भारी भरकम बजट और तकनीकी सुविधाओं से लैस होने का दंभ भरने वाले रेलवे महकमे में आये दिन हो रही दुर्घटना चिन्ता का विषय बनती जा रही है। मंगलमय यात्रा का स्लोगन मात्र स्लोगन ही नजर आता है और हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
21 जनवरी की रात 1 बजे का समय श्रमजीवी सुपर फास्ट एक्सप्रेस प्रतिदिन की तरह अपने नियत समय पर दिल्ली से पटना के लिए जा रही थी कि रात 1 बजे अचानक मानव रहित क्रासिंग गेट पर गेट संख्या 61 सी पर पिकअप जीप पर मवेशियों को लादकर तेजी से गेट पार करने के चक्कर में ड्राइवर ने अपना संतुलन खो दिया। नतीजा पिकअप गाड़ी रेवले लाइन में ठीक मान रहित गेट संख्या 61 सी के अन्दर बन्द हो गयी तब तक तेजी से श्रमजीवी एक्सप्रेस पिकअप जीप में टकरा गयी नतीजा जीप पर लदे जानवर पाॅच भैंस एवं तीन गाय की मौके पर ही मौत हो गयी।
मालूम हो कि इसके पहले मानव रहित गेट संख्या 56 सी जो नेशनल हाइवे 56 और प्रतापगढ़ जाने के लिए रास्ते को जोड़ता है। उस गेट पर भी मालगाड़ी ने एक मारूती कार को टक्कर मार दिया था जिसमें पाॅच लोग जो एक ही परिवार के थे इनकी मौके पर मौत हो गयी। मामला यहीं नहीं रूकता गेट संख्या 57सी जो नरहपुर, दशवतपुर, शंकरपुर सहित लगभग बाहर गाॅव को एनएच-56 नेशनल हाइवे को जोड़ता है। वह भी मानव रहित गेट है। पिछले वर्ष इसी गेट पर बारात से लौट रहे मार्शल जीप सवार सात लोगों को हाबड़ा अमृतसर एक्सप्रेस ने टक्कर मार दी जिससे मौके पर ही इन लोगों की मौत हो गयी। 26 दिसम्बर को एक निजी स्कूल बस को एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी जिससे बारह स्कूली बच्चों की मौत हो गयी। यह वाक्या आजमगढ़ का है। सवाल जो प्रबुद्ध लोगों के जेहन में है। वह यह कि इतनी आधुनिक तकनीक का दंभ भरने वाले रेल विभाग के पास क्या इन बेजुबान जानवरों एवं कल का भविष्य देश का भविष्य बनने वाले इन बच्चों को बचाने का कोई कारगर उपाय इस महकमे को ढूढना होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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