इश्क व प्यार जरूर करें लेकिन ध्यान रहे बलात्कार, दूराचार, एसिड़ अटैक, अपहरण व कत्ल न हो ऐसे एकतरफा प्रेम का अन्जाम।
प्यार को समर्पित भवना से करने पर अपराधिक मानसिक्ता नहीं हो सकती।
प्यार का अपराधिक अन्त एक तरफा इश्क की जिद, इंटरनेट, फेसबुक, वाहट्सअप अपराधीकरण का बहुत बडा कारण।
हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा वैलेन्टाइन डे की पूर्व संध्या पर दिनांक 13.02.2015 को कालीचरण डिग्री, काॅलेज, चैक, लखनऊ में कार्यषाला श्स्व्टम् व्त् ब्न्त्ैम्श् का आयोजन किया गया। कार्यषाला का मुख्य उद्देष्य युवाओं में किसी रिष्ते के सफल न होने पर बढ़ती हुई हिंसक प्रवृत्ति जैसे अपहरण, बलात्कार या एसिड अटैक के बारे में विर्धािर्थयों को जानकारी देना था व उनसे यह अपील करना था कि वे अपराधिक प्रवृत्तियों मे लिप्त होकर अपनी व किसी और की जिंदगी बर्बाद न करें। 150 विधार्थियों ने कार्यशाला में भाग लिया।
कार्यषाला का षुभारम्भ राश्ट्रगान से हुआ। तत्पष्चात् सभी गणमान्य अतिथियों माननीय श्री दिनेष यादव जी, एस.पी., टी. जी., लखनऊ पुलिस, माननीया सुश्री रंजना अग्निहोत्री जी, अधिवक्ता, उच्च न्यायाल, माननीया डा0 श्रीमती भारती सिंह जी, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, महाराजा बिजली पासी पोस्ट ग्रेजुएट काॅलेज, लखनऊ, माननीया श्रीमती मंजू नौटियाल जी, प्रिंसपल, सी.एम.एस. जापलिंग रोड़, माननीय डा0 श्री देवेन्द्र कुमार सिंह जी, प्रधानाध्यापक, कालीचरण डिग्री काॅलेज, लखनऊ, माननीय श्री महेन्द्र भीष्म जी, लेखक, श्री विनोद धवन जी, आर्किटेक्ट, श्री हरिशंकर जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च नयायालय लखनऊ व श्री हर्शवर्धन अग्रवाल फाउण्डर ट्रस्टी, हेल्प यू एजुकेेषनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट ने दीप प्रज्जवनल कर कार्यषाला का उद्घाटन किया।
सभी गणमान्य अतिथियों का हर्शवर्धन अग्रवाल द्वारा प्रतीक चिन्ह व पुश्प गुच्छ से सम्मान किया गया व सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए हर्श वर्धन अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान समय में प्रेम की परिभाशा बदल गयी है। आज से कुछ साल पहले तक प्रेम को समर्पण का पर्याय माना जाता था लेकिन अब प्रेम अधिकार का पर्याय बन चुका है। आज का युवा वर्ग अपने प्रेम को हर हालत में पाना चाहता है और अगर उसकी कोषिष बेकार हो जाती है तो अपराधिक रास्ते अपना लेता है जैसेः- अपहरण, बलात्कार, एसिड अटैक इत्यादि। आज हम अपनी कार्यषाला के माध्यम से युवा वर्ग से यह अपील करना चाहते हैं कि किसी रिष्ते का अंत जीवन का अंत नही है अगर आप अपने रिष्ते मे सफल नहीं होते तो अपराधिक रास्तों को अपनाने के स्थान पर अपने माता-पिता व विद्यिक सलाहकार से परामर्ष लें व अपना आपा न खोकर अपनी व किसी और की जिंदगी बर्बाद न करें।
माननीय डा0 श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह, प्रधानाचार्य, कालीचरण डिग्री काॅलेज, लखनऊ ने हेल्प यू एजुकेषनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के इस प्रयास की सराहना की व कहा कि स्वयं सेवी संस्थायें समाज सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं युवा हमारे देश का भविश्य है जिनका मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है। मैं समस्त माता-पिता से उम्मीद करता हूं की वह अपने बच्चों में सामाजिक संस्कार अवश्य डालें।
