Categorized | लखनऊ.

‘‘मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान योजना’’ को प्रदेश में प्राथमिकता से लागू कराया जाय: मुख्य सचिव

Posted on 02 April 2015 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने समस्त प्रमुख सचिवों एवं सचिवों, मण्डलायुक्तों, विभागाध्यक्षों एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ‘‘मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान योजना’’ को प्रदेश में प्राथमिकता से लागू कराया जाय। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल स्रोतों एवं वर्षा जल के प्रभावी संचयन के उद्देश्य से मुख्यमंत्री जल बचाव योजना का आरम्भ किया गया है। उन्होंने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना के समेकित एवं सुनियोजित ढ़ंग से कार्यान्वयन हेतु प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जल बचाव समिति का गठन किया जाय जिसमें सिंचाई, कृषि, जल निगम, ग्राम विकास, लघु सिंचाई विभाग, भू-गर्भ जल विभाग, वन विभाग, नगर स्थानीय निकाय, विकास प्राधिकरण, निर्माण एजेन्सी, उद्यान विकास विभाग आदि विभागों के प्रतिनिधियों को सदस्य के रूप में सम्मिलित किया जाय।
मुख्य सचिव ने निर्गत शासनादेश में कहा है कि समस्त जिलाधिकारियों, मण्डलायुक्तों एवं विभागों को योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से सम्बन्धित कार्यवाही आगामी 10 दिवस के भीतर पूर्ण करके प्रगति से शासन को अवगत कराना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर योजना की मासिक समीक्षा मुख्य सचिव स्तर पर की जायेगी। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन कार्यों पर आने वाले व्यय हेतु वित्तीय व्यवस्था मनरेगा, राज्य वित्त आयोग एवं मा0 सांसद/विधायक कोष अथवा किसी अन्य योजना से पूलिंग करके की जा सकती है।
श्री रंजन ने अपने निर्देश में कहा है कि ग्राम स्तर पर लेखपाल एवं ग्राम पंचायत अधिकारियों को मिलाकर एक संयुक्त समिति गठित की जायेगी। समिति द्वारा प्रत्येक गांव के तालाबों, पोखरोें, कुओं व अन्य जल स्रोतों की सूची बनाकर खण्ड विकास अधिकारी को उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास विभाग, पंचायती राज, राजस्व  व लघु सिंचाई विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि जनपद में उपलब्ध तालाबों-पोखरों का गहरीकरण किया जाय ताकि वहां पर घटते हुए जल स्तर को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि समिति द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोतों यथा-तालाबों एवं पोखरों का चिन्हीकरण कर उनके प्रत्येक कोने पर लाल खम्भे लगाये जायेंगे, जिससे उनके क्षेत्रफल आदि की सही जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकास खण्डों में भू-जल संवर्द्धन, वर्षा जल संचयन एवं जल संरक्षण से सम्बन्धित कार्यों को शीर्ष प्राथमिकता पर समेकित ढ़ंग से सम्पन्न कराया जाय। उन्होंने कहा कि अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकास खण्डों के अतिरिक्त पूरे प्रदेश में भूगर्भ जल के स्तर में संवर्धन हेतु  विभिन्न कार्यों जैसे- चेकडैमों का निर्माण, तालाबों, पोखरों का गहरीकरण, खेतों की मेड़बन्दी का कार्य कराये जाने सम्बन्धी कार्य योजना बनाकर इसे क्रियान्वित कराया जाय। उन्होंने कहा कि शहरों, कस्बों में नगर निगम/नगर पालिका स्तर से जल स््रोतों स्तर पर प्राकृतिक स्रोतों की सूची तैयार कर वर्षा जल संचयन हेतु विस्तृत कार्य योजना जनपदीय समिति को उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने कहा कि नगर विकास विभाग का दायित्व होगा कि वह देखे कि शहरों, कस्बों में उपलब्ध तालाब-पोखरों का विकास इस प्रकार किया जाय जिससे वहां पर जल संचयन भारी मात्रा में हो सकें, यह भी सुनिश्चित किया जाय कि ऐसे तालाबों का पोखरों में दूषित जल किसी भी प्रकार न जाने पायें। उन्होंने कहा कि समिति शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था के साथ यह सुनिश्चित कराये कि दूषित जल प्राकृतिक जल स्रोतों, तालाबों आदि में निस्तारित न किया जाय। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी स्तर पर प्रत्येक माह समिति की बैठक आयोजित कर समिति के कार्यों की समीक्षा की जायेगी तथा आवश्यकतानुसार मौके का स्थलीय निरीक्षण भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि तालाबों एवं पोखरों आदि के किनारे उचित जगहों पर पर्याप्त मात्रा में वृक्षारोपण तथा शहरी क्षेत्रों में शासकीय व निजी भवनों में रूफटाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना के प्रावधानों को कड़ाई से लागू कराया जाय। उन्होंने कहा कि ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण हेतु वृहद स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम चलाये जायं।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा संकटग्रस्त विकासखण्डों में भूजल दोहन में कमी लाने के लिए सिंचाई हेतु नहर जल का अधिकाधिक उपयोग किये जाने को प्राथमिकता दी जाय तथा सतही एवं भूजल के सहयुक्त उपयोग (कन्जन्कटिव यूज) को बढ़ावा दिया जाय। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा सभी तालाबों, पोखरों एवं प्राकृतिक जल स्रोतों की ‘डिजिटल डायरी’ बनाई जाय तथा तालाबों व अवैध कब्जे वाले जलाशयों को चिन्हित कर उनसे अतिक्रमण व अनाधिकृत कब्जे हटाये जायं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर इन्सेफेलाइटिस बहुल क्षेत्रों तथा जिन क्षेत्रों में पेयजल अत्यन्त दूषित हो चुके हैं, वहाँ पर उ0प्र0 जल निगम द्वारा आर0ओ0 अथवा अन्य कोई संयंत्र, जो असानी से सम्भव हो सके, लगवाकर सुनियोजित रूप से पेयजल उपलब्ध करवाया जाय, साथ ही उन छोटे शहरों व कस्बों, जहां पर पेयजल आपूर्ति आदि की समुचित व्यवस्था  न हो वहां पर भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाय।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in