महाशिवरात्रि का यह त्यौहार ईशानसंहिता के अनुसार ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के नाम से लोकप्रिय हुआ। इस व्रत को हिन्दू धर्म को मानने वाला प्रत्येक नागरिक करता है, चाहे व स्त्री हो या पुरूष या फिर किसी भी जाति वर्ग का। निष्काम तथा सकाम भाव से सभी व्यक्तियों के लिए यह महान व्रत परमहित कारक माना गया है शिव महिमा है कि जिनकी जीह्वा के अग्रभाग पर भगवान शंकर का नाम शिव विराजमान रहता है वह धन तथा महात्मा पुरूष है। शिवजी सबको सौभाग्य प्रदान करने वाले हैं। भगवान शिव कार्य और करण से परे हैं ये निर्गुण निराकार, निर्बाद, निर्विकल्प, निरिह, निरंजन, निष्काम, निराधार तथा सदा नित्य, मुक्त हैं। भगवान शिव पंचाक्षर और शडाक्षर, मंत्र, विहित हैं तथा केवल ओम नमः शिवाय कहने मात्र से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आज शहर के शिव मन्दिरों पर श्रद्धालुओं की भारी संख्या भीड़ देखने को मिली। महिलाएं और पुरूष सुबह से ही भोलेनाथ के दर्शन के लिए मन्दिरों में पूजा अर्चना का थाल सजाये हुए शिव की आराधना करने में मशगूल दिखाई पड़े। कुड़वार नाका के शिव मन्दिर में भारी संख्या में महिलाएं थालों में फूल, धतूर, बेल पत्र, मदार, अबीर आदि पूजन सामग्री को लेकर शिव मन्दिर में पूजा अर्चना करती हुई दिखीं। वहीं रूद्रनगर के संकट मोचन मन्दिर में भी भारी संख्या में भोलेनाथ को खुश करने के लिए लोग दिनभर पूजा अर्चना करते हुए दिखे। इसी के साथ चैक घण्टाघर के हनुमान मन्दिर में भी भारी तादाद में महिलाएं, पुरूष व बच्चे अपने घर की सुख शांति के लिए पूजा आराधना की। इसी कड़ी में लोहरामऊ मां दुर्गा के मन्दिर में दूर-दराज से आये हुए श्रद्धालु मां भगवती, बजरंग बली व भोलेनाथ का दर्शन कर जीवन में सुख शान्ति, स्मृद्धि के लिए हवन पूजन किया। इसी के साथ जिले के कादीपुर मार्ग पर स्थित विजेथुआ महावीरन जिसके बारे में कहा जाता है कि पवन पुत्र हनुमान ने इस विजेथुआ महावीरन में कालनेमि राक्षस का वध किया था, जिसके कारण पूरे देश में विख्यात विजेथुआ महावीरन में आज भोर से ही दूर-दराज से आये श्रद्धालु भोलेनाथ का दर्शन तो किए ही वहीं संकटों को हरने वाले पवन पुत्र हनुमान के भी दर्शन कर जीवन में सुख, समृद्धि की मनोकामना की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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