समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को बिना किसी मुद्दे के बात का बतंगड बनाने का रोग हो गया है। उनकी यह सोच है कि झूठ के सहारे वे प्रदेश वासियों को भ्रमित कर सकेंगे। जबकि सच तो यह है कि झूठ के पैर नहीं होते हैं। उनकी राज्य सरकार के खिलाफ आन्दोलन की धमकी बेमानी है। जनता सब जानती है। उसे पता है कि किसानों के लिए घडि़याली आंसू बहाने वाले वे लोग हैं जिन्होंने कभी किसानों और गाॅवों को महत्व नहीं दिया। वे पूंजी घरानों के हित में ही नीतियां बनाते रहे।
मौसम की मार से किसान परेशान हुए हैं पर संकट के इस समय में उनके दर्द की राजनीतिक रोटी सेंकना नितांत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। गन्ना किसानों के बीच भड़काऊ बयानबाजी करने वालों के चेहरों से जनता परिचित है जो हमेशा मिल मालिकों के पक्ष में खड़े दिखाई देते रहे हैं। विडम्बना है कि किसानों के बेहतरी के लिए समाजवादी पार्टी प्रारम्भ से ही संघर्ष करती रही है। उसकी प्राथमिकता मेें किसान और गाॅव रहे हैं, जिनके लिए उत्तर प्रदेश के वर्ष 2015-16 के बजट में 75 प्रतिशत धनराशि का प्राविधान किया गया है।
यह समझ में नहीं आता है कि विपक्षी किस माॅग को लेकर किसानों के नाम पर आंदोलन करने का स्वांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त किसानों के लिए तत्काल राहत की घोषणा की। वर्षा और ओलावृष्टि से हुई क्षति की भरपाई के लिए किसानों के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रूपए की व्यवस्था की है। ढाई करोड़ किसानों को 05 लाख रूपए किसान बीमा का लाभ दिया है। समाजवादी सरकार ने 7,57,000 किसानों को 1779 करोड़ रूपए का कर्ज माफ किया है।
गन्ना किसानों के हितों की समाजवादी सरकार को हमेशा चिंता रही है। मुख्यमंत्री जी ने गन्ना किसानों को समर्थन मूल्य में 40 रूपए पहले से बढ़ाकर दिया। गत वर्ष समाजवादी सरकार के बजट में 700 करोड़ रूपए की व्यवस्था कर गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया था। वर्ष 2015-16 के बजट में गन्ना बकाया के भुगतान हेतु 125 करोड़ रूपए तथा गन्ना समितियांे को सोसायटी कमीशन की प्रतिपूर्ति हेतु 442 करोड़ रूपए की व्यवस्था की गई है।
उत्तम कोटि के गन्ना बीज परिवर्तन का एक वृहत कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसके परिणाम आने शुरू हो गये हैं। वर्ष 1975-76 में स्थापित तथा 2007-08 से बंद सहकारी चीनी मिल सठियांव के स्थान पर 3500 टी0सी0डी0 क्षमता की नई चीनी मिल में कोजनरेशन एवं आसवनी प्लांट की स्थापना हेतु 250 करोड़ रूपए की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है, जिससे वहाॅ के गन्ना किसान समृद्ध हो सकें तथा क्षेत्र का आर्थिक विकास हो।
समाजवादी सरकार की प्राथमिकता में चूंकि किसान हैं, इसलिए उन्हें हर तरह की सुविधा दिलाने का प्रयास हो रहा है। श्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2015-16 को ‘‘किसान वर्ष’’ घोषित किया गया है। किसानों को कम व्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध कराने के लिए 150 करोड़ रूपए की व्यवस्था की गई है। भूमि सेना योजना हेतु 114 करोड़ रूपए की व्यवस्था की गई है। चीनी के भावों में लगातार गिरावट आने के बावजूद सरकार ने गन्ना किसानों के हितों की रक्षा की है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के इन किसान कल्याणकारी कदमों के बावजूद भी जो आंदोलन की बातें कर रहे हैं वे किसानों के शुभचिंतक कैसे हो सकते हैं ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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