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यूपी को है बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओ योजना की जरूरत

Posted on 23 January 2015 by admin

मदर टेरेसा ने कहा था कि हम ममता के तोहफे को मिटा नहीं सकते। मदर टेरेसा ने बात कई सालों पहले कही थी लेकिन तब से लेकर अब तक ममता के तोहफे को मिटाने की समाज की क्रूर प्रथा अब तक खत्म नहीं हुई। लेकिन आज केन्द्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना ममता के इन तोहफों को बचाने संभालने और संवारने की सबसे बड़ी मुहिम बनने जा रही है जिसकी उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा आज जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की है और इस योजना को 100 जिलों में लागू किया जायेगा। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के भी वो दस जिले शामिल हैं जहां लिंगानुपात सबसे कम है।
ये जिले हैं
1.बागपत..यहां लिंगानुपात 2001 के 850 से 2011 में घटकर 841 रह गया
2.गौतम बुद्ध नगर.. यहां लिंगानुपात 2001 के 854 से 2011 में घटकर 843 रह गया
3.बुलंदशहर… यहां लिंगानुपात 2001 के  से 2011 में घटकर  रह गया
4.गाजियाबाद… यहां लिंगानुपात 2001 के 854 से 2011 में घटकर 850 रह गया
5.मेरठ… यहां लिंगानुपात 2001 के 857 से 2011 में घटकर 852 रह गया
6.आगरा.. यहां लिंगानुपात 2001 के 866 से 2011 में घटकर 861 रह गया
7.मथुरा.. यहां लिंगानुपात 2001 के 872 से 2011 में घटकर 870 रह गया
8.झांसी… यहां लिंगानुपात 2001 के 886 से 2011 में घटकर 866 रह गया
9.मुजफ्फरनगर… यहां लिंगानुपात 2001 के 859 से 2011 में 863 हो गया
10.महामाया नगर.. यहां लिंगानुपात 2001 के 886 से 2011 में घटकर 865 रह गया
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये जिले यूपी में सबसे कम लिंगानुपात वाले जिले हैं जहां पिछले एक दशक में बेटियों की संख्या लगातार गिरती ही जा रही है।
प्रधानमंत्री की महात्वाकांक्षी बेटी पढ़ाओए बेटी बचाओ योजना में इन जिलों को देशभर के उन 100 जिलों में शामिल किया गया है जहां कन्या भ्रूण हत्या एक लाइलाज बीमारी की तरह बन चुका है। इसमें मुख्य तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले शामिल हैं।
लेकिन एक तथ्य ये भी है कि कन्या भ्रूण हत्या की ये बीमारी प्रदेश के दूसरे जिलों में भी कम भयावह नहीं है। खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश भी तेजी से इसका शिकार हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक दर्जन जिलों को उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी आंकड़ों में संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। हालिया जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 1991.2001 में शिशु लिंगानुपात में 18 प्रतिशत गिरावट दर्ज हुई जबकि 2001.2011 में यह गिरावट 13 प्रतिशत दर्ज की गई। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1991.2001 में यह गिरावट 11 प्रतिशत थी जबकि 2001.2011 में गिरकर लिंगानुपात 17 फीसदी हो गया। कुल मिलाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं और कन्या भ्रूण हत्या में इजाफा हुआ है।

उत्तर प्रदेश में पिछले एक दशक में लिंगानुपात तो बढ़ा लेकिन छह साल तक की लड़कियों की संख्या में गिरावट आई है। राज्य के चिकित्सा एवं परिवार कल्याण मंत्री अहमद हसन भी इस बात को मान चुके हैं और उन्होंने कई बार अपने संबोधनों में दोहराया है कि 2001 की जनगणना में छह साल तक की लड़कियों की संख्या 916 थी जो 2011 में घटकर 899 रह गई है। वह यह मानते हैं कि लिंग परीक्षण कराकर लड़कियों को दुनिया में आने से वंचित किया जा रहा है।
यही नहीं एक आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 547 बेटियों की गर्भ में हत्या होती है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे ;एसआरएसद्ध के आंकड़ों के मुताबिक देश में सर्वाधिक भ्रूण हत्या उत्तर प्रदेश में हो रही है। यूपी में सालाना दो लाख कन्या भ्रूण हत्या का रिकार्ड है। गर्भ में बेटियों को मारने का इतना बड़ा रिकार्ड किसी राज्य में नहीं है। कानून के तहत इस तरह के मामलों के दोषी लोगों को एक लाख जुर्माना और पांच साल कैद हो सकती हैए पर इस कानून का कोई खौफ नहीं है।
इसके अलावा समाज में भ्रूण हत्या और महिलाओं को सम्मान न मिलने का ही नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में अधिकांश बच्चियों को पढ़ाई के लिए स्कूल मुहैया नहीं हो पाता है। बच्चियों को स्कूल जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। इसके अलावा समाज में भेदभाव की स्थिति के चलते कम उम्र की तमाम बच्चियां कुपोषण का शिकार हो जाती है।
इन हालातों में केन्द्र सरकार की ये महात्वाकांक्षी योजना उत्तर प्रदेश के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अगर बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के नारे को उत्तर प्रदेश की सरकार केन्द्र के साथ मिलकर घर.घर तक पहुंचाने में कामयाब हो गई तो प्रदेश में बालिकाओं की हालत भी सुधर सकती है और लिंगानुपात भी बेहतर किया जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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