उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने वैज्ञानिक समुदाय का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसी प्रौद्योगिकी का निर्माण करें जिससे देश को निर्धनता, अशिक्षा, बेरोजगारी से मुक्त कराया जा सकें। विज्ञान में राष्ट्र को समृद्ध और उन्नत बनाने की अपार क्षमता है। यदि भारत को वैश्विक प्रौद्योगिकी को अपने विकास के सापेक्ष अपनाना है तो हमारे वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों तथा क्रियान्वयन-कर्ताओं को त्मअमतेम.म्दहपदममतपदह के विचार को अपनाना होगा। हमें देश प्रौद्योगिकी-सापेक्ष नहीं प्रौद्योगिकी को देश-सापेक्ष बनाना होगा। हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सकल घरेलू उत्पाद पर निश्चित प्रभाव डालने हेतु उन्मुख करना होगा। महिलायें विज्ञान में अपना महती योगदान दें। महिला वैज्ञानिक, महिला सशक्तिकरण के लिए जमीनी स्तर पर काम करके विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा उल्लेखनीय सामाजिक बदलाव ला सकती हैं। राज्यपाल आज मुंबई में 102वें इण्डियन साईंस काग्रेंस के समापन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
राज्यपाल ने कृषि के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुसंधानों एवं नवान्वेषणों के उपयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि कृषि ने हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश की वर्तमान आबादी लगभग 122 करोड़ है। इतनी विशाल आबादी की जरूरतें पूरी करने तथा गरीबी, भूख, कुपोषण और निरक्षरता जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाना आवश्यक होगा। वैज्ञानिक जानकारी और उसकेे इस्तेमाल से देश तरक्की करेगा तथा वैज्ञानिक मानसिकता का विकास समाज को प्रगतिशील बनाएगा। उन्होंने कहा कि इसी के साथ-साथ हमें कृषि क्षेत्र में कार्यरत लोगों के सतत् जीवनयापन और उनके कल्याण पर ध्यान देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि सन् 1950 के दशक में हम विदेशों से खाद्यान्न आयात करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री ने पाकिस्तान से युद्ध के समय ‘जय जवान, जय किसान‘ का नारा दिया था और समस्त देशवासियों से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने की अपेक्षा भी की थी। किसानों ने सकारात्मक रूप से खाद्यान्न की उपज में बढोत्तरी की। यद्यपि देश की आबादी तीन गुना बढ़ गयी है फिर भी देश खाद्यान्न उत्पादन में अब आत्मनिर्भर है। पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘जय जवान, जय किसान‘ के नारे में ‘जय विज्ञान‘ जोड़कर विज्ञान को एक नया आयाम दिया। पोखरण परमाणु परीक्षण के परिणामस्वरूप कई विकसित देशों ने हमारे देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये थे, मगर हमने चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया। हमने मंगल ग्रह पर ‘मंगलयान‘ भेजने का सफल प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान को आम जनता के हित से जोडे़ जिससे हम देश की विशाल जनसंख्या का भरण-पोषण करने में सक्षम हों।
श्री नाईक ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में हमें पहले से अधिक नवान्वेषणों की जरूरत है। अनुसंधान और विकास के प्रयास देशवासियों और वास्तव में विश्व हित के लिए होने चाहिए। उन्नत प्रौद्योगिकी पर काम करने के अलावा, वैज्ञानिकों को ऐसे किफायती प्रौद्योगिक समाधान खोजने चाहिए जिन्हें अमल में लाना आसान हो और वो अंतिम प्रयोक्ताओं की पहुंच में हों। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय और जन साधारण के आपसी संबंधों से दो तरफा संवाद स्थापित होगा, इससे वैज्ञानिक, लोगों की जरूरतों को समझ सकेंगे और उन्हें अपने अनुसंधान में शामिल कर सकेंगे तथा इससे लोगों को अपनी जरूरतों व समस्याओं के बारे में अनुसंधानकर्ताओं को बताने का मौका मिलेगा।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि के लिए भूमि और जल की सीमित उपलब्धता एक बड़ी समस्या है तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण दोनों पर असर पड़ रहा है। इसलिए इस बदलते परिदृश्य में, हमें कृषि के प्रति अपने नजरिए को पुनः तय करना होगा। अधिक उत्पादन के लिए मौजूदा संसाधनों की उत्पादकता को बढ़ाने की जरूरत है। हमें अपनी कृषि पर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। इसमें पुराने अनुभव बहुत मददगार होंगे, लेकिन इसी के साथ, हमें नए-नए तरीकों और नवान्वेषणों के बारे में भी सोचना होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक संसाधन का उपयोग करना होगा और उससे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना होगा।
श्री नाईक ने भारत की प्राचीन वैज्ञानिक परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि वह देश भविष्य में कभी प्रगति नहीं कर सकता जो अपने इतिहास को भुला देता है। प्राचीनकाल में हम गणित, खगोल विज्ञान, भौतिकी, रसायन शास्त्र, आयुर्विज्ञान, वास्तुकला तथा ज्योतिषशास्त्र के क्षेत्र अग्रणी थे। भारत में संख्या के रूप में शून्य की अवधारणा विकसित हुई तथा चरक संहिता के रूप में चिकित्सा सिद्धांतों और कार्यों पर एक सार ग्रंथ की रचना की गई। उन्होंने कहा कि हमें अपने महान अध्यापकों-पाणिनी, चरक, सुश्रुत, धन्वन्तरि, वाराह मिहिर, आर्यभट्ट जैसे विद्वानों एवं वैज्ञानिकों पर गर्व होना चाहिये।
राज्यपाल ने कहा कि मुंबई और उत्तर प्रदेश के बीच यह सुखद संयोग है कि ऐसे सारस्वत समारोह का आयोजन मुंबई में किया गया जिसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश से सांसद, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, समापन मेरे द्वारा किया जा रहा है मैं मुंबई का स्थानीय नागरिक होने के साथ उत्तर प्रदेश का राज्यपाल हूँ तथा समारोह के आयोजक अध्यक्ष, प्रो0 एस0बी0 निम्से भी लखनऊ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश के कुलपति हैं।
समारोह का समापन राष्ट्रगान से किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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