वीएनआईद्ध दृश्य एक . चहल.पहल भरी महानगर की एक सुबह। घर में गजल गायक जगजीत सिंह की गायी गजल का रिकार्ड बज रहा हैए ष्सूरज ठेकेदार सा सबको बांटे कामष् भाई को कॉलेज के लिये तैयार होते देख निशा लगातार सोच रही हैए आखिर मैं क्यों नही जाती कॉलेजघ् मां उसे जल्दी से भाई का कॉलेज बैग लाने के लिये कहती हैए अनमनी सी वह थके कदमों से जाती है और एक फीकी सी मुस्कान के साथ बैग भाई को थमा देती हैए और इस सारे मंजर को झाड़ू लगाते.लगाते ध्यान से देख रही हैए घर में सफाई का काम करने वाली छोटीए यह सब देख उसे अपने घर की सुबह याद आ रही है जब मां ने छोटे भाई को तो तैयार हो स्कूल जाने के लिये कहा और उसे जल्दी से घर का काम निबटा कर मेम साब के यहां सफाई के लिये भेज दिया। निशा और छोटी दोनों समाज के अलग.अलग तबकों की बेटियांए लेकिन दोनों के मन में सवाल एक से. इस सूरज ने उन्हें अपने भाईयों के तरह पढ़ने का काम क्यों नही दिया। निशा को कॉलेज की पढाई की इजाजत नहीं दी गयी और छोटी के नन्हे कदमों को स्कूल की तरफ कदम बढाने ही नही दिये गये और वो लाचार और वह बस लालची नजरों से आते.जाते स्कूल जाते बच्चों को देखती रहीण्ण्ण्
दृश्य. दोए हरियाणा का एक छोटा सा गांवए दूर केरल से इस गांव मे ष्ब्याहष् के नाम पर लाई गई उषा अपनी अजन्मी बिटिया की जिंदगी को लेकर पथराई सी आखों से काम तो खेत में कर रही है लेकिन मन में बंवडर मचा हुआ हैए सास और पति ने धमकी दी है अगर इस बार भी लड़की हुई तो इस बार भी वही हश्र होगा जो पिछली बार हुआ था। उस वक्त एक टेस्ट में उसके गर्भ में बिटिया का पता लगते ही सास और पति ने उसे गर्भ में ही मरवा दिया थाए लेकिन उषा इस बार किसी भी कीमत पर अजन्मी बिटिया की जान बचाना चाहती हैए चाहती हैए सास और पति से चीख.चीख कर पूछना कि इस बार तो ष्शादीष् के नाम पर लड़की लाने केरल जाना पड़ाए लेकिन अगर लड़कियों की जिदंगियों को यूं ही खतम करते रहे तो कहीं भी लड़की नहीं मिलेगीए लड़की नहीं रही तो संसार कैसे चलेगाए लेकिन सवालों का बंवंडर उसके मन में ही उमड़.घुमड़ रहा हैए हिरणी सी भयभीत वह लगातर सोच तो रही है लेकिन शब्द जबान पर आ ही नहीं पा रहे हैंण्ण्ण्
जीए ये भद्दी और घृणित सच्चाई आज की हैए और हमारे आस पास की ही है। भले ही हम सब यह सुनते हुए बड़े हुए हों कि स्त्री देवी हैए बेटियां पूजनीय हैंए लेकिन अब भी काफी जगह चाहे महानगर हो या सुदूरवर्ती गांवए सच्चाई कुछ और ही है। बेटियों को पूजने की बात कहने वाले हमारे समाज में आज भी बड़ी संख्या में बेटियां मां के गर्भ में ही मारी जाने लगीं हैं। कितने ही लड़कियां स्कूल जाने को तरसती हैंए स्कूल की इमारत में जाना उनकी हसरत ही रह जाती है। अब केन्द्र सरकार ने इस बदनुमा दाग से अधिक आक्रमकता से निबटने का फैसला करते हुए ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् को एक आंदोलन की तरह चलाने का मन बनाते हुए इसे अपने अन्य महत्वाकांक्षी अभियान के तरह चलाने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22जनवरी को हरियाणा के पानीपत से इस अभियान या यूं कहें इस आंदोलन का शंखनाद होगा। यह योजना प्रारंभ में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऐसे 100 चुनिंदा जिलों में एक राष्ट्रीय अभियान के जरिए कार्यान्वित की जाएगीए जहां बालक.