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‘‘हर निर्णय में भागीदारी हमारा ये अधिकार है, बिना हमारी भागीदारी हर निर्णय बेकार है’’ की गॅूज के साथ बाल संगठनों के राज्यस्तरीय नेटवर्क ’’हम बच्चे’’ की प्रस्तुति ‘‘कोई सुन रहा है?’’

Posted on 21 January 2015 by admin

‘‘हर निर्णय में भागीदारी हमारा ये अधिकार है, बिना हमारी भागीदारी हर निर्णय बेकार है’’  की गॅूज के साथ बाल संगठनों के राज्यस्तरीय नेटवर्क ’’हम बच्चे’’ की प्रस्तुति ‘‘कोई सुन रहा है?’’ का आयोजन गोमती नगर स्थित भारतेन्दु नाट्य अकादमी के बी.एम. शाह सभागार में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के 16 बाल संगठनों के बच्चों ने प्रतिभाग किया और माइम, लघु नाटिका एवं गीतों के माध्यम से सामाजिक सरोकारों पर अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति दी। बच्चों ने ‘‘कोई सुन रहा है?’’ एवं ‘‘थोड़ी सी है दरकार, सरकार आपसे’’नामक प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदेश में बाल अधिकारों, विशेषकर शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, बाल श्रम, बाल व्यापार, बाल विवाह एवं बाल सुरक्षा जैसे मुद्दो को प्रदेश के विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं एवं विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष न केवल रखा, बल्कि बच्चों के लिए उपलब्ध योजनाओं और उनकी जमीनी हकीकत की स्थिति भी बयाॅं की। साथ ही बच्चों ने अपनी सुरक्षा एवं संरक्षण की स्थिति पर आने वाली चुनौतियों की तस्वीर तथा उनके सुझाव भी प्रस्तुत किए।

‘‘कोई सुन रहा है?’’ कार्यक्रम की शुरूआत ‘‘हम बच्चे’’ के थीम सांग ‘‘इस धरती से नील गगन तक’’ के साथ हुई, तो इस जोशीले गीत का साथ समस्त दर्शकों ने भी कर्तल ध्वनि के साथ गाते हुए दिया। इसके पश्चात् बच्चों के द्वारा नाट्य प्रस्तुति ‘‘थोड़ी सी है दरकार, सरकार आपसे’’ के माध्यम से अपने गाॅव-गिराॅव की विभिन्न समस्याएॅं, जैसे-विद्यालय तो है पर अध्यापक नहीं, शौचालय तो है पर तालाबन्द, हैण्डपम्प तो है पर पानी नहीं, बाल अधिकार उन्मूलन कानून तो बन गया, फिर भी बच्चे काम पर क्यों और कैसे, बाल विवाह निषेध अधिनियम तो है, पर बाल विवाह जारी क्यों और कैसे, आई.सी.पी.एस. यानी छतरी योजना तो बन गयी, पर हमारे बच्चों के जीवन में कारगर अब तक नहीं, पाॅक्सो एक्ट तो बन गया पर लोगो को मालूम ही नहीं, जैसे बच्चों से जुड़े महत्वपूर्ण मुदद्ो को एक तरफ जहाॅ मर्मस्पर्शी ढंग से सबके सामने रखा, वहीं इसके सम्भावित समाधन के सुझाव भी प्रस्तुत किए। बच्चों ने अपने नाटक के माध्यम से स्पष्ट किया कि हमारी सरकारें बच्चों के लिए बनी विभिन्न योजनाओं और कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा यदि कड़ाई से करें, तो हम बच्चों के जिन्दगी में जरूर सकारात्मक परिवर्तन आएगा।

तद्ोपरान्त बच्चों ने अपनी माइम प्रस्तुति कोई सुन रहा है…?  के जरिए गर्भावस्था से लेकर जीवन के अन्तिम क्षण तक लैंगिक भेदभाव के कारण लड़कियों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों एवं अपने संघर्ष से अपना मुकाम बनाने वाली लड़कियों की मूक अभिव्यक्ति को प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम में सभी बच्चों ने मिलकर एक मांगपत्र तैयार किया था, जिसे उन्होंने इस कार्यक्रम में आए अतिथियों को सौंपते हुए यथावश्यक सहयोग का अनुरोध किया। भदोही से आए चाणक्य ने हम बच्चे राज्यस्तरीय नेटवर्क के चार वर्षो का सफरनामा प्रस्तुत करते हुए कहा कि विगत चार वर्षो की यात्रा में जहाॅ हमने राजभवन के आतिथ्य क्षण का सुख लिया, वही महिला एवं बाल विकास विभाग के तात्कालीन प्रमुख सचिव श्री बलविन्दर कुमार द्वारा अपने कार्यालय में बुलाकर हम बच्चों के पहल को सराहा जाना, प्रोत्साहन देना और समस्याओं के समाधान हेतु त्वरित निर्णय लेना अविस्मरणीय रहा है।

कार्यक्रम के समापन के अवसर पर बच्चों की अभिव्यक्ति से अभिभूत अपर पुलिस महानिदेशक सुश्री सुतापा सान्याल ने बच्चों की समस्याओं के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए उनके समाधान की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होने कहा कि  आज हमने बच्चो की प्रस्तुतियों के माध्यम से आपकी पुकार सुनी और हम वादा करते है कि आपकी वेदना और पुकार को हम निश्चित तौर पर निदान की दिशा में पहल करेंगे। कम से कम तात्कालिक तौर पर महिलाओं के बच्चों को कैसे हम अपने स्तर से राहत दे सकते है इस पर विचार करते हुए अवश्य क्रियान्वयन करेंगे।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या श्रीमती प्रेमा देवी मिश्रा ने कहा कि बाल अधिकार मानवाधिकार का ही एक स्वरूप है। किसी भी विकसित देश की पहचान वहाॅ के महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा एवं विकास के संकेतकों से ही होती है। बच्चों की इन स्थितियों को देखकर मै अभिभूत हूॅ और पुलिस बलों को बच्चों के प्रति और संवेदनशील बनाने हेतु और अधिक प्रयास करने का वचन देती हूॅ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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