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सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर एवं गोमती नगर कैम्पस द्वारा आयोजित ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ में हुआ ईश्वरीय एकता का गुणगान

Posted on 31 March 2015 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल, राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) एवं गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) द्वारा ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ का भव्य आयोजन आज क्रमशः सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम एवं सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आॅडिटोरियम में किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों ने ईश्वर भक्ति से परिपूर्ण गीत-संगीत के माध्यम से ईश्वरीय एकता का ऐसा आलोक बिखेरा कि दर्शक व अभिभावक मंत्रमुग्ध हो गये। समारोह में दोनों कैम्पस के छात्रों ने अभिभावकों के समक्ष न सिर्फ अपने ज्ञान-विज्ञान का अपितु गीत, संगीत व नृत्य द्वारा अपनी बहुमुखी प्रतिभा का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों ने सार्वभौमिक जीवन मूल्यों, विश्वव्यापी चिंतन, विश्व समाज की सेवा तथा सभी चीजों में उत्कृष्टता विषय पर अपने सारगर्भित विचारों से अभिभावकों को मंत्रमुग्ध कर दिया तथापि विद्यालय द्वारा प्रदान की जा रही नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक शिक्षा का शानदार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में सर्वोच्चता अर्जित करने वाले छात्रों व वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया गया।
सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि इतिहास में कुछ ऐसे क्षण आते हैं जब शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन के एक प्रभावशाली उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है। हमारा विश्वास है कि मानव इतिहास में वह समय अब आ गया है जब शिक्षा को प्र्रभावशाली उपकरण के रूप में प्रयोग करना चाहिए। डा. गाँधी ने कहा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अर्पित मनुष्य की ओर से की जाने वाली समस्त सम्भव सेवाओं में से सर्वाधिक महान सेवा है - बच्चों की शिक्षा, उनका चरित्र निर्माण तथा उनके हृदय में परमात्मा के प्रति प्रेम उत्पन्न करना। अब ऐसे विद्यालय की आवश्यकता है जो भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों प्रकार की शिक्षा बालक को देकर उसे संतुलित विश्व नागरिक बना सकें। सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) की वरिष्ठ प्रधानाचार्या सुश्री दीपा तिवारी ने कहा कि बाल्यावस्था बीत जाने के बाद व्यक्ति को शिक्षा देना अत्यन्त कठिन होता है। अतः बचपन में ही सुदृढ़ नींव रखी जानी चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य बालक के अंदर छिपी शक्तियों तथा क्षमताओं को विकसित करना है। उन्होंने आगे कहा कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण के अभाव में मनुष्य द्वारा लिया जा रहा कोई भी निर्णय मानव जाति के विनाश का कारण बन सकता है।
सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) द्वारा सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आॅडिटोरियम में आयोजित ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ में बोलत हुए प्रधानाचार्या श्रीमती आभा अनन्त ने कहा कि खुशहाल समाज के नव निर्माण हेतु स्कूलों द्वारा बालकों को भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों प्रकार की संतुलित या उद्देश्यपूर्ण शिक्षा आज की महती आवश्यकता है। ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ बच्चों में निहित क्षमताओं को विकसित करने एवं आध्यात्मिक, सामाजिक तथा भौतिक ज्ञान से परिपूर्ण ‘टोटल क्वालिटी पर्सन’ बनाने में मददगार साबित होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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