बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) प्रमुख श्री मोहन भागवत द्वारा मदर टेरेसा के सम्बन्ध में दी गयी अशोभनीय व आपत्तिजनक टिप्पणी की तीव्र निन्दा करते हुये कहाकि इस प्रकार के बयान साम्प्रदायिक हैं और इनसे देश का माहौल खराब होता है व भारत की छवि भी विश्व स्तर पर धूमिल होती है।
उल्लेखनीय है कि श्री मोहन भागवत ने कल जयपुर में कहा था कि मदर टेरेसा की असहाय व गरीबों की सेवा का उद्देश्य वास्तव में लोगों को धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें ईसाई बनाना था। इसके सम्बन्ध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि मदर टेरेसा भारत में रहकर दुःखी, कष्ट पीडि़त व असहाय लोगों की अपार सेवा कई दशकों तक की और उनकी इस सेवा के लिये भारत व विश्व भर में उन्हें बडे़ आदर-सम्मान के साथ याद किया जाता है। ऐसी सख्सियत के बारे में स्पष्ट तौर पर बिना किसी पुख्ता सबूत के ऐसा सख्त इल्जाम लगा देना घोर अनुचित, निन्दनीय व शर्मनाक है। इससे देश का साम्प्रदायिक महौल प्रभावित होने के साथ-साथ विश्व जगत में अपने देश की छवि भी धूमिल होती है। आर.एस.एस. का इस प्रकार का बयान खासकर श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के लिये नई समस्या पैदा करने वाला है, जबकि यह सरकार पहले से ही इसी प्रकार के मामलों को लेकर कटघरे में थी।
साथ ही, आर.एस.एस. व विश्व हिन्दू परिषद की ही उग्र भाषा का इस्तेमाल करते हुये उत्तर प्रदेश के गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद श्री योगी आदित्यनाथ का भी कल रोहतक (हरियाणा) में दिया गया बयान कि कथित ’घर वापसी’ जैसे घोर विवादास्पद कार्यक्रम लगातार जारी रखे जायेेंगे, स्पष्ट तौर पर साबित करता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिनांक 17 फरवरी, 2015 को दिये गये इस आश्वासन का उन पर कोई भी असर नहीं पड़ा है कि धर्म के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जायेगी। आर.एस.एस., विश्व हिन्दू परिषद व स्वयं भाजपा के लोग भी देश का साम्प्रदायिक माहौल खराब करने पर काफी ज्यादा अमादा व अक्रामक लगते हैं। ऐसे में इनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है। कांग्रेस व सपा ऐसे साम्प्रदायिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने से हमेशा कतराती रही हैं। परन्तु भाजपा शासनकाल में तो इन तत्वों को खुला समर्थन व संरक्षण प्राप्त है, ऐसा हर स्तर पर प्रतीत होता है।
इतना ही नहीं, अयोध्या के विवादित श्री रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के मामले में भी नई-नई बातें खड़ी करके लोगों को वरगलाने व साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि यह मामला न्यायालय में लम्बित है।
इसके अलावा, श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपने सरकार की पूरी शक्ति लगाकर घोर किसान-विरोधी ’भूमि अधिग्रहण अध्यादेश‘‘ को संसद से पारित कराकर धन्नासेठों व पूंजीपतियों को प्रसन्न करने का मामला है, तो इस बारे में बी.एस.पी. स्पष्ट तौर पर इसके खिलाफ है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार अगर किसान-विरोधी सभी प्रावधानों को संशोधित नहीं करती है तो बी.एस.पी. इस अध्यादेश का संसद में डटकर विरोध करेगी। ऐसा पूंजीवादी विकास जिससे देश की गरीब जनता, मजदूरों व किसानों आदि का कोई भला नहीं होकर नुकसान होता हो, वैसा विकास देशहित व जनहित में कतई नहीं हो सकता। और केन्द्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को पूँजीपतियों की गुलामी नहीं करनी चाहिये, बल्कि जनहित व किसानहित का खास ख्याल रखना चाहिये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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