भारत कृषि प्रधान देश है। किसी भी देश की उन्नती बिना किसानो के नही हो सकती। देश मे 70 प्रतिशत जनता कृषि व्यवसाय से जुडी है। केन्द्र सरकार नए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाई हैै। जिससे किसानो की सहमती का अधिकार छीन लिया गया है सरकार कौडियो के दाम पर किसानो की जमीन सरकार अधिग्रहीत कर लेगी किसानो का एक मात्र आय का जरिया भूमि खेत ही हैं। केन्द्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को इतना कठोर बना दिया है जिसमे किसानो की सहमती का अधिकार को पूर्णतः समाप्त कर दिया है किसानो की फसली उपजाउ जमीन को अब सरकार ले सकती है। जिससे किसानो में असंतोष फैल गया है। केन्द्र सरकार किसानो की घोर उपेक्षा कर रही है एैसे मे देश का किसान राष्ट्रपति महोदय आप से न्याय की उम्मीद लगाये है।
किसान मंच यह मांग करता है कि-
1Û कि आज तक जितनी भी भूमि का अधिग्रहण हुआ उस जमीन मुआवजा दिया जायअ।
2Û किसानो की यदि जमीन अधिग्रहीत की जाये तो उनकी मर्जी के बिना यानि सहमती का
अधिकार किसानो के पास सुरक्षित रहे।
3Û महोदय किसानो की भूमि पर बिजली घर लगे लेकिन किसानो के यहा बिजली नही
पहुची।
4Û अस्पताल बने लेकिन किसानो का इलाज उन अस्पतालो पर नही हो सका।
5Û विद्यालयो का र्निमाण हुआ लेकिन किसानो के बच्चे विद्यालयो से शिक्षा नही ले सके।
6Û आप को यह जानकर हैरत होगी कि जिस जमीन पर संसद बनी उन किसानो को आज तक मुआवजा नही दिया गया। इतना ही नही किसानो पर गोली चलाई गई जिसमे 33 किसानो की मौत भी हुई।
7Û हम शहीदो को सम्मान देते है उनकी पुण्यतिथि मनाते है इस अध्यादेश का विरोध शहीदे आजम भगत सिह ने भी किया था। उस वक्त जब उन्हे फांसी की सजा सुनाई गयी थी तब वह जेल मे थे। तब उन्होने कहा था कि इस कानून से अत्याचारी कोई कानून नही है।
8Û महोदय यह कानून किसान विरोधी है इसे हर हाल मे बदला जाना चाहिये।
प्रस्ताव-
किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित आज प्रदेश कार्यालय में केन्द्र सरकार के नए भूमि अध्यादेश के ज्ञापन का प्रस्ताव रखा। इसे सर्व सम्मति से प्रदेश प्रवक्ता एस० कुमार ने प्रस्ताव का सर्मथन किया। वही किसान मंच के सीतापुर के शरद मिश्रा जिला प्रवक्ता लखीमपुर, बबलू सिह जिला संयोजक, पीलीभीत विश्व जीत सिह जिला संयोजक व योगेनद्र त्र्रिपाठी प्रदेश सचिव समेत सैकडो कार्यकर्ताओ ने ज्ञापन का समर्थन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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