समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि पिछले आठ महीनों से सामाजिक सरमरसता को तोड़नेवाली गतिविधियों पर प्रधानमंत्री जी की चुप्पी से कई सवाल उठ खड़े हुए है। केन्द्र में भाजपा की सरकार बनते ही धर्मांन्तरण, घर वापसी, लवजिहाद, 10-10 बच्चे पैदा करने की अपील, गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की दिल्ली-मेरठ में मूर्ति लगाने, उसके नाम पर हरियाणा में पुल का नामकरण करने के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उसके सहयेागी संगठन ही रहे है। दिल्ली में कई गिरजाघरों पर हमले भी इसी कड़ी में हुए हैं।
देश में राष्ट्रीय एकता का मूल आधार अनेकता में एकता और सभी धर्मो और वर्गो के बीच सहयेाग सामंजस्य की भूमिका रही है। यहां बहुधर्मी, बहुसंस्कृति और बहुभाषी लोग रहते हैं। भारत का संविधान सबको अपने धार्मिक विश्वासों के साथ जीने का हक देता हैं। इस पर आघात की कल्पना भी नहीं होनी चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत में कथित धार्मिक असहिष्णुता का जिक्र करते हुए कहा है कि आज गांधी जी होते तो स्तब्ध रह जाते। वैसे अमेरिकी राष्ट्रपति का यह कथन पूर्णतया उचित नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि मूलतः भारतीय मानस सहिष्णु और समन्वयवादी है।
इसमें दो राय नहीं कि इस समय देष में सांप्रदायिक सद्भाव नष्ट होने और सामाजिक तानाबाना तोड़ने का प्रयास है। इससे विदेशों में भी देश की छवि खराब हो रही है। अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का भाव बढ़ रहा है। पारस्परिक सौहार्द पर आंच आना देशहित में नहीं है।
समाजवादी पार्टी भाजपा की सांप्रदायिकता के खिलाफ बराबर संघर्ष करती रही है। श्री मुलायम सिंह यादव हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि देश आस्था से नहीं, संविधान से चलता है। लेकिन भाजपा तो अब संविधान की मूल प्रस्तावना में उल्लिखित धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को ही हटाने का इरादा जता चुकी है। उसका यह आचरण लोकतंत्र के लिए भी खतरे की घंटी है। कम से कम उत्तर प्रदेश में तो लाख कोशिशों के बाद भाजपा अपने कुत्सित प्रयास में सफल नहीं हो सकती। यहंा श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार है और कानून का राज है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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