समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि भाजपा की दो मुंही राजनीति देश में विघटन, अलगाववाद और अराजकता को प्रोत्साहित कर रही है। प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास का नारा देते हैं और केन्द्रीय गृहमंत्री कहते हैं कि घर वापसी जैसे कार्यक्रमों के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन उनकी ही पार्टी के कई संत-महंत और साध्वी ऐसे बयान देते घूम रहे हैं जिससे समाज में विभेद और वैमनस्य का वातावरण बने। भाजपा का मातृ संगठन आरएसएस है जिसके प्रमुख भी जब तब ऐसे बयान देते हैं जिससे सामाजिक सद्भाव टूटे और सांप्रदायिक तनाव बढ़े।
कायदे से यह बात साफ होनी चाहिए कि भाजपा की अधिकृत लाइन क्या है ? केन्द्र की सरकार देश में रहनेवाले सभी भारतीयों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है अथवा किसी खास संप्रदाय के लिए ही समर्पित है। आरएसएस तो अपने जन्म से ही सांप्रदायिकता को बढ़ावा देनेवाला संगठन रहा है। द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत का वह पोषक रहा है। भाजपा संघ का ही बनाया हुआ संगठन है पर वह अपनी राजनीति के लिए देशवासियों के बीच भ्रामक माहौल बनाए रखता है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद के लिए प्रतिबद्ध राष्ट्र है। संविधान में इसका प्रारम्भ में ही स्पष्ट उल्लेख है। लेकिन भाजपा केन्द्र सरकार इतिहास, पाठ्यक्रम बदलने के साथ ही संविधान की मूल भावना के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। यह देश बहुभाषी, बहुधर्मी और अनेकता में एकता के दर्शन का साक्षी है। लेकिन भाजपा इनकी विरोधी है। वह सामाजिक तानाबाना को तोड़ने में लगी है। राष्ट्र की एकता, अखंडता को कट्टरवादी विचारधारा से खतरा है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का सांप्रदायिकता की खिलाफत का पुराना इतिहास रहा है। श्री मुलायम सिंह यादव ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता के लिए संघर्ष की अगुवाई की है। इसी के चलते भाजपा को उत्तर प्रदेश में चुनावो में खतरा बना रहता है। उसके नेता चाहे जितनी साजिशें रच लें वे यहां सफल नहीं होनेवाले है क्योंकि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में यहां विकास की नई-नई परियोजनाएं चल रही है। इन परियोजनाओं का लाभ समाज के सभी वर्गोे और किसानों, नौजवानों और अल्पसंख्यको को मिल रहा है।
भाजपा को इस सच्चाई को मान लेना चाहिए कि समाजवादी पार्टी के रहते उत्तर प्रदेश में भाजपा की अराजकता और साम्प्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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