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बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि

Posted on 14 February 2015 by admin

बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि मात्र 31 प्रतिशत वोट पाकर बहुमत के साथ केन्द्र की सत्ता में आने के बाद बी.जे.पी. जिस प्रकार से अनेकों प्रकार के तिकड़मों व हथकण्डों आदि के माध्यम से अपनी पार्टी की सदस्यता को बढ़ा-चढ़ाकर एक बड़ी जनाधार वाली राजनीतिक पार्टी कहलाने की हबस व ज़्यादा-से-ज़्यादा राज्यों में सत्ता किसी ना किसी प्रकार हथियाने की होड़ में लगी हुयी है, उससे भाजपा को कोई ज़्यादा लाभ मिलने वाला नहीं है, बल्कि इसका सीधा नुकसान भुगतने के लिये भाजपा को अब तैयार रहना चाहिये और अभी-अभी सम्पन्न दिल्ली विधानसभा आमचुनाव में भाजपा की करारी हार इस बात का ताज़़ा-ताज़़ा प्रमाण है कि आमजनता बड़ी-बड़ी बयानबाज़़़ी, हवा-हवाई बातें व कोरे आश्वासन आदि ज़्यादा पसंद नहीं करती है।
परन्तु भाजपा ने अपनी इस बुरी हुई हालत (शिकस्त) से सबक़ सीखने के बजाये, अभी भी अपने पुराने तौर तरीक़ों (ढर्रे) पर चलते हुये ना केवल झारखण्ड राज्य में विधायकों को अपनी तरफ तोड़ लिया है, बल्कि बिहार में भी वह अनेकों प्रकार का षड़यंत्र करके सीधे तौर पर या फिर अन्ततः राष्ट्रपति शासन के माध्यम से सत्ता हथियाने में लगी हुई है, ताकि शीघ्र ही होने वाले बिहार विधानसभा के आमचुनाव में वह इसका चुनावी लाभ उठा सके।
इतना ही नहीं बल्कि इससे पहले अभी हाल ही में सम्पन्न उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिये हुये चुनाव में भी भाजपा ने एक के बजाये दो प्रत्याशी उतार दिया था और अनेकों प्रकार के ज़ोड-़तोड़ करके दूसरी सीट भी जीतने की भरपूर कोशिश की थी, परन्तु उसे मुंह की खानी पड़ी और भाजपा का दूसरा प्रत्याशी हार गया था।
और जहाँ तक अभी-अभी सम्पन्न हुये दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिये हुये आमचुनाव का सवाल है तो इस सम्बन्ध में बी.एस.पी. का यह कहना है कि दिल्ली विधानसभा आमचुनाव का यह ’’अप्रत्याशित व अभूतपूर्व परिणाम’’ ख़ासकर भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र की एन.डी.ए. सरकार और उसके मुखिया प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की विफलताओं को काफी हद तक दर्शाने वाला है। अर्थात् श्री मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में बहुमत के बावजूद जनहित व देशहित के तमाम अपने वायदों को भुलाकर, केवल पूंजीपति व अमीरपरस्त एवं ग़रीब, किसान, मज़दूर, दलित, व अल्पसंख्यक-विरोधी नीति के साथ-साथ राजनैतिक द्वेष व धार्मिक उन्माद एवं नफरत फैलाने वाली साम्प्रदायिक नीति व कार्यक्रम पर चलने व उन्हें संरक्षण देते रहने का ही यह दुष्परिणाम है कि भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार द्वारा साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों प्रकार के हथकण्डों का इस्तेमाल करने के साथ-साथ पूरी ताक़त व अकूत संसाधनों का इस्तेमाल करने के बावजूद भी, भाजपा अपने मज़बूत गढ़ में ही बुरी तरह से परास्त हो गयी है।
इतना ही नही, भाजपा को एक ऐसी पराजय मिली है जिससे ना केवल इस पार्टी व इसकी केन्द्र सरकार को देश के साथ-साथ दुनिया भर में और खासकर अमेरिका जैसे देश में भी काफी शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी है, बल्कि देश भर और ख़ासकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के लोगों को काफी ज्यादा निराश व हताश कर दिया है।
और इस सम्बन्ध में जैसाकि सर्वविदित है कि भाजपा की इस करारी हार के अनेकों कारण गिनाये जा रहे हैं, जिसमें उस पार्टी के लोगों का केन्द्र में सत्ता में आने पर ’’अहंकारी’’ हो जाना आदि शामिल है, और इस मामले में बी.एस.पी. का यह मानना है कि लोकसभा आमचुनाव के दौरान देश के लोगों से किये गये बड़े-बड़े वायदों को पूरा करने के लिये, अभी तक कोई शुरूवात तक भी नहीं की गई है।
