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भारत को कृमि मुक्त। बनाने के लिए नई डी.वॉर्मिंग योजना की शुरूआत

Posted on 12 February 2015 by admin

राष्ट्री य डी.वॉर्मिंग दिवस 10 फरवरीए 2015 को मनाया जायेगा। इस संदर्भ में स्वा्स्य्ा   एवं परिवार कल्यायण मंत्रालय ने 9 फरवरी 2015 को जयपुर में राष्ट्री य डी.वॉर्मिंग पहल की शुरूआत की।
डी.वॉर्मिंग
मानव और पशुओं को राउंड वॉर्मए हुक वॉर्मए फ्लूक और टेप वॉर्म जैसे परजीवी कृमियों से बचाने के लिए एंटी हेलमिंटिक दवा दी जाती है। स्कूॉली बच्चोंू के सामूहिक डी.वॉर्मिंग अभियान के तहत हेलमिनथिएसिस की रोकथाम और उपचार के लिए इस दवा का इस्तेूमाल किया जाता है। इसमें मिट्टी के संपर्क से पैदा होने वाला हेलमिनथिएसिस भी शामिल है। बच्चोंा का उपचार मेबेनडेजॉल और एलबेनडेजॉल से किया जा सकता है। एलबेनडेजॉल की एक गोली से बच्चोंज को परजीवी कृमियों से बचाया जा सकता हैए जो बच्चेॉ की आंतों में रहते हैं और मानसिक स्वा्स्य्न   तथा शारीरिक विकास के लिए आवश्याक पोषण तत्वों  को अपना आहार बनाते हैं। यह गोली संक्रमित और गैर संक्रमित बच्चों  के लिए सुरक्षित है तथा इसका स्वा द बहुत अच्छा  है।
हेलमिंथ्सऔ
यह परजीवियों का एक समूह है जिन्हें  कृमि के रूप में जाना जाता है। इनमें सिस्टोथसोम्सव और मिट्टी के संपर्क से पैदा होने वाले हेलमिंथ्सज शामिल हैं। यह संक्रमण विकासशील देशों के आम संक्रमणों में से एक है। मामूली संक्रमण पर प्रायरू ध्याहन नहीं जाताए लेकिन गंभीर कृमि संक्रमण होने पर पेट में दर्दए कमजोरीए आयरन की कमी से पैदा होने वाली रक्तन अल्पंताए कुपोषणए शारीरिक विकास का रुकना आदि जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं। संक्रमणों के कारण मानसिक कमजोरी हो सकती है तथा ऊतकों का नुकसान भी संभावित हैए जिसके लिए शल्या चिकित्साी आवश्यसक होती है।
विश्व  स्वामस्य्ी   संगठन की सिफारिशें
कृमि संक्रमण को कम करने के लिए महामारी क्षेत्रों में रहने वाले स्कूंल जाने की आयु वाले बच्चोंं के इलाज के लिए विश्वर स्वाेस्य् स  संगठन ने समय आधारित औषध उपचार की सिफारिश की है। संगठन का कहना है कि पूरी दुनिया में स्कू्ल जाने की आयु वाले संक्रमित बच्चों  की संख्या  लगभग 600 मिलियन हैए जिनकी डी.वॉर्मिंग करने से स्कूंलों में उनकी उपस्थिति बढ़ेगीए उनका स्वागस्य्ै   ठीक होगा और वे सक्रिय होंगे। अधिकतर प्रकार के कृमि मुंह से लेने वाली दवा से मर जाते हैं। यह दवा बहुत सस्तीन है और उसकी एक ही डोज दी जाती है।
इस तरह देखा जाये तो डी.वॉर्मिंग उपचार कठिन और महंगा नहीं है। इसे स्कू लों के जरिए आसानी से किया जा सकता है और उपचार के बाद बच्चों  को बहुत फायदा होता है। पूरी दुनिया में अभी भी हजारोंए लाखों बच्चेच ऐसे हैं जिन्हें  कृमि संक्रमण का जोखिम है। इनके उपचार के लिए स्कू ल आधारित डी.वॉर्मिंग उपचार की नीति बनाई जानी चाहिए ताकि स्वा स्य्इन ए शिक्षा और विकास में तेजी आ सके।
सरकार की पहलें
