उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री राम नाईक ने आज विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर कहा कि मैं राज्यपाल की हैसियत से नहीं, बल्कि कैंसर पर विजय प्राप्त करने वाले एक व्यक्ति के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहा हूँ। उन्होंने बताया कि 20 वर्ष पहले उन्हें भी कैंसर हुआ था। नियमित इलाज कराने और अपनी इच्छाशक्ति को बनाये रखकर ही उन्होंने कैंसर रोग पर विजय पाई और आज पूर्व की भांति कार्य कर रहे है। कैंसर पीडि़त रोगियों में दवा के साथ इच्छाशक्ति बहुत जरूरी है। कैंसर रोग पर विजय प्राप्त करने में मरीज के उत्साहवर्द्धन में परिवारजनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में पूरे विश्व में 82 लाख लोगों की इस गम्भीर बीमारी से जान गयी थी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का स्लोगन ‘छवज इमलवदक ने’ का उद्घोष किया गया है, जिससे हम दृढ़ इच्छाशक्ति से कैंसर जैसे रोग पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि कैंसर के निदान के लिये जागरूकता की आवश्यकता है। बीमारी की समय पर पहचान हो जाये तो इसके घातक परिणाम से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पेट, मुंह तथा शरीर के किसी भी अंग में कैंसर हो सकता है। रेडियोथरैपी, कीमोेथरैपी और आपरेशन के साथ ही आज भारतीय आयुर्वेद पद्धति में भी कैंसर का इजाज सम्भव हो गया है। उन्होंने कहा कि कैंसर का इलाज महंगा होता है। उन्होंने आह्वान किया कि कैंसर रोग के क्षेत्र में कार्य कर रही स्वैच्छिक एवं साामाजिक संस्थाओं को आर्थिक सहायता देनी चाहिये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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