साथ ही साथ श्री मोदी सरकार द्वारा पिछले लगभग नौ माह के शासनकाल में अनेकों ऐसे फैसले लिये गये जो लोगों की निगाह में स्पष्ट तौर पर ग़रीब व किसान-विरोधी समझे गये, जबकि धन्नासेठों व पूंजीपतियों के हितांे को साधने के लिये सरकार की शक्ति का अनुचित इस्तेमाल लगातार किया गया है। इसके अलावा देश में साम्प्रदायिकता व नफरत फैलाने के मामलों में भी श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का रवैया सख़्त ना होकर, एक प्रकार से संरक्षण प्रदान करने का ही बना रहा है और इस मामले में भारत की धार्मिक आजादी की इमेज को इस क़दर आघात लगा है कि यह एक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा ही बन गया है, जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति व वहाँ के एक प्रमुख समाचार-पत्र ने काफी नकारात्मक टिप्पणी की।
और जहाँ तक जनहित व जनकल्याण में चल रही  विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं को पहले राजनैतिक विद्वेष व दुर्भावना के तहत बंद कर देने और फिर बाद में उन्हीं योजनाओं का नाम बदलकर चालू करने की ‘‘छोटी व संकीर्ण मानसिकता’’ का अत्यन्त ही निन्दनीय मामला है, तो इस सम्बंध में पहले उत्तर प्रदेश में सपा सरकार ने यही ग़लत नीयत व नीति अपनायी हुयी थी, परन्तु अब केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार भी वैसा ही अनुचित व दुर्भावनापूर्ण नीति अपना कर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का एक-के-बाद एक नाम बदलते जा रही है। और श्री मोदी सरकार द्वारा मनरेगा व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना जैसी जिन कल्याणकारी योजनाओं को बंद तो नहीं किया गया है और न ही इसका कोई नया नामकरण किया गया है, परन्तु इन योजनाओं को पूरी तरह से निष्प्रभावी बना दिया गया है।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की सपा व केन्द्र की श्री मोदी सरकार में दलितों व अन्य पिछड़े वर्गों को खासकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण लागू करके इन वर्गों के लोगों को उनका संवैधानिक हक दिये जाने का मामला है, तो इस मामले में भी इन दोनों ही सरकारों ने जातिवादी मानसिकता के तहत काम करते हुये इन्हें भी लगभग निष्प्रभावी ही बना दिया है। इस प्रकार की संकीर्ण मानसिकता को किसी भी लिहाज से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
और इस सम्बंध में बी.एस.पी. का यह भी कहना है कि विभिन्न महापुरुषों के नाम पर जारी कल्याणकारी योजनाओं व उनके नाम पर बने जिले, स्थलों, विश्वविद्यालयों आदि के नाम बदलने का काम निन्दनीय है। अर्थात इस प्रकार की द्वेषपूर्ण राजनीति करने के बजाये, सपा व भाजपा दोनों ही सरकारों को नयी योजना व नये संस्थान आदि स्थापित करके उनका नया नामकरण करना चाहिए। यही सही व मर्यादित काम माना जा सकता है। और अवश्य ही इस प्रकार के उपरोक्त नाकारात्मक मामलों का सीधा प्रभाव दिल्ली विधानसभा आमचुनाव पर भी पड़ा है और भाजपा व श्री मोदी को लोगों ने एकतरफा होकर बुरी तरह से नकार दिया और आम आदमी पार्टी को एक जवाबदेह सरकार चलाने के लिये प्रचण्ड बहुमत दे दिया है।
