ख़्वाजामुईनुद्दीनचिश्तीउर्दू, अरबी-फ़ारसीविश्वविद्यालय, लखनऊ के कम्प्यूटरसाइंस, गृहविज्ञान एवंशिक्षाविभाग के द्वाराआजविस्तारविख्यानोंकाआयोजनकियागया।
कम्प्यूटरसाइंसविभाग द्वाराआयोजितव्याख्यानष्ैक्स्ब् जव ैक्स्ब्रू ॅ3भ् ;ॅींजए ॅीमतमए ॅीमद - भ्वूद्धष्के संदर्भमेंआयोजितकियागया।इसअवसरपरइन्टीग्रलविश्वविद्यालय के सहायकप्राध्यापक डाॅ0 सुहैलअहमद खान ने अपनेविचारोंकोप्रस्तुतकिया।उन्हांेनेसिस्टमसेसम्बंधित शब्दावलीउसकेप्रकार एवंमूलतत्वोंइत्यादि के बारेमेंबताया । उन्होंनेइसबातपरजोरदियाकिसीखने के लिए प्रायोगिकअनुभव की अतीवआवश्यकताहै।उन्होंनेसिस्टमडेवलपमेन्टलाइफसाइकिल एवंसाॅॅफटवेयरडेवलपमेन्टलाइफसाइकिलमेंअंतर व सम्बन्ध बताया।उन्हांेनेबतायाकिसाॅॅफटवेयरडेवलपमेन्टलाइफसाइकिलकामूलसिस्टमडेवलप्मेन्टलाइफसाइकिलहै।कार्यक्रमकासंचालन डा0 मज़हर खालिक़ ने किया।
गृहविज्ञान द्वारा‘‘टेक्सटाइलडिज़ाइनिंगथू्रटाई एण्ड डाई एण्ड ब्लाकप्रिंटिंग’’ विषय पर डा0 अनीमाजायसवाल, असिस्टेन्टप्रोफेसर, महिलामहाविद्यालय, नेटाई एण्ड डाई एवंब्लाकप्रिंटिंग की विभिन्नविधियोंपरप्रकाशडाला।इसव्याख्यानसेविश्वविद्यालय के छात्र/छात्राओंमेंकपड़ोंपरटाई एण्ड डाईब्लाकप्रिंटिंग के द्वाराकपड़ोंकोसुन्दरबनाने की निपुर्णताविकसितहुई।कार्यक्रमकासंचालन डा0 प्रियंका ने किया।
इसी श्रंृखलामेंशिक्षाविभाग द्वारा’’तनावप्रबन्धन’’विषय परव्याख्यानआयोजितकियागया।अपनेसम्बोधनमेंडाॅ0 कमलेशतिवारी, मुख्य मनोवैज्ञानिक, उत्तरप्रदेशमनोविज्ञानशाला, इलाहाबाद, ने मुख्य वक्ता के रूपमेंअपनेविचारव्यक्तकरतेहुयेकहाकिआज के भाग-दौड़ भरे जीवन शैलीमेंतनावप्रबन्धनकाअत्यधिकमहत्वहै।तनावसेमुक्ति के लिए इसकेवास्तविक स्त्रोतोंकाज्ञानहोनाआवश्यक है।अपनेसंवेगोंपरनियन्त्रण एवंसमस्याओंकानिवारणकरने के ढंग सेतनावकोदूरकियाजासकताहै। जीवन परनियन्त्रण हीतनावप्रबन्धन की नींवहै।तनावसेमुक्ति के अनेकउपाय हैं, जिनमेंपरिवर्तन की भूमिकामहत्वपूर्णहै।व्यक्ति या तोपरिस्थितियोंमेंबदलावलाकरतनावमुक्तहोसकताहै।तनावप्रबन्धनकाकोई एक समाधाननहींहै, अपितु यह व्यक्ति के अनुसारबदलतारहताहै।तनावपूर्णपरिस्थितिमेंव्यक्तिअपने द्वाराव्यक्तप्रतिक्रियामेंबदलावलाकरतनावउत्पन्नकरनेवाले स्त्रोतोंसेदूरीबनासकताहैऔरतनावमुक्तहोसकताहै।कार्यक्रमकासंचालन डा0 चन्दनाडे ने किया।
इनकार्यक्रमोंमें डा0 अल्का, सौरव सिंह राठौर, बुशराअलवेरा, नलिनीमिश्रातथाप्रियंकातिवारीमुख्य रूपसेउपस्थितरहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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