समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि संविधान निर्माताओं को उम्मीद थी कि संघीय ढांचे में केन्द्र और राज्य की सरकारों के बीच सामंजस्य नहीं होगा। लोकतंत्र में केन्द्र राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारों की संम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी है उसने गैर भाजपाई राज्य सरकारों के साथ सौतेलेपन का व्यवहार कर रखा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है उसके प्रति केन्द्र का असहिष्णु व्यवहार संविधान और लोकतंत्री मर्यादा दोनों का अपमान है।
केन्द्र के सौतेले व्यवहार के कारण ही मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का हक पाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखने पड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण के लिए 50 हजार करोड़ रूपए केन्द्र से मिलने हैं। मनरेगा के लिए 5000 करोड़ रू0 मांगे गए है। पुलिस आधुनिकीकरण के लिए 6500 करोड़ रूपए की जरूरत है। इसके पूर्व मुख्यमंत्री जी प्रदेश के लिए अन्य विकास योजनाओं के मद से विशेष पैकेजों की मांग उठा चुके हैं।
प्रदेश में खाद की कमी की शिकायतें हुई। खाद की सब्सिडी के रूप में 55 करोड़ रूपए बकाये थे जिससे कारखानों में खाद आनी कम हो गई थी। जब मुख्यमंत्री जी ने केन्द्र को पत्र लिखा तब कार्यवाही हुई। प्रदेश में चीनी संकट के मद्देनजर मुख्यमंत्री जी ने शूगर इंडस्ट्री को अधिक रियायतें एवं वित्तीय सहायता दिए जाने की मांग की है। देश का सर्वाधिक गन्ना क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश में है। इसलिए मुख्यमंत्रत्री जी ने रा शुगर के निर्यात की सब्सिडी 4000 करोड़ रूपए प्रति टन करने तथा कम से कम 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने का अनुरोध किया है। चीनी आयात शुल्क की दर को 25 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किए जाने की मांग है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव कोटे की बिजली की आपूर्ति में कमी के लिए भी केन्द्र सरकार को कई पत्र लिख चुके हैं। प्रदेश को अन्य राज्यों की अपेक्षा कम बिजली मिल रही है। थर्मल पावर स्टेशनों को कोयले की आपूर्ति बाधित होने से विद्युत उत्पादन में ंदिक्कते आती हैं। अन्य योजनाओं के मद में 4500 करोड़ रूपए का भुगतान भी अभी तक केन्द्र से नहीं हो पाया है।
केन्द्र की सत्ता में आने के बाद से भाजपा नेतृत्व का अहंकार बढ़ गया हैं। इसके चलते वे विपक्षी दलों की सरकारों के साथ असहयोग का रास्ता अख्तियार किए हुए हैं। केन्द्र राज्य के रिश्तों में खटास आना अच्छी बात नहीं है। इससे लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा को ठेस पहुॅचती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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