माननीय श्री दिनेष यादव जी एस. पी., टी. जी., लखनऊ ने कहा कि इश्क व प्यार जरूर करें लेकिन ध्यान रहे बलात्कार, दूराचार, एसिड़ अटैक, अपहरण व कत्ल न हो ऐसे एकतरफा प्रेम का अन्जाम। प्यार को समर्पित भवना से करने पर अपराधिक मानसिक्ता नहीं हो सकती। प्यार का अपराधिक अन्त एक तरफा इश्क की जिद्। युवाओं को विशेषतर अपराधिक रास्ते से बचने के लिये परिवार में विचार विमर्श करना चाहिये व विद्यिक सलाह लेनी चाहिये। ज्यादातर अपराधिक मामले एक तरफा प्यार का अन्जाम पाये गये हैं। अपराधिक मामलों में रिश्तों में विश्वासघात एक बडा कारण भी मिलता है। इन सबका समाधान आपसी बातचीत पारिवारिक व विद्यिक सलाह से निकाला जाना चाहिये न की किसी अपराध को अन्जाम देकर। श्री यादव ने वर्तमान युग में फेसबुक, वाट्सअप जैसे आधुनिक संचार सुविधा का दुरूपयोग भी अपराधों मे बढोतरी का कारण बताया। इंटरनेट की सुविधायें कितनी वास्तविक हैं इसके विषय में आकलन करना संभव नहीं हैं। माता-पिता को बच्चों द्धारा प्रयोग में लायी जा रही मोबाइल, लैपटाप, टैबलेट, फेसबुक व वाहट्सअप पर निगरानी रखनी चाहिये तभी अपराधों पर लगाम लगायी जा सकती है। ज्ञममच ल्वनत ज्ञपजे ैंमि व्दसपदम पुस्तक द्धारा साइबर क्राइम सेल लखनऊ पुलिस का वितरण भी किया गया।
माननीया सुश्री रंजना अग्नीहोत्री जी, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय ने बताया कि “प्रेम वैदिक काल में भी किया जाता था और आज भी किया जाता है। उस समय ग़लत करने वालों को भी सज़ा मिली व वर्तमान में भी गलत करने वालो को सजा देने का प्रावधान है। अगर प्रेम सीखना है तो भगवान षिव व माता पार्वती से सीखो जिसमें भगवान षिव नें अर्धनारीष्वर का रूप रखकर अपना आधा षरीर पार्वती जी को दे दिया। भगवान राम व माता सीता से सीखो जिसमें भगवान राम ने सीता जी के धरती में समा जाने के बाद दूसरा विवाह नही किया। पर राजा बालि वाला प्यार मत सीखो जो तारा के मना करने पर उसे खींच कर ले आये। मेरा मानना है कि अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ गलत करता है तो कन्या कभी अपवित्र नहीं होती बल्कि उस लड़के को आत्मग्लानि होती है। माननीय सुप्रीम कोर्ट में भी इन अपराधिक प्रवृत्तियों की सजा हेतु नियम बनायें गये है।“
माननीया डा0 श्रीमती भारती सिंह जी, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, बिजली पासी षासकीय पोस्ट ग्रेजुएट काॅलेज, लखनऊ ने बच्चो को सही परवरिष देने के लिये कहा कि “माता पिता को षुरूआत से ही बच्चो की परवरिष पर ध्यान देना चाहिये व लड़का व लड़की में भेदभाव नही करना चाहिये। यदि हम षुरूआत से ही उन्हें अच्छे संस्कार देगें तो वे निष्चय ही अपराध की दिषा मे नहीं जायेगें। युवावस्था में माता-पिता को बच्चों को अपना दोस्त समझना चाहिये जिससे बच्चे हर बात अपने माता-पिता से सेयर कर सकें। इससे उनमें अपराध की भावना का विकास नही होगा।“
माननीया श्रीमती मंजू नौडियाल, प्रधानाध्यापिका, सिटी माॅटेंसरी स्कूल, लखनऊ ने कहा कि “हमें अपने बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करनी चाहियें व उन्हें यह समझाना चाहियें कि सकारात्मक सोच के द्वारा ही हम जीवन में कुछ हासिल कर सकते है। हमें अपने बच्चों में ना सुनने की आदत डालनी चाहियें जिससे किसी रिष्तें सके सफल न होने पर वे न तो अवसाद में चले जायें न ही अपराधिक प्रवृत्ति सके बन जायें।“
कार्यषाला में कालीचरण डिग्री काॅलेज के विधार्थी रूपाली उपाध्याय, हासिम अंसारी, सुजाता जैन, अमित सिंह, गौरव द्धिवेद्धी, सुभम पाण्डेय, राजीव सचदेवा द्धारा लघु नाटक प्रस्तुत किया गया व विधार्थियों द्धारा वक्तागणों से सवाल पूंछकर अपनी जिज्ञासा को षान्त किया। सभी प्रष्न पूछने वाले 25 विधार्थियों को हेल्प यू एजुकेषनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से प्रमाण पत्र दिया गया।
कार्यषाला के अंत में श्री हर्शवर्धन अग्रवाल ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट कर कार्यषाला का समापन किया। कार्यषाला का संचालन श्री महेन्द्र ‘भीश्म’ जी ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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