डाॅ0 अम्बेडकर महासभा ने आज दलित साहित्य को पाठ्य पुस्तकों में षामिल किए जाने की वकालत की। अम्बेडकर महासभा के सभागार में ’’दलित साहित्य और डाॅ0 तुलसीराम’’ विषय पर आयोजित सेमिनार में विषय प्रवर्तन करते हुए अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डा0 लालजी प्रसाद निर्मल ने कहाकि दलित साहित्य को प्राथमिक पाठ्षाला से लेकर उच्च षिक्षा के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करने से दलितों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन होगा और उनके सामाजिक, राजनेतिक भागीदारी का मार्ग प्रषस्त हो सकेगा। डा0 निर्मल ने कहा कि दलित साहित्य हाषिए के समाज काक जीवन दर्षन है। यह दलितों का भोगा हुआ यथार्थ है। दलित साहित्य के समावेषन से वंचित वर्गो को मिल रही षासकी सुविधाओं और आरक्षण के प्रति भी आम लोगों के दृष्टिकोण में ठीक उसी प्रकार सकारात्मक परिवर्तत होगा। जैसे कि अमेरिकी समाज में अष्वेतों के प्रति ष्वेतों के नजरिया में परिवर्तन हुआ। डा0 निर्मल ने कहाकि डा0 तुलसीराम की आत्मकथा मुरदहिया और मणिकर्णिका दलित साहित्य में मील का पत्थर है जिसमें दलित वेदना, भेदभाव, भूख, आक्रोष अम्बेडकर, बुद्ध के साथ माक्र्सवाद की विषद व्याख्या भी है। डा0 निर्मल ने कहाकि दलित साहित्य केवल अनुसूचित जाति, जनजाति का साहित्य नही है वरन् यह व्यापकता का साहित्य है यह वंचितों एवं सामाजिक रूप से पिछड़ों का भी साहित्य है।
इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल एवं दलित साहित्यकार माता प्रसाद ने कहाकि दलित साहित्य को मान्यता मिलनी चाहिए क्योकि दलित साहित्य के विना मुख्य साहित्य अधूरा है। इस अवसर पर बोलते हुए लेखक एवं साहित्यकार के0के0वत्स ने कहाकि डा0 तुलसीराम ने अपने लेखन के माध्यम से जातिवादी राजनीति की मुखर आलोचना की और कहाकि जातिवादी राजनीति ने बहुजन की अवधारणा को पूरी तरह समाप्त कर दिया। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रीय भागीदारी आन्दोलन के प्रधान संयोजक पी0सी0कुरील ने कहाकि डा0 तुलसीराम एक प्रखर राजनैतिक चिन्तक, बौद्धिक, साम्यवादी और अम्बेडकरवादी थे। अपर पुलिस महानिदेषक जंगी सिंह ने कहाकि मुर्दहिया डा0 तुलसीराम का आत्मदर्षन है। इस अवसर पर एक प्रस्ताव के माध्यम से दलित साहित्य अकादमी की स्थापना की मांग की गई। प्रो0 टी0पी0 राही ने कहाकि डा0 तुलसीराम हिन्दी के विद्वान थे, उनकी आत्मकथा ’’मुर्दहिया’’ को लखनऊ वि0वि0 में पढ़ने से रोका गया।
इस अवसर पर डाॅ0 तुलसीराम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सेमिनार को प्रो0 राम नरेष चैधरी, श्री जगत नारायण, डा0सत्या दोहरे, एस0के0 पंचम, वीरेन्द्र कुमार मौर्य, सुरेष उजाला सोनम, डा0 आकाष आदि ने सम्बोधित किया तथा कार्यक्रम का संचालन श्याम कुमार ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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