भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता संवैधानिक मर्यादो को भूलकर अब राज्यपाल का भी विरोध करने पर उतर आये है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने गोरखपुर में राज्यपाल राम नाईक का सपाईयों द्वारा किये गये विरोध को सत्तारूढ़ दल की बौखालहट का नतीजा बताया। उन्होंने कहा राज्यपाल अपने पद और गरिमा के अनुरूप संवैधानिक मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर प्रदेश की कानून व्यवस्था महिलाओं पर होने वाले अत्याचार की घटनाओं सहित जनहित के अन्य मुद्दों पर राज्य सरकार को सुझाव व सलाह देते रहते है। लेकिन सपाईयों को राज्यपाल का जनहित के मुद्दों को उठाना रास नहीं आ रहा हैं। इसीलिए वे अब राज्यपाल के विरोध में सड़कों पर उतर आये है।
श्री पाठक ने कहा राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद होता है उसे किसी दल या व्यक्ति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उ0प्र0 में राज्यपाल के रूप में राम नाईक संविधान की मंशा के अनुरूप बेहतर ढ़ंग से अपने कत्र्तव्यों का पालन कर रहे है। प्रदेश में बढ़ते अपराध और महिलाओं के साथ हो रहे सनसनी खेज घटनाओं को राज्यपाल द्वारा संज्ञान लिये जाने से समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार दोनों ही खुद को असहज महसूस करते है। इसलिए अब सपा कार्यकर्ता राज्यपाल का विरोध करने पर उतारू है। गोरखपुर में राज्यपाल का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था फिर भी पुलिस प्रशासन और स्थानीय खुफिया तंत्र को सपाईयों के विरोध प्रर्दशन की जानकारी कैसे नहीं थी यह विचारणीय प्रश्न हैं।
श्री पाठक ने कहा कि वास्तव में सत्ताधारी दल के होने के कारण सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करने में पुलिस बचती रही। उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में उ0प्र0 की पहचान अपराधिक प्रदेश के रूप में बनी है। सपा सरकार के राज में प्रदेश में न सिर्फ कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हुई है। बल्कि सपा कार्यकर्ताओं ने भी अपनी दंबगई और मनमानी से प्रदेश में जनता के बीच दहशत व भय का माहौल बना रखा है। सपा कार्यकर्ता पहले भी कई बार अपनी दंबगई का सरेआम प्रदर्शन कर चुके है सपाईयों ने कभी पुलिस अधिकारियों को बोनट पर टांगकर सड़को पर घुमाया तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों से बदसलूकी की। अब ये सपाई अपनी हदे पार कर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ भी धरना प्रदर्शन पर उतारू है। भाजपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सलाह देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं इसलिए उनकी दोहरी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को अमर्यादित आचरण करने से रोके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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