जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र में अधिकांश क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्ग लोगों के लिए समस्या बना हुआ है। इससे लोगों का आवागमन दुश्वार होता जा रहा है। वाहन पर सवार हो या पैदल राहगीरों को गंतव्य तक पहुंचने में बहुत बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसान हो या व्यापारी कही न कहीं यह दिक्कत दुर्घटना में तब्दील हो जाता है। जिसको क्षेत्र के प्रतिनिधि नजरअंदाज करते आ रहे है।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र के अधिकांश मार्ग पूरी तरह विखर चुके है। कहीं-कहीं तो डामर क्या गिट्टी तक सड़क पर नही बची है। मार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढें व बिखरी बड़ी-बडी गिट्टियां हर वक्त राहगीरों के लिए दुर्घटना बनी दिखाई देती है। ऐसे में लोगों को पैदल चलने में काफी दिक्कत होती है। बरौंसा से विरसिंहपुर तक मार्ग पर जगह-जगह बड़े गड्ढे हो गये है। अठैसी चैराहे से दियरा पावर हाउस मार्ग बिल्कुल जर्जर हो चुका है। मोतिगरपुर से चैहानपुर होते हुए गोसैसिंहपुर जाने वाला मार्ग, नहर मोड़ से विकास खण्ड मुख्यालय जयसिंहपुर जाने वाला मार्ग बुरी तरह जर्जर के साथ-साथ नहर औश्र सडत्रक के बीच कोई डिवाइडर भी नहीं बना है। इसी तरह मर्यादी इण्टर काॅलेज से नरायनपुर तक मार्ग, रामगढ़ चैराहा से काछा भिटौरा तक मार्ग, पाल नगर से मुइली तक मार्ग, विरसिंहपुर से तालापुर तक मार्ग खराब है। इसी तरह राघवपुर शुक्ल से मैरी संग्राम तक सम्पर्क मार्ग पर पैदल तक चलना राहगीरों के लिए मुश्किल हो रहा है। जयसिंहपुर इटकौली मार्ग बिल्कुल जर्जर हो चुका है जिस पर पैदल नहीं निकल सकते लेकिन शासन अैर प्रशासन दोनों आॅख मिचैली का खेल-खेल रहे है। जबकि इस मार्ग पर गुजरने के लिए सबसे अधिक सफेदपोशधारियों व नौकरशाहों के गुजरते है। जर्जर मार्ग पर ट्रैफिक इतना होने से यह मार्ग हर वक्त दुर्घटना को दावत दे रहा है जहां पर समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार व भाजपा केन्द्र सरकार में गाॅवों के सम्पर्क मार्ग एक दुरूस्त करने में लगे है। वहीं पर ये मार्ग सत्तापक्ष के नेताओं को मुॅह चिढ़ाते नजर आ रहे है। इस रोड़ पर गुजरने वालों का दुर्भाग्य ही कहां जायेगा क्योंकि इसमें से कुछ रोड़ों का विधायक अरूण वर्मा द्वारा प्रस्ताव तो भेजा गया है लेकिन कुछ भाजपा नेताओं द्वारा अपनी पार्टी का गुडविल बनाने के चक्कर में अभी तक दोनों पार्टियों में अभी तक आरोप प्रत्यारोप चल रहा है। जिसका दंस अभी तक क्षेत्र की जनता झेल रही है। जबकि इन रोड़ों पर चैपहिया तो दूर पैदल निकलना मुश्किल है। किसानों की मजबूरी है कि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहें है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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