डॉ हर्षवर्धन ने वैज्ञानिकों से नवीकरणीयए हरित पदार्थ का उपयोग करने का आग्रह किया

Posted on 25 March 2015 by admin

प्रधानमंत्री के सबके लिए छत योजना के कार्यान्वीयन की जिम्मेरदारी संरचना अभियंताओं पर है रू डॉण् हर्षवर्धन
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉण् हर्षवर्धन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र् मोदी के 2022 तक प्रत्ये्क व्यंक्ति के सर पर छत का सपना साकार करने के लिए वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों से कम कीमत पर भवन निर्माण कार्य के कार्यान्वसयन का आग्रह किया।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद. संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केन्द्र ;सीएसआईआर.एसईआरसीद्ध के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कल शाम डॉण् हर्षवर्धन ने कहा. श्मांग आपूर्ति की कमी को तेजी से भरने के लिए हमें कम कीमत की तकनीकों की आवश्यसकता इससे पहले कभी इतनी नहीं थी। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने प्रत्येरक परिवार के सिर पर छत प्रदान करने के लिए समय सीमा तय की है। एसईआरसी द्वारा विकसित तकनीकए उच्चप वैज्ञानिक उत्पामद और विशेष सेवाएं प्रधानमंत्री की परियोजना के आवश्यएक अंग होंगे। मैं वैज्ञानिकों से सस्तीद और सुरक्षित भवनों के निर्माण का आग्रह करता हूं।

पिछले 50 वर्षों में सीएसआईआर.एसईआरसी द्वारा हासिल कई सम्मासनों को याद करते हुए डॉण् हर्षवर्धन ने पाक जलडमरू मध्यए के ऊपर पामबन रेलवे ब्रिज के नौपरिवहन संबंधी री.इंजीनियरिंग की 2007 की उपलब्धियों की सराहना की। उन्हों ने कहा कि यह ऐसी परियोजनाएं हैं जो सारी दुनिया को प्रेरित करेगी। यह ब्रिज एक सदी पुराना है लेकिन बिलकुल मजबूत है। मंत्री महोदय ने सीएसआईआर के महानिदेशक डॉण् एम ओ गर्ग और एसईआरसी के निदेशक ए बी मंडल के साथ सीएसआईआरए एसईआरसी के विभिन्नस प्रयोगशालाओं का दौरा किया। इन प्रयोगशालाओं में भूकंपीय इंजीनियरिंगए भवनों के ढांचों की स्थिति की जांच प्रयोगशालाए पवन इंजीनियरिंगए ढांचागत कंक्रीट इंजीनियरिंग और टैक्नोालॉजी प्रयोगशाला शामिल है।

उन्होंशने यहां के कर्मचारियों और वैज्ञानिकों से मुलाकात की और उनसे बातचीत की। इन लोगों से इस क्षेत्र की चुनौतियों पर भी बात हुई। डॉण् हर्षवर्धन ने सीएसआईआर और एससीआरसी की पिछली उपलब्धियों की सराहना की और उन्हेंे लगातार नये तरीके सोचने के लिए कहा। इस मौके पर बुनियादी ढांचा ;इंफ्रास्ट्रनक्चईरद्ध क्षेत्र से जुड़े उद्योगपति मौजूद थे। इनमें श्री डी आदिनारायण राव ;बीजीआर एनर्जी सिस्टआम लिमिटेडद्धए श्री एसएस मणि ;भेलए रानीपेटद्धए श्री विवेक चारी ;एजी कार्पोरेशनद्धए श्री एसण् रविशंकर ;अडानी इंफ्रा इंडियाद्धए श्री एसण् राममोहन ;एनएलसीए नेवेलीद्ध और श्री डीण् श्रीनिवासराव ;हिंदुस्ताइन शिपयार्ड लिमिटेडद्ध। डॉण् हर्षवर्धन ने उद्योग प्रतिनिधियों का धन्यतवाद दिया और आगे भी उद्योग से सहयोग और मजबूत करने की अपील की। उन्होंमने कहा कि प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया का आह्वान किया है। हमें करोड़ों की संख्यां में रोजगार पैदा करना होगा क्योंनकि आने वाले दिनों में युवाओं की बढ़ती आबादी के लिए बेहद जरूरी है।

