आखिरकार जिला प्रशासन मुरादाबाद व मुजफरनगर के दीवानी परिसर में ताबड़तोड़ हत्याओं के बाद सुरक्षा को लेकर मुस्तैदी दिखा दी है। जहां जिला कलेक्ट्रेट में खुलेआम चार पहिया, दो पहिया वाहन लेकर लोग धड़ल्ले से प्रवेश करते थे वहीं आज कलेक्ट्रेट के मेन गेट को बन्द करके पुलिस की मुस्तैदी देखने को मिली। वहीं दीवानी न्यायालय के मुख्य गेट को बन्द करके मेटल डिटेक्टर को लगाकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है। देखना तो यह भी है कि जिला प्रशासन की यह सुरक्षा व्यवस्था कितने दिन देखने को मिलती है। ऐसी सुरक्षा व्यवस्था पूर्व में भी जिला प्रशासन द्वारा दीवानी न्यायालय के गेट पर लगाया था। दीवानी न्यायालय के गेट पर सुरक्षा व्यवस्था उस समय लगायी गयी थी जब धनपतगंज के ब्लाक प्रमुख यशभद्र सिंह उर्फ मोनू पर प्राणघातक हमला किया गया था, परन्तु ब्लाक प्रमुख इस हमले के दौरान बाल-बाल बच गये थे। तब भी जिला प्रशासन ने न्यायालय के मेन गेट पर मेटल डिटेक्टर लगाकर कई महीने सुरक्षा व्यवस्था लगाई गयी थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया और ऐसी घटनाएं न जिले में हुई न प्रदेश में उसके बाद जिला प्रशासन भी सुस्त पड़ गया और सुरक्षा व्यवस्था हटा ली। सवाल यह उठता है कि ऐसी सुरक्षा व्यवस्था से क्या फायदा जब कहीं भी इस तरह की घटनाएं घटित होती है तब जिला प्रशासन जागता है।
प्रदेश के दो जिलों में कोर्ट के अन्दर पेशी के दौरान दो अभियुक्तों को सरेआम पुलिस के सामने गोली मार दी जाती है और जिले में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी जाती है। वहीं आये दिन पीडब्लूडी में निर्माण के टेंडर को लेकर अक्सर गोलियां चलती रहीं है। हमेशा टेंडर को लेकर पीडब्लूडी सुर्खियों में रहा है। जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी रहती है कि जिस दिन पीडब्लूडी का टेंडर पड़ेगा या खरीदा जाएगा उस समय पीडब्लूडी कैम्पस में कभी भी कोई भारी घटना घटित हो सकती है। बावजूद इसके जिला प्रशासन पीडब्लूडी के टेंडर के खरीदने के दिन व पड़ने के दिन किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था मुहैया नहीं कराती। बतातें चलें कि आज पीडब्लूडी में अमेठी जिला का टेंडर बिक रहा था जहां पर ठेकेदारों में गहमा-गहमी का माहौल बना हुआ था, परन्तु वहां पर जिला प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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