राष्ट्री य ग्रामीण स्वा।स्य्बच  मिशन के तहत स्कूल स्वाास्य्खि  कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कार्यक्रम में यह प्रावधान किया गया है कि वर्ष में दो बार निर्धारित अवधि में राष्ट्रीसय दिशा निर्देशों के आधार पर डी.वॉर्मिंग की जायेगी। बिहार में विश्वत की सबसे बड़ी स्कूील आधारित डी.वॉर्मिंग पहल की शुरूआत की गई थी। दिल्लीी सरकार ने भी इसी तरह के अभियान चलाये थे। विश्व‍ स्वाकस्य्ई   संगठन के आंकड़ों के अनुसार 1 से 14 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 24 करोड़ बच्चों  को आंतों में पलने वाले परजीवी कृमियों से प्रभावित होने का जोखिम है।
नई योजना के तहत एक से 19 वर्ष की आयु वर्ग के स्कूसल पूर्व और स्कूआली आयु के बच्चोंम ;पंजीकृत और गैर पंजीकृतद्ध के डी.वॉर्मिंग करने का स्वा स्य्र्  मंत्रालय ने लक्ष्य् निर्धारित किया है। पहले चरण के दौरान असमए बिहारए छत्तीरसगढ़ए दादर एवं नागर हवेलीए हरियाणाए कर्नाटकए महाराष्ट्रतए मध्य  प्रदेशए राजस्थावनए तमिलनाडु और त्रिपुरा जैसे 11 राज्यों ध्केंद्रशासित प्रदेशों के 14 करोड़ बच्चों  को रखा गया है। दूसरे चरण के दायरे में लगभग 10 करोड़ बच्चों  को रखा गया है। 10 फरवरी 2015 को राष्ट्रीेय डी.वॉर्मिंग दिवस पर पहले चरण की शुरूआत की जायेगी। इसके तहत सभी लक्षित बच्चों  को एलबेनडेजॉल की गोलियां दी जायेगी। तदनुसार एक से दो वर्ष के बच्चों  को इसकी आधी गोली और 2 से 19 वर्ष के बच्चोंि को इसकी पूरी गोली खिलाई जायेगी। जो बच्चेष बच जायेंगे उन्हें  14 फरवरी 2015 तक इसके दायरे में लाकर डी.वॉर्म किया जायेगा।
स्वामस्य्ं   मंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत को पोलियो मुक्तो करने के बाद अब बच्चोंई में व्यााप्ते आंत में पलने वाले परजीवी कृमियों का इलाज करके देश को कृमि मुक्त  भी बनाया जायेगा।  उन्होंंने स्कूउली अध्या पकों सहित सभी सांसदोंए विधायकोंए स्थायनीय निकायों के प्रतिनिधियोंए आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों का आह्वान किया कि वे एकजुट होकर सरकार के इस अभियान का समर्थन करें ताकि भारत को कृमि मुक्तो देश बनाया जा सके।
इस पहल के लिए जरूरी है कि इसके साथ स्वतच्छतता और स्वाटस्य्र   में सुधार किया जाये तथा सुरक्षित पेयजल को उपलब्धू कराया जाये ताकि कृमि का जोखिम कम हो सके। इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालयए मानव संसाधन विकास मंत्रालयए पंचायती राज मंत्रालय और जल एवं स्व च्छमता मंत्रालय की सक्रिय भागीदारी और साझेदारी आवश्यकक है। आशा की जाती है कि डी.वॉर्मिंग पहल से प्रधानमंत्री के स्व च्छआ भारत के स्विप्नध को पूरा किया जा सकता है।
इस छोटी परंतु आजमाई हुई पहल का स्वा स्य्री ए शिक्षा और विकास जैसे विभिन्न् क्षेत्रों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
’डॉण् एचण् आरण् केश्वगमूर्तिए पत्र सूचना कार्यालयए कोलकाता में निदेशक हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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