बालिकाओं का अनुपात बेहद कम है। खास बात यह है कि ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् योजना का शुभारंभ हरियाणा से ही इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इसी राज्य में बालक.बालिका अनुपात सबसे कम यानी सर्वाधिक खराब है। ष्कन्या भ्रूण हत्याष् जैसी घटनाएं बदस्तूर जारी हैं और इस पाप के लिये कोई और नहींए बल्कि इन अजन्मी बेटियों के नासमझ माता.पिताए इनके अपने ही जिम्मेदार हैं। कुछ चंद सिक्कों की खातिर डॉक्टरी के नाम पर कसाई का काम कर रहे शिक्षितए झोला छाप डॉक्टरए घरेलू तरीकों से इन अजन्मी बच्चियों की जान ली जा रही है। कानून के बावजूद गांवए देहात और छोटे कस्बोंए जगह.जगह ऐसे विज्ञापन आम नजर आते हैं कि हमारी मशीनें फट से बता देंगी कि गर्भ में लड़का है या लड़की और हम सब जानते ही हैं कि गर्भ में बिटिया का पता लगने पर उस काम.तमाम करने के इंतजाम भी वहां हैं।
झांसी की रानीए इंदिरा गांधीए कल्पना चावलाए किरण बेदीए बच्छेन्द्री पॉलए महादेवी वर्माए इसरो की महिला वैज्ञानिकए ऐश्वर्या रॉय बच्चनए किरण शॉ मज़ुमदारए फातिमा बीबीए सानिया मिर्जाएसानिया नेहवालए चंदा कोचर और लता मंगेशकर जैसी भारतीय समाज को गर्व से भर देने वाली महिलाओं के बावजूद यह स्थिति बेहद दुखदण्ण्ण् इस बात को शायद लोग भूल जाते हैं कि बेटियां भी अपने माता.पिता का नाम रोशन करती हैं और वक्त आने परए खासकर बुढ़ापे में उनका सहारा भी बन सकती हैं। निष्ठुर सोच वाले ये भी नहीं समझ पा रहे हैं कि अगर बेटियां कम हो गईं तो वे अपने बेटों के लिए बहनें और बहुएं कहां से लाएंगे। सरकारीए गैर सरकारी तौर पर इस घृणित बुराई को रोकने के प्रयासो के बावजूद कन्या भ्रूण हत्याएं हो रही हैं। अब केन्द्र सरकार ने इस बदनुमा दाग से अधिक आक्रमकता से निबटने का फैसला करते हुए ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् को अपने अन्य महत्वाकांक्षी अभियान के तरह चलाने की घोषणा की है। जिसका आगाज खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को हरियाणा के पानीपत से करेंगे। यह योजना प्रारंभ में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऐसे 100 चुनिंदा जिलों में एक राष्ट्रीय अभियान के जरिए कार्यान्वित की जाएगीए जहां बालक.बालिकाओं का अनुपात बेहद कम है। खास बात यह है कि ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् योजना का शुभारंभ हरियाणा से ही इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इसी राज्य में बालक.बालिका अनुपात सबसे कम यानी सर्वाधिक खराब है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य ष्बालक.बालिकाष् अनुपात बढ़ाना है। बालक.बालिका अनुपात ;सीएसआरद्ध से यह पता चलता है कि किसी भी राज्य या शहर अथवा देश में हर 1000 बालकों के अनुपात में कितनी बालिकाएं हैं। एक दुखद सच यह है कि कन्या भ्रूण हत्या की निर्मम घटनाओं के चलते भारत में यह अनुपात लगातार घटता जा रहा है। वर्ष 1991 में हर 1000 बालकों पर 945 बालिकाएं थींए लेकिन वर्ष 2011 में हर 1000 बालकों पर 918 बालिकाएं ही थीं। आंकड़े बयान करते है कि इस दौरान हरियाणा में सबसे कम यानि 877 महिलायें जबकि केरल में सर्वाधिक यानि 1000 के पीछे 1084 महिलायें हैं। आधिकारिक सूत्रो के अनुसार इस स्थिति में सुधार लाने के लिये मोदी