया। उत्तराधिकार वादों के निस्तारण में 2भ् लाख 97 हजार 777 रूपये का अधिकार प्रमाण पत्र जारी किया गया। प्रथम अपर जिला न्यायाधीश राम कुमार ने एक क्लेम पेटीशन व 8 वैवाहिक वादों का अकेले निस्तारण किया। लोक अदालत की अध्यक्षता जिला न्यायाधीश वृजेन्द्र पाल सिंह ने की। इस लोक अदालत में जिला प्रशासन की ओर से उपजिलाधिकारियों ने भी अपने-अपने न्यायालय में वादों का निस्तारण किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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