भारतीय जनता पार्टी ने कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरते हुए कहा कि जिस घटना को मुख्यमंत्री संज्ञान में लेते है उसके आरोपी को पकड़ने में सरकारी की पूरी मशीनरी को 10 दिन लग जाते जिन घटनाओं को वे संज्ञान में नहीं लेते होंगे उसका क्या हाल होता है, समझा जा सकता हंै। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा अलीगढ़ में राजनैतिक कार्यकर्ता की हत्या हो, मुजफ्फरनगर में अखिल गुप्त की हत्या का मामला हो अथवा अम्बेडकर नगर में रंगदारी के लिए डाॅक्टर को गोली मारने का मामला सरकार के इकबाल को चुनौती देते ही नजर आये अपराधी।
पार्टी मुख्यालय पर राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खडे़ करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि बदायंू की घटना पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 2 जनवरी को संज्ञान में लेने की बात कहते हुए गम्भीर प्रशासनिक कार्यवाही करने की बात कर सभी प्रयास गिरफ्तारी के लिए किये जाए का निर्देश देते है। मुकदमा लिखे जाने तक दोनों आरोपी बदायूं शहर में ही थे। एक की गिरफ्तारी 6 जनवरी को हो पायी, अब दूसरे की गिरफ्तारी नाटकिये ढ़ग से दिखाई गयी है। आखिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गम्भीरता से लेने और तत्काल कार्यवाही के निर्देश के बावजूद, कौन लोग थे जो इन आरोपियों को संरक्षण दे रहे थे। इसका खुलासा भी हो कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के ऊपर कौन है सपा नेता?
उन्होंने कहा कि सरकार की ढुलमुल नितियों के चलते लगातार पुलिस के इकबाल पर भी सवाल उठ रहे है। मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा में पुलिस पिटती है। इस पिटे पुलिस जनों के आरोपियों को पकड़ने जब पुलिस टीम जाती है, तो उस पर अराजक तत्वों द्वारा सुनियोजित तरीके से हमला बोला जाता है, पुलिस जान बचाकर भागती है। उत्साह से लबरेज अराजकतत्व इस भागती पुलिस का दूर तक पथराव करते हुए पीछा करते है। कितना शर्मनाम वाकिया है जब से समाचार सुनाई देते है कि पुलिस को पिटने वाले इतने वेखौफ है कि उनका पीछा तक करके उनकी पिटाई करते हैं थानाध्यक्ष गम्भीर रूप से घायल होते हैं आधा दर्जन पुलिस कर्मी चोटिल होते हैं।
श्री पाठक ने कहा लगातार राज्य में अपराध के आंकडे़ बढ़ रहे हैं अपहरण और रंगदारीका आलम यह कि अम्बेडकर नगर के उतरेठ इब्राहिम में एक डाॅक्टर को इस लिए गोली मार दी जाती है कि उसने रंगदारी न देने का फैसला किया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कम से कम जिन मामलों को स्वयं संज्ञान में लेने का दावा करते है, उस पर तो गम्भीर हों।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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