समाज कल्याण विभाग से छात्रों के खाते में भेजी गयी लाखों रूपये की छात्रवृत्ति खाते में न जाकर कहीं अन्यत्र चली गयी। अब समाज कल्याण विभाग इतनी धनराशि को खोज नहीं पा रहा है। रहस्मय ढंग से गायब हुई लाखों रूपये की धनराशि से विभाग व छात्र दोनों परेशान है।
समाज कल्याण से अनुसूचित जाति व सामाय जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है जिसमें उनके द्वारा जमा की फीस को वापस उनके खाते में सीधा भेजा जाता है। इसके लिए आॅन लाइन फार्म मांगा गया था। छात्रों ने आॅन लाइन फार्म भरकर सम्बन्धित अपने काॅलेज में जमा किया जहां से भी सूची बनकर समाज कल्याण विभाग को आयी। विभाग से सूची ट्रेजरी होते हुए स्टेट बैंक भेंज दी गयी। जहां से विभिन्न बैकों में छात्रों के खाते में धनराशि भेंज दी गयी। यदि कहीं से छात्र ने बैंक खाता गलत दर्ज कर दिया तो उसके खाते में छात्रवृत्ति न जाकर कहां चली गयी पता नहीं है। इसके बारे में बैंक की उस पैसे को विभाग को वापस नहीं किया है।
ऐसा ही एक मामला संज्ञान में आया है। तृप्ति तिवारी बी.ए. की छात्रा है जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या 49014013195 है। जिसका केनरा बैंक कुड़वार में खाता संख्या 1846108020186 हैं लेकिन गलती से खाता संख्या 1846101020186 लिख गया। इनके खाते में विभाग ने 3000 रूपये भेज दिया। लेकिन खाता गलत होने से वह पैसा नहीं पहुंचा। यह पैसा बैंक ने विभाग को वापस भी नहीं किया। इस तरह कई छात्र एवं छात्राओं के बारे में विभाग को नहीं पता कि पैसा कहां गया। पटल बाबू श्री जायसवाल ने बताया कि इस वर्ष लगभग 48 हजार बच्चों को छात्रवृत्ति विभाग द्वारा भेजी गयी है। जिनका खाता गलत है और खाते में पैसा नहीं पहुंचा है उसमें से कुछ बच्चों को बैंक न पैसा वापस किया है और काफी बच्चों का पैसा कहां गया कुछ पता नहीं है। श्री जायसवाल ने बताया कि काफी पैसा विभिन्न प्रदेशों तक के बैंक खातों में चला गया है। जबकि नियमतः खाते में यदि कोई त्रुटि है तो बैंक उस पैसों को विभाग को वापस करती है लेकिन छात्रवृत्ति का पैसा वापस न करके अलग नियम लागू की है। श्री जायसवाल ने बताया कि जब आॅन लाइन फार्म में गलत खाता संख्या दर्ज किया गया है तो उसी खाते में पैसा गया है। नहीं पहुंचा तो इसकी जिम्मेदारी विभाग व बैंक की नहीं है। यह पैसा कहां गया है? इसका पता लगाना भी विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। श्री जायसवाल ने बताया कि काफी संख्या में छात्र एवं छात्राओं का पैसा नहीं पहुंचा है जिसका उनके पास कोई आॅकड़ा नही है। अब उनकों पैसा मिलेगा भी नहीं, क्योंकि वो धनराशि लैप्स हो गया है। अभी छात्रवृत्ति की मांग को लेकर छात्रों ने धरना प्रदर्शन भी किया था लेकिन उस पर भी कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं। बुद्धिजीवियों ने शासन से मामले की जाॅच कराने की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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