पिछले 50 सालों में सीएसआईआर.एसईआरसी ने शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए कंक्रीट सामग्रीए खास ढांचों के डिजाइन के विश्ले षण के लिए गणना से जुड़े तरीकेए ढांचागत डायनामिक्ससए पवन इंजीनियरिंगए भूकंपीय इंजीनियरिंगए आपदा में कमी से जुड़ी तकनीकए कंक्रीट ढांचे के टिकाऊपन के लिए तकनीकए हलके ढांचेए समग्र निर्माणए वैकल्पिक निर्माण सामग्रीए नैनो इंजीनियरी के लिए निर्माण सामग्री समेत कई चीजों को विकसित किया है।

सीएसआईआर.एसईआरसी ने कई शोध और विकास परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की हैं और सरकारीए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया है। डॉण् हर्षवर्धन ने कहा कि इंजीनियरिंगए विज्ञान और तकनीक के विकास को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिकों में रचनात्मिकता और कुछ नया करने की प्रवृति होनी चाहिए। सीएसआईआर.एसईआरसी के पास अंतर्राष्ट्री य स्तकर की सुविधाएं और अनुभव मौजूद हैं और इसका लाभ लेते हुए यहां के वैज्ञानिकों ने ढांचागत विश्लेतषण डिजाइनए जटिल ढांचों में शामिल तत्वों  के परीक्षण में अहम योगदान दिया है और इस संबंध में उद्योगों की वास्त विक कठिनाइयों को दूर करने के तरीके मुहैया कराये हैं। इस संबंध में अगर कुछ उदाहरणों का जिक्र किया जाये तो इनमें ठंडे और विरूपित के विकास के क्षेत्र में हुआ प्रयोग अहम हैं। इसे निर्माण उद्योग में ब्लैिक रेवोल्यूसशन माना जा सकता है और इसके लिए सीएसआईआर.एसईआरसी को सम्मामनित भी किया गया है। इस तरह पामबन रेलवे ब्रिज को 2007 में ब्रॉड गेज में बदलने में भी सीएसआईआर.एसईआरसी की तकनीक से काफी सकारात्मसक प्रभाव पड़ा। इस तकनीक से काफी आर्थिक बचत हुई है।

सीएसआईआर.एसईआरसी के पवन ऊर्जा इंजीनियरिंग विभाग ने हुदहुद और फेलिन चक्रवात ;तूफानद्ध के सर्वे के बाद विश्लेषण किया है। इसके तहत अलग.अलग ढांचों की नाकामी की वजहों और तरीकों का बारीकी से निरीक्षण किया गया। इन अध्ययनों के बाद भारतीय मानक ब्यूररो ;ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्डसद्ध में कामकाज से जुड़ी कुछ संहिताएं शामिल की गईं। सीएसआईआर.सीईआरसी ने आधुनिक पवन सुरंगों का इस्तेमाल करते हुए जटिल ढांचों मसलन चिमनियोंए प्रशीतन टावर और ट्रांसमिशन लाइन टावरों का अध्यटयन कियाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनके हस्तइक्षेप का असर क्या  होता है। सीएसआईआर.एसईआरसी ने जर्मनी की रेड क्रॉस सोसाइटी के आग्रह पर बहुउद्देशीय चक्रवात आश्रय स्थ लों ;शेल्टरर्सद्ध के लिए अभिनव ढांचागत डिजाइन मुहैया कराए हैं। इनमें खास एयरो डायनेमिक जरूरतों का ध्या्न रखा गया है। ये चक्रवात आश्रय स्थइल ओडिशा में 23 जगहों पर बनाए गए हैं। इनमें से हर एक आश्रय ने ओडिशा में महाचक्रवात के दौरान 2000 लोगों ;कुल 40ए000 लोगद्ध की जान बचाई।

गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ;गेलद्ध के आग्रह पर सीएसआईआर.एसईआरसी ने नर्मदा नहर क्रॉसिंग के विभिन्ना चरणों के लिए गैस प्रवाह को रोके बिना पाइपलाइन को सुरक्षित नीचे करने के लिए उपयुक्तन डिजाइन मुहैया कराए। एसईआरसी ने फील्डन में मौजूद गैस पाइपलाइन में प्रक्रिया की निगरानी के लिए एडवांस मापक तकनीक और तरीके का इस्तेैमाल करते हुए उपयुक्तन इंस्ट्रूडमेशन का डिजाइन भी तैयार किया। यह पहली बार था जब सेवारत गैसलाइन का परिचालन सफलतापूर्वक नीचे लाया गया। इससे विदेश में परिचालन के लिए विशेषज्ञों की ओर से बताई गई स्टॉशपल और बाइपास परिचालन तकनीक की तुलना में काफी बचत हुई।

प्रयोगशाला के पास भूंकपीय इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काफी अनुभव है। इसने सिस्मि क क्वाोलिफिकेशनए अभिनव सिस्मि क प्रतिरोध और नियंत्रण उपकरणों के संबंध में कई औद्योगिक परियोजनाओं को पूरा किया है।

परमाणु संयंत्रों के स्टीयल ढांचोंए ताप विद्युत संयंत्रए सड़क और रेल ब्रिज की सेवा अवधि ;टिकाऊपनद्ध और भी बढ़ाने के क्षेत्र में भी विशेषज्ञता विकसित की गई है। इसके तहत इन चीजों की सेवा अवधि बढ़ाने के लिए गैर नुकसानदेह तकनीक के इस्तेतमाल के जरिए व्य़वस्थिैत आकलन किया जाता है।

सीएसआईआर.एसईआरसी ने कम लागत वाले आवासए सेनिटेशन के लिए जरूरी सामान जैसे फेरोसमेंट सर्विस कोर यूनिट ;शौचालय और नहाने के काम में आने वाली इकाईयांद्ध ए टिकाऊ एफआरसी मेनहोल फ्रेमए सीवरेजए ड्रेनेजए ट्रांसमिशनध्लाइटिंग पोल के लिए नई और सस्ती् तकनीक विकसित की है।

निर्माण उद्योग पर उत्पा्दनए लागत में कटौती और निर्मित सुविधाओं की गुणवत्ताज बढ़ाने का दबाव है। भूकंप के खतरे वाले इलाकों में हल्केटए ज्याीदा मजबूती वाले और जहाज में चढ़ाने और उतारने लायक लचीले और खराब न होने वाले ढांचों की जरूरत पड़ती है। कहने का मतलब यह है कि ऐसी निर्माण सामग्री जिसके सभी हिस्सेए सुरक्षित रहें। इन इलाकों में आवास की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निर्माण में पहले से तैयार ढांचों की जरूरत होती है। सीएसआईआर.एसईआरसी ने आवासीय और ढांचागत जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाए हैं। इस संदर्भ में सीएसआईआर.एसईआरसी ने कम वजन वाले पहले से निर्मित बड़े पैनल ;प्री.फेब पैनलद्ध बनाने के लिए पांच तकनीक विकसित की है। इसके लिए विस्तापरित पॉली स्टेसरिनए पहले से निर्मित ठंडा स्टीकल ;बहुमंजिली इमारतों के निर्माण के लिएद्धए पहले से तैयार फैबक्रीटए पैनलों के बीच में डालने के लिए तैयार अनोखी सामग्रीए अपने आप जुड़ने वाले फेरोसीमेंट मोर्टार ;पतले पैनलों को जोड़ने के लिएद्ध और स्टी़ल होम कंक्रीट से बने हल्केी पैनल तैयार किए गए हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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