इस प्रकार, जिस तरह कांग्रेस पार्टी की कमियों, ग़लत आर्थिक नीतियों व भ्रष्टाचार आदि से सख़्ती से नहीं निपटने की ग़लत कार्यशैली के खि़लाफ भरपूर जनभावना जगाकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव स्पष्ट बहुमत के साथ जीत लिया था, ठीक उसी ही प्रकार,आम आदमी पार्टी ने भी भाजपा व श्री मोदी सरकार के खि़लाफ लगभग उन्हीं मुद्दों पर, वैसा ही जनमत बनाकर, भाजपा को दिल्ली विधानसभा आमचुनाव में करारी शिकस्त दे दी है। और लोगों द्वारा एक मन से भाजपा, को सबक़ सिखाने का मन बनाने का परिणाम यह हुआ कि इस एकतरफा वोट के कारण हमारी पार्टी को भी अपेक्षा से काफी कम सफलता मिली है। दूसरी पार्टियों को भी इसका प्रभाव झेलना पड़ा है। हालांकि हमारी पार्टी को इस चुनाव में इसलिए भी कुछ ज्यादा ही नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने से पहले यहाँ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जो सरकार चल रही थी उसे केन्द्र में साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से बाहर रखने के लिए मजबूरी में, हमारी पार्टी का भी समर्थन मिला हुआ था और इसी दौरान दिल्ली में भी कांग्रेस पार्टी की ही सरकार चल रही थी जिसका हमारी पार्टी को भी इस चुनाव में काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
परन्तु दिल्ली विधानसभा आमचुनाव का यह परिणाम ख़ासकर उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए भी एक अच्छा सन्देश इस मायने में लेकर आया है कि इस सपा सरकार ने भी अपने लगभग तीन वर्ष के शासनकाल में अब तक केवल लोक-लुभावन बातें ही किये हैं। उन्हें ज़मीन पर अमलीजामा पहनाकर लोगों को उसका फायदा पहुँचाने के बजाय, केवल सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से ही जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है।
कुल मिलाकर इन सभी मामलों में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार से प्रदेश की लगभग 20 करोड़ जनता इनती ज़्यादा त्रस्त व दुःखी है कि उसे बस सही मौक़े की तलाश है, जो अब ज़्यादा दिन दूर नहीं है। हालांकि केन्द्र की श्री मोदी सरकार अगर सही इच्छाशक्ति रखती तो उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के जंगलराज व महिला असुरक्षा एवं हर स्तर पर एक प्रकार से अराजकता के महौल को ध्यान पर रखकर सही क़ानूनी कार्रवाई कर सकती थी, परन्तु ऐसा नहीं किया गया हैं। इस प्रकार यू.पी. की हर मामले में दयनीय स्थिति के लिये प्रदेश की सपा सरकार के साथ-साथ केन्द्र की भाजपा सरकार को भी कोई कम दोषी नहीं माना जा सकता है। और इन परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश में ख़ासकर बी.एस.पी. से यह पूरी उम्मीद लगी हुयी है कि यहाँ इस पार्टी की सरकार ही जंगलराज समाप्त करके अपराध नियंत्रण व कानून-व्यवस्था एवं जनहित व विकास के मामले में बेहतरीन सरकार दे सकती है और बी.एस.पी. का नेतृत्व वर्तमान में भी उनके इस भरोसे व विश्वास को सही साबित करने के लिये हमारी पार्टी का युद्ध स्तर पर प्रयास भी जारी है।
इसके इलावा आज सपा सरकार के मुखिया द्वारा ‘‘आई.ए.एस. वीक‘‘ की भी बैठक में अधिकारियों से यह उम्मीद करना कि वे विकास व जनहित के मामले में अपना अच्छा रिज़ल्ट देंगे तो इस मामले में मैं यह समझती हूँ कि यह सब इस सरकार के चलते हुये यहाँ कतई भी मुमकिन नहीं हो सकता है क्योंकि जिस सरकार में आयेदिन थोक के भाव आई.ए.एस. व आई.पी.एस. अधिकारियों के तबादले होते रहें तो फिर प्रदेश सरकार के अधिकारी-गण भी यहाँ अपनी जि़म्मेवारी का अच्छी प्रकार से निर्वहन नहीं कर सकते हैं।
इसके साथ ही मुझे यह भी मालूम हुआ है कि इस सरकार के मुखिया ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घूस लेते हुये एक वीडियो भी इस बैठक में दिखाया है। लेकिन इस सरकार के इस किस्म के नाटक करने से यहाँ प्रदेश में भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो सकता है क्योंकि जिस सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री खुद ही अपने अधिकारियों को यह कहे कि आप जो भी कमीशन व घूस आदि लेते हैं उसमें से थोड़ा आप रख लेऔर ज्यादा आप हमें ही देंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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