बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) उत्तर प्रदेश यूनिट के विभिन्न स्तर के छोटे-बड़े प्रमुख पदाधिकारियों व जि़म्मेवार लोगों की आज यहाँ पार्टी के प्रदेश कार्यलय 12, माल एवेन्यू में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें विशेषकर केन्द्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार व उत्तर प्रदेश में सपा सरकार द्वारा सर्वसमाज के प्रति ’’घोर किसान-विरोधी व जन-विरोधी’’ नीति अपनाने के साथ-साथ दलितों, अन्य पिछड़े वर्गों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति ’’गलत नीति व कार्यकलापों’’ पर काफी विस्तार से चर्चा हुई और इन सबके विरोध में, लोगों में हर स्तर पर व्यापक जन-आक्रोश का विस्तार से उल्लेख किया गया। इस बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी स्वयं मौजूद थी।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आये बी.एस.पी. के जिम्मेवार लोगों ने आज की बैठक के दौरान पार्टी प्रमुख सुश्री मायावती जी को पार्टी संगठन की तैयारी, सर्वसमाज में जनाधार को बढ़ाने के कार्य की प्रगति रिपोर्ट के साथ-साथ अपने-अपने क्षेत्र की ताजा राजनीतिक स्थिति का विस्तृत ब्योरा रखते हुये बताया कि खासकर नये भूमि अधिग्रहण कानून-2013 में किसान-विरोधी संशोधन करने के केन्द्र सरकार के ’’गलत, अडि़यल व अहंकारी रवैये’’ के कारण आमजनता में भी काफी ज्यादा नाराजगी व आक्रोश है। किसान समाज के लोग इस बात से भी आक्रोशित हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार जबरन जमीन अधिग्रहण के मामले में अंग्रेजों से भी ज्यादा खराब रवैया अपनाने में तुली हुई है। इससे वे अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। साथ ही, क्षेत्र के खेतिहर मजदूर भी चिन्तित हैं कि स्थानीय स्तर पर उनकी रोटी-रोजी का क्या होगा?
बी.एस.पी. का मानना है कि किसान समाज अगर अपने भारत देश की रीढ़ है तो किसान की भूमि व खेत उसे आत्म-सम्मान व आत्म-सुरक्षा प्रदान करते हैं, परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी सरकार सन् 2013 में सर्वसम्मति से बनाये गये भूमि अधिग्रहण व पूनर्वास कानून को, किसानों के हितों की अनदेखी करके, उसे बदलने पर इस हद तक तुली हुई है कि उसके लिये बार-बार ’’अध्यादेश’’ तक ला रही है। इस प्रकार मुट्ठीभर पूंजीपतियों, धन्नासेठों व कारपोरेट जगत को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिये पी.एम. श्री नरेन्द्र मोदी केन्द्र सरकार की पूरी शक्ति व संसाधन का गलत इस्तेमाल करने पर तुले हुये हैं।
बैठक को सम्बोधित करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहाकि किसान समाज और उससे जुड़े लाखों किसान मजदूर हमेशा से ही असंगठित रहे हैं, जिस कारण देश की आजादी के बाद की विभिन्न विरोधी पार्टियों की सरकारों के शासनकाल में इनका लगातार शोषण होता रहा है। परन्तु सन् 2013 में अन्ततः किसानों के हित में सुधार करते हुये नया भूमि अधिग्रहण कानून लाया गया, जिसमें काफी कुछ उत्तर प्रदेश बी.एस.पी. सरकार द्वारा सन् 2011 में बनाये गये कानून के प्रावधानों, जैसे 70 प्रतिशत किसानों से सहमति के आधार पर ही पी.पी.पी. माडल पर आधारित परियोजनाओं के लिये भूमि का अधिग्रहण, विशिष्ट परिस्थितियों में ही भूमि का सरकार द्वारा अधिग्रहण, अधिग्रहित भूमि का पांच साल तक इस्तेमाल नहीं होने पर जमीन की किसानों को वापसी आदि, को शामिल किया गया। किन्तु उन सभी किसान हितैषी सुधारों को श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने हटाने का घोर किसान-विरोधी काम कर रही है। इससे देश का किसान अन्याय व शोषण के पुराने दौर में, बल्कि आशंका है कि उससे भी बुरे दौर में कहीं ना चला जाये। उन्होंने ने कहाकि सम्पत्ति का अधिकार सभी के पास है, परन्तु केन्द्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार केवल किसानों को इस अधिकार से वंचित रखना चाहती है। किसानों से भूमि खरीदने के बजाये उनसे भूमि जबरन छीनने की व्यवस्था की जा रही है।
इतना ही नहीं अभी हाल की बेमौसमी बरसात व ओलावृष्टि के कारण खासकर उत्तर प्रदेश के किसानों को भारी तबाही का सामना करना पड़ है, परन्तु केन्द्र व प्रदेश की सपा सरकार केवल कागजी कार्रवाई में ही लिप्त है, जबकि किसानों को फौरी राहत पहँुचाने की जरूरत है। सरकारी सहायता के अभाव में किसान कहीं सदमे से भरे हैं तो कहीं आत्महत्या कर रहे हैं। यह एक अत्यन्त दुःखद ही स्थिति है।
