प्रख्यात साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित पुस्तक पुस्तक ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’ का भव्य विमोचन आज मोती महल वाटिका में चल रहे लखनऊ बुक फेयर के मुख्य पाण्डाल में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात शिक्षाविद्, समाजसेवी एवं सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक डा. जगदीश गाँधी, हिन्दी साहित्य जगत की सशक्त हस्ताक्षर व अवधी की प्रख्यात कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ एवं मंचासीन विशिष्ट हस्तियों ने रिबन खोलकर पुस्तक ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’ का विमोचन किया। समारोह की अध्यक्षता डा. वेद प्रकाश आर्य, संपादक, आर्य लोकवार्ता, ने की जबकि श्री पी.आर. पाण्डेय ने अपनी ओजस्वी वाणी में समारोह का संचालन कर विमोचन समारोह को कभी न भूलने वाला ऐतिहासिक गौरव प्रदान किया। इस अवसर पर जहाँ एक ओर बड़ी संख्या में लेखकों, कवियों, प्रशासनिक अधिकारियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, कानूनविदों व लखनऊ के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति ने समारोह को यादगार बना दिया तो वहीं दूसरी ओर मंचासीन साहित्य, शिक्षा, पत्रकारिता जगत के मूर्धन्य विद्वानों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा में चार चांद लगा दिये। इस भव्य समारोह में विशिष्ट अतिथियों के रूप में पधारे सर्वश्री श्री उमेश चन्द्र तिवारी, पूर्व आई.ए.एस, श्री मनोज तोमर, स्थानीय संपादक, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ, श्री मनीष सक्सेना, प्रबन्धक, राष्ट्रीय सहारा, श्री ए एस बेदी, प्रधानाचार्य, काल्विन ताल्लुकेदार्स कालेज, श्री वीरेन्द्र सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त एवं श्री टी. पी. हवेलिया, समाजसेवी आदि ने पुस्तक परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त किए।
विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात शिक्षाविद्, समाजसेवी एवं सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस पुस्तक में सभी के लिए रचनात्मक व सकारात्मक विचारों की भरमार है जो समाज के सभी वर्गो में आत्मबल का संचार करेगी। डा. गाँधी ने जोर देते हुए कहा कि यह पुस्तक किशोर व युवा पीढ़ी में नैतिक व चारित्रिक उत्कृष्टता की अलख जगाने में विशेष रूप से सहायक होगी, साथ ही जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में उनका मार्गदर्शन भी करेगी। पुस्तक के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ को बधाई देते हुए डा. गाँधी ने कहा कि पं. शर्मा सिर्फ लेखक ही नहीं अपितु किशोरों व युवाओं के लिए मार्गदर्शक भी हैं। इससे पहले विमोचन समारोह के अवसर पर पुस्तक के रचनाकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने अपने पूज्यनीय माता-पिता की आरती कर युवा पीढ़ी को अनूठा संदेश दिया। संगीतमय वातावरण एवं मधुर ध्वनियों में माता-पिता की सुमधुर आरती ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आरती की रचना स्वयं पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने की है।
पुस्तक पुस्तक ