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छात्रों के सर्वांगीण विकास की साक्षी बने शिक्षा — देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों की आम राय

Posted on 03 February 2015 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग के तत्वावधान में चल रहे चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्री-प्राइमरी एवं प्राइमरी प्रधानाचार्य सम्मेलन का तीसरा दिन आज बेहद चिलचस्प रहा। देश-विदेश के शिक्षाविदों ने अपने विस्तृत अनुभव और ज्ञान द्वारा गागर में सागर उड़ेल कर रख दिया। पाकिस्तान, यू.के., माॅरीशस, नेपाल एवं भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे 500 से अधिक प्रधानाचार्यों व शिक्षाविद्ों ने अपने नवीन विचारों द्वारा प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा को बच्चों के अनुकूल बनाने के अनेक प्रस्ताव रखे और गहन चर्चा की। सम्मेलन में आज सम्पन्न हुई विस्तृत चर्चा में देश-विदेश के शिक्षाविदों ने एक स्वर से कहा कि आज के समय में शिक्षा की परिभाषा अत्यन्त व्यापक हो गई है, ऐसे में शिक्षा मात्र किताबी ज्ञान का जरिया न बनें अपितु मनुष्य में मनुष्यता का समावेश कर भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास में सहायक हो। लगभग सभी प्रतिभागी शिक्षाविदों का मानना था कि भविष्य के लिए हमें प्री-प्राइमरी शिक्षा की जड़े मजबूत करनी होगी, इसी में सम्पूर्ण मानव जाति की भलाई है।
आई.सी.पी.पी.पी.-2015 के तीसरे दिन आज प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश
गाँधी ने ‘कन्टेन्ट आॅफ एजुकेशन फाॅर द ट्वेन्टी फस्र्ट सेन्चुरी’ विषय पर व्याख्यान देते हुए अपने 55 वर्षीय शैक्षिक अनुभव का सार उड़ेलकर रख दिया एवं देश-विदेश से पधारे शिक्षाविद्ों का भावी पीढ़ी में गुणात्मक परिवर्तन हेतु मार्गदर्शन किया। अपने सारगर्भित संबोधन में डा. गाँधी ने कहा कि शिक्षा का स्तर ऊँचा रखने के लिए माता-पिता का सहयोग, छात्रों का अध्यापक को अपनी समस्याएं बेझिझक बताना व प्रत्येक छात्र की निजी समस्या को ध्यानपूर्वक सुनना, समझना, शिक्षा में सुधार के लिए परम आवश्यक है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि शिक्षा द्वारा हम समाज में ऐतिहासिक परिवर्तन ला सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में सामाजिक विषमताओं से मुक्ति के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् के मूलमंत्र पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को विश्वव्यापी बनाना अब अनिवार्य हो गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह आयोजन शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों के अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हुआ है तथापि सी.एम.एस. के इस प्रयास को देश-दुनिया के शिक्षाविदों का भरपूर समर्थन व सहयोग प्राप्त हुआ है।
इससे पहले, सम्मेलन के तीसरे दिन की शुरुआत आई.सी.पी.पी.पी.-2015 की संयोजिका एवं सी.एम.एस. क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग की हेड सुश्री सुष्मिता बासु द्वारा ‘क्वालिटी अश्योरेन्स एण्ड इनोवेशन डिपार्टमेन्ट एण्ड द बिल्डिंग ब्लाक्स आॅफ सी.एम.एस. एजुकेशनप’ पर मल्टीमीडिया प्रजेन्टेशन से हुई। इस प्रस्तुति में सुश्री बासु ने कहा कि उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए हमेशा बेहतर करने की खोज जारी रहनी चाहिए। इसमें अनुसंधान परक दृष्टिकोण से लेकर अनवरत मूल्यांकन एवं विकास शामिल है। सुश्री बासु ने सी.एम.एस. शिक्षा पद्धिति के चार स्तम्भों यथा ‘यूनिवर्सल वैल्यूज (सार्वभौमिक जीवन मूल्य)’, ‘ग्लोबल अण्डरस्टैंडिंग (वैश्विक दृष्टिकोण)’, ‘एक्सीलेन्स इन आॅल थिंग्स (सभी विषयों में उत्कृष्टता)’ एवं ‘सर्विस टु ह्यूमैनिटी (मानवता की सेवा)’ पर प्रकाश डाला।
सी.एम.एस. की आॅनरेरी चीफ ऐकेडमिक एडवाइजर एवं काउन्सिल फाॅर द ग्लोबल एजुकेशन, यूएसए एवं इण्डिया की चेयरपरसन डा. सुनीता गाँधी ने कहा कि आज हम 21वीं सदी में हं फिर भी 19वीं सदी की शिक्षा पद्धति से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है जिसमें बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने ‘व्हाट काइन्ट आॅफ एजुकेशन टु हैव’ विषय पर देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों का ज्ञानपवर्धन करते हुए कहा कि शिक्षा में समय के अनुसार बदलाव लाना ही चाहिए। टीचर्स में लचीलापन, बदलाव लाने का अवसर तथा पढ़ाई के साथ साथ बच्चां को दुनिया एवं प्रकृति की सुन्दरता, संगीत, फूल इत्यादि से रूबरू होने का अवसर प्रदान करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों को व्यवहार, प्रयास एवं निरन्तर विकास का अवसर सदैव होना चाहिए।
इसके अलावा, ‘इन्ट्रोडक्शन आॅफ द सेवेन्थ के.पी.ए. - वल्र्ड पीस एण्ड यूनिटी’ विषय पर की-नोट एड्रेस में सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) की शिक्षिकाओं सुश्री सुप्रिया वर्मा एवं सुश्री फौजिया, सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) की शिक्षिकाओं सुश्री सुषमा राजकुमार एवं सुश्री संविदा अधिकारी एवं सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस की शिक्षिकाओं सुश्री समर मसूद एवं सुश्री नाजिया खान ने अपने सारगर्भित विचारों से देश-विदेश से पधारे शिक्षाविद्ों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जहाँ एक ओर सुश्री सुप्रिया वर्मा एवं सुश्री फौजिया ने अपने प्रजेन्टेशन में दर्शाया कि सी.एम.एस. अपने छात्रों को विभिन्न सामाजिक-शैक्षिक कार्यक्रमों द्वारा टोटल क्वालिटी परसन बनाने को प्रयास रत है, जिनमें सी.आई.एस.वी. कैम्प, आओ दोस्ती करें प्रोजेक्ट, गणतन्त्र दिवस की झांकी, माॅडल क्लास प्रजेन्टेशन, डिवाइन सेमिनार, यूथ इम्पावरमेन्ट प्रोग्राम आदि प्रमुख हैं, तो वहीं दूसरी ओर सुश्री सुषमा राजकुमार एवं सुश्री संविदा अधिकारी ने अपने संबोधन में बताया कि सी.एम.एस. शिक्षा को दैनिक जीवन से जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है जिसमें शिक्षकों की होम विजिट, क्रिएटिव प्ले, बच्चों को वृद्धाश्रम ले जाना, टीचर्स ट्रेनिंग एवं शान्ति व एकता का संदेश दुनिया भर में पहुंचाना प्रमुख है। सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस की शिक्षिकाओं सुश्री समर मसूद एवं सुश्री नाजिया खान ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि शिक्षा का अर्थ है निरन्तर सीखते रहना। सी.एम.एस. अपने छात्रों में ‘जय जगत’ का भाव विकसित कर रहा है। इसके अलावा, सी.एम.एस. छात्र स्वच्छ भारत अभियान, त्योहारों को मिलकर मनाना, सर्वधर्म समभाव एवं पर्यावरण आदि सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर भाग ले रहे हैं।
देश-विदेश से पधारे प्रख्यात शिक्षाविदों द्वारा आज विभिन्न विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।  रीवरसाइड स्कूल, अहमदाबाद से पधारी सुश्री नन्दिनी पारेख एवं सुश्री जान्हवी मेहता ने ‘क्रिएटिंग लाइफ स्किल्स इन स्कूल्स’ विषय पर, इंग्लैण्ड के रेड ओक्स प्राइमरी स्कूल से पधारी सुश्री टेरी मेनहैम ने ‘प्रैक्टिकल डिस्प्ले आइडियाज’ विषय पर, जोड़ो ज्ञान, नई दिल्ली के को-फाउण्डर श्री ई के शाजी ने ‘इश्यूज इन टीचिंग प्लेस वैल्यू - सम पाॅसिबल सल्यूशन’ विषय पर, मुंबई से पधारे लेखक व शिक्षाविद् श्री चिन्तन गिरीश मोदी ने ‘एजुकशन फाॅर पीस - ब्रिजिंग रिलीजन्स एण्ड कल्चरल डिवाइड्स’ विषय पर, पुणे से पधारे श्री अनिरुद्ध गदनकुश ने ‘कम्पैशन इन एक्शन इन द क्लासरूम - ए नाॅन वाइलेन्ट कम्युनिकेशन वे’ विषय पर एवं सी.एम.एस. वल्र्ड यूनिटी एजूकेशन डिपार्टमेन्ट के हेड श्री अनिरुद्ध सिंह ने ‘सीकिंग काॅमनलिटीज थ्रू फेस टु फेथ प्रोग्राम इन सी.एम.एस.’ विषय पर कार्यशालाओं का संचालन किया।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय प्री-प्राइमरी एवं प्राइमरी प्रधानाचार्य सम्मेलन में देश-विदेश के प्रख्यात शिक्षाविद्ों ने अपना अमूल्य समय निकालकर शिक्षा में नये विचारों का जो आदान-प्रदान किया है, उससे निश्चित ही सम्पूर्ण शिक्षा जगत में क्रान्ति आयेगी और आगे आने वाली पीढि़यां स्वयं को खुशहाल व सुरक्षित महसूस करेंगी। प्री-प्राइमरी स्तर से ही छात्रों को उद्देश्यपूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना आज के युग की सबसे बड़ी मांग है और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सी.एम.एस. का यह अन्तर्राष्ट्रीय प्री-प्राइमरी सम्मेलन शिक्षा जगत के लिए एक मिशाल है। श्री शर्मा ने बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन कल 3 फरवरी, मंगलवार को पुरस्कार वितरण व समापन समारोह के साथ सम्पन्न हो रहा है। इस अवसर पर देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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