सरकार के अन्य महत्वाकांक्षी कार्यक्रम . ष्स्वच्छता अभियानष्ए ष्नमामि गंगेष् और ष्मेक इन इंडियाष् अभियान की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटियों को उनका हक दिलाने के लिए यह अभियान शुरू कर रहे हैं ताकि उन के साथ भेदभाव खत्म करने और कन्या भ्रूण हत्या रोकने का ठीक दिशा में तेजी तथा प्रभावी कदम उठा कर बेहतर आज और कल बनाया जा सके। सूत्र बताते है कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर उन्होनें बेटियों के साथ भेदभाव खत्म करने और समानता का माहौल बनाने की अपील करते हुए इस बारे में लोगों से सुझाव मांगे थे। इन सुझावों के आधार पर सरकार ने ष्बेटी बचाओ.बेटी बढ़ाओष्अभियान को अंतिम रूप दिया है। यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालयए मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त पहल है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार यह योजना लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने और उन्हें सुरक्षा मयस्सर करने पर भी केंद्रित होगी। इस दुनिया में अपना पहला कदम रखने के लिए तैयार बच्चियों के जीवन की रक्षा करना और उन्हें शिक्षित कर अपनी जिंदगी में आने वाली तमाम चुनौतियों का सामना करने लायक बनाना ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् योजना इस योजना का उद्देश्य है। देश भर में जन अभियान के माध्यम से सामाजिक मानसिकता को बदल कर और इस विषम विषय पर जागरूकता पैदा करके इस योजना को सफल बनाने की कोशिश की जाएगी। इसमें लड़कियों एवं महिलाओं से किए जा रहे भेदभाव को समाप्त करने पर भी जोर दिया जाएगा। बालक.बालिका अनुपात में बेहतरी को सुशासन के एक प्रमुख विकास संकेतक के तौर पर शामिल करना भी इसका एक उद्देश्य है। इस योजना की मुख्य रणनीतियों में सामाजिक लामबंदी एवं संवाद अभियान को बढ़ावा देना भी शामिल है ताकि सामाजिक मानदंडों में बदलाव लाने के साथ.साथ बालिकाओं को समान महत्व दिलाया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि हरियाणा के पानीपत से शुरू होने वाले इस अभियान में सभी प्रदेश और केंद्र शासित राज्यों के चुनिंदा शहरों को शामिल किया जाएगा। ष्बेटी बचाओ.बेटी बढ़ाओष्अभियान की शुरुआत से पहले केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रलय ने पानीपत में इस विषय पर दो दिन की कार्यशाला भी आयोजित की है। इस कार्यशाला में हिस्सा लेने के लिए गुजरातए राजस्थान और पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। कार्यशाला में प्रधानमंत्री कार्यालय अभियान से जुड़े तीनो केन्द्रीय मंत्रालयो के केन्द्रीय मंत्रीएहरियाणा के मुख्य मंत्री सहित और नीति आयोग के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।
महिला पुरूष अनुपात दर की निराशाजनक तस्वीर के बाद अब जरा जानें महिला साक्षरता की तस्वीरए वहां भी तस्वीर निराशाजनक है। 2011 मे महिला साक्षरता दर 65ण्46ः तथा पुरुष साक्षरता दर 82ण्14ः दर्ज की गयी है। बिहार में यह दर सबसे कम यानि 46ण्40ः उत्तर प्रदेश में 51ण्36ःए हरियाणा में 56ण्91ः तथा राजस्थान में 47ण्76ः है। खुशी की बात यह है कि केरल में महिला साक्षरता दर 100 यानि शत प्रतिशत है। सूत्रों के अनुसार इस योजना की मुख्य रणनीतियों में सामाजिक लामबंदी एवं संवाद अभियान को बढ़ावा देना भी शामिल है ताकि सामाजिक मानदंडों में बदलाव लाने के साथ.साथ बालिकाओं को समान महत्व दिलाया जा सके।
ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् अभियान के मुख्य बिंदु रू
ऽ सभी ग्राम पंचायतों में गुड्डा.गुड्डी बोर्ड लगाए जाएंगे। हर महीने इस बोर्ड में संबंधित गांव के बालक.बालिका अनुपात को दर्शाया जाएगा।
ऽ ग्राम पंचायत हर लड़की का जन्म होने पर उसके परिवार को तोहफा भेजेगी।
ऽ ग्राम पंचायत साल में कम.से.कम एक दर्जन लड़कियों का जन्मदिन मनाएगी।
ऽ सभी ग्राम पंचायतों में लोगों को ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् की शपथ दिलाई जाएगी।
ऽ किसी गांव में अगर बालक.बालिका अनुपात बढ़ता हैए तो वहां की ग्राम पंचायत को सम्मानित किया जाएगा।
ऽ बाल विवाह के लिए ग्राम प्रधान को जिम्मेदार माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
ऽ कन्या भ्रूण हत्या रोकने के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों को अभियान में शामिल किया जाएगा।
ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् कार्यक्रम के तहत 100 जिलों के चयनध्पहचान का तरीकाध्नियम कुछ इस तरह से किया जाएगा रू
कद्धण् 23 राज्यों ध्केंद्र शासित प्रदेशों में 918 के राष्ट्रीय औसत बालक.बालिका अनुपात वाले 87 जिले चुने जाएंगे।
खद्धण् 918 के राष्ट्रीय औसत बालक.बालिका अनुपात से ज्यादाए लेकिन गिरावट का रूझान दर्शा रहे 8 जिले चुने जाएंगे।
गद्धण् इसी तरह 918 के राष्ट्रीय औसत बालक.बालिका अनुपात से ज्यादाए लेकिन इसमें बढ़ोतरी का रूझान वाले 5 जिले चुने जाएंगे। माना यह जा रहा है कि इससे देश के अन्य भागों में स्थित जिले भी इन चुनिंदा जिलों से सीख ले सकेंगे।
इस अभियान के तहत सम्बद्ध तीनो मंत्रालयो की भूमिका भी तय की गयी है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय रू आंगनवाड़ी केंद्रों पर गर्भावस्था के पंजीकरण को प्रोत्साहित करनाए भागीदारों को प्रशिक्षित करनाए सामुदायिक लामबंदी और आपसी संवाद को बढ़ावा देनाएबालक.बालिका अनुपात को कम करने के अभियान में जुटे ष्चैंपियनोंष् को शामिल करनाए अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं एवं संस्थानों को मान्यता और पुरस्कार देना।
स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय रू गर्भधारण पूर्व और जन्म पूर्व जांच तकनीकों पर कड़ी नजर रखनाए अस्पतालों में प्रसव को बढ़ावा देनाए जन्म पंजीकरणए निगरानी समितियों का गठन करना।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय रू लड़कियों का पंजीकरणए स्कूलों में लड़कियों की ड्रॉप आउट दर में कमी लानाए विद्यालयों में लड़कियों के अनुरूप मानक बनानाए शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर सख्ती से अमल करनाए स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय बनाने पर विशेष ध्यान देना।
ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् यानी बेटियों का उनका हक दिलाने वाला अभियान निश्चित रूप से एक जनहित और राष्ट्रहित क्रांति है। सरकारी सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बालिकाओं के साथ भेदभाव खत्म करने और कन्या भ्रूण हत्या रोकने का आह्वान कर चुके हैं। प्रधानमंत्री का यह भी कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर हमें अपनी बेटियों की उपलब्धियों का जश्न मनाना चाहिए क्योंकि वे पढ़ाई से लेकर खेल के मैदान तक बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करने पर बल देते हुए कहा कि इसे बहुत ही शर्मनाक और गंभीर चिंता का विषय बताया तथा इस बुराई को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करने की अपील की है।
बालिका के सशक्तिकरण पर केंद्रित महत्वपूर्ण योजना श्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओश् पर केंद्र सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसका उल्लेख वित्त वर्ष 2014.15 के बजट में किया गया है।
हालांकिए श्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओश् योजना के आलोचकों की भी कोई कमी नहीं है। इन लोगों का कहना है कि इस योजना को सफल बनाने के लिए मामूली रकम के बजाय भारी.भरकम धन का आवंटन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कन्या भ्रूण हत्या करने वालों पर ज्यादा.से.ज्यादा सख्ती बरतने की भी जरूरत हैए ताकि अन्य लोगों के मन में भय पैदा हो। जाहिर हैएइसके लिए एक कड़ा कानून बनाना होगा। इसी तरह गर्भधारण पूर्व और जन्म पूर्व जांच तकनीकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने वाले डॉक्टरों पर भी कड़ाई से लगाम कसने की जरूरत है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा के दौरान ही बालिकाओं के साथ समानता का भाव बालकों के जेहन में पैदा करने की कोशिश की जानी चाहिएए तभी आगे चलकर वे उनके साथ भेदभाव करने से बच सकेंगे। यही नहींए इसका फायदा उनकी नई पीढ़ी को भी मिलेगा।
इनका कहना है कि बालिकाओं के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर निश्चित तौर पर सुनियोजित तरीके से कदम उठाने पड़ेंगे। पैसे की भारी किल्लत के साथ अन्य कष्ट उठाकर भी अपनी बेटियों की पढ़ाई के साथ.साथ उन्हें आर्थिक दृष्टि से सक्षम बनाने वाले माता.पिता को सार्वजनिक तौर पर सम्मानित करने की भी आवश्यकता हैए ताकि वे समाज के अन्य लोगों के लिए नजीर बन सकें और संकुचित सोच वाले लोग उनसे प्रेरणा ले सकें। इसके साथ ही बहादुरी के कारनामे दिखाने वाली लड़कियों को भी सार्वजनिक तौर पर सम्मानित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही बालिकाओं एवं महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर गौर करने और उनके लिए विशेष सरकारी एवं निजी अस्पताल खोले जाने की भी जरूरत है। इसी तरह नई पीढ़ी का मार्गदर्शन भी अभी से ही करना जरूरी है। इन सब का भी सकारात्मक असर हमारे समाज पर अवश्य पड़ेगा और आगे चलकर लड़कियों एवं महिलाओं के साथ समानता का भाव लोगों के मन में पैदा होगा। उम्मीद की जानी चाहिये कि श्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओश् के प्रभावी अभियान से सूरज ठेकेदार सा निशा और छोटी को भी पढ़ने का काम सौंपेगा और उषा की अजन्मी बिटिया सूरज की रोशनी देखने इस दुनिया में कदम रखेगी और पढ़.लिख कर सूरज ठेकेदार उसे भी कोई अच्छा काम काज सौंपेगा। आमीनण्ण्ण्
’शोभना जैन ऑनलाइन हिंदी न्यूज़ एंड फीचर सर्विसेजए विज़न न्यूज़ ऑफ़ इंडिया की एडिटर.इन.चीफ हैं
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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