इसके अलावा, किसी भी सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर अमली जामा पहनाने का असली दायित्व हर राज्य की राज्य सरकार को होता है। परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने अब जो नई नीति अपनायी है उससे उत्तर प्रदेश व बिहार सहित कई पिछड़े राज्यों का केन्द्रीय अंश कम कर देने से उन प्रदेशों की गरीब आमजनता काफी प्रभावित होगी। इस स्थिति से भी केन्द्र व उत्तर प्रदेश की सपा सरकार दोनों ही बेपरवाह नजर आती हैं।
और जहाँ तक उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के पिछले तीन वर्ष के ’’जंगलराज व अफरातफरी भरे’’ शासनकाल का मामला है तो इस बारे में बी.एस.पी. के लोगों ने बैठक में बताया कि पूरे प्रदेश में हर स्तर पर आमजनता की बदहाल होती जिन्दगी जग-जाहिर है। बद- से-बदतर होती अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाना सपा सरकार की कभी भी प्राथमिकता नहीं रही है और विकास के मामले में सपा सरकार की चिन्ता खासकर सैफई, इटावा व कन्नौज तक ही सीमित रही है। विकास के नाम पर जो भी थोड़ा बहुत काम किया गया है उसमें पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है। विभिन्न सरकारी योजनाओं का वितरण जातिवादी आधार पर होने के कारण इसका लाभ केवल कुछ मुट्ठीभर लोगों को ही मिल पाया है। महानियंत्रक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में भी इस बात का पर्दाफाश किया गया है।
साथ ही, राजनीतिक गुण्डागर्दी, माफियागिरी व व्यापक भ्रष्टाचार के कारण उत्तर प्रदेश अब काफी ज्यादा पिछड़ गया है। दयनीय कानून-व्यवस्था के कारण विकास की तमाम सम्भावनायें केवल कागजी खानापूरी होकर रह गयी हैं। सारा सरकारी तंत्र मनमाना होकर लुंजपुंज स्थिति मे है, राजधानी तक में भी हत्यायें आमबात हो गई हैं। उत्तर प्रदेश में तबादला एक उद्योग सा बन गया है।
खासकर ’’पुलिस भर्ती में घोटाले’’ हर सपा सरकार की शोभा रहे हैं। वर्तमान सपा सरकार में भी इस पुुलिस भर्ती घोटाले के खिलाफ हर जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। स्थिति काफी भयावाह हो गयी है।
सुश्री मायावती जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में आगे कहाकि केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार व उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार दोनों की ही, ’’गलत नीतियों व कार्यकलापों’’ आदि के कारण सर्वसमाज में निराशा का महौल है। इन दोनों ही सरकारों का कार्यकलाप पूर्ण रूप से जनहित व देशहित में ना होकर जातिवादी व साम्प्रदायिक होकर कुछ मुट्ठीभर लोगों को ही अनुचित लाभ पहुँचाने का है। इसी कारण मंहगाई, गरीबी, बेरोजगारी, सामाजिक न्याय आदि राष्ट्रीय महत्व के खास मुद्दों पर इन दोनों ही सरकारों का रवैया काफी लापरवाह व निष्प्रभावी रहा है। सर्वसमाज में से खासकर गरीबों, दलितों, अन्य पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से विशेषकर मुस्लिम व ईसाई समाज के लोगों का उत्पीड़न व शोषण काफी ज्यादा बढ़ गया है। यह एक अत्यन्त चिन्ताजनक व दुःखद स्थिति है।
इतना ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार और भाजपा शासित राज्यों खासकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के किस्से आम हैं और इनके शीर्ष नेतृत्व पर भी इसमें लिप्त होने का मामला आयेदिन उजागर होता रहता है। इनके मंत्रियों के काले कारनामे वैसे भी आयेदिन अखबारों की सुर्खियों में रहते है।
कुल मिलाकर केन्द्र सरकार की गलत नीतियों व कार्यकलापों के कारण गरीबों का जीवन तो ज्यादा-से-ज्यादा दुष्कर होता ही जा रहा है, आमजनता व मध्यम वर्ग परिवारों का दैनिक जीवन भी सेवा कर आदि विभिन्न प्रकार के करों व नये-नये बोझिल करने वाले नियम-कानूनों के कारण काफी ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है। महंगाई के साथ-साथ अप्रत्यक्ष करों की भरमार हो जाने से हर चीज और भी ज्यादा मंहगी होती जा रही हैं, अर्थात ’’अच्छे दिन’’ लाने के वायदे करने वाली सरकार लोगों को ’’रूलाने’’ पर तुली हुई लगती है।
और इस प्रकार उत्तर प्रदेश की लगभग 20 करोड़ जनता, जो प्रदेश की सपा सरकार की जातिवादी, पक्षपातपूर्ण व द्वेषपूर्ण राजनीति के साथ-साथ यहाँ व्याप्त जंगलराज व भ्रष्टाचार से पहले से ही काफी ज्यादा पीडि़त थी, वह अब केन्द्र सरकार की जन-विरोधी नीतियों से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों का सामना करके ’’दोहरी मार’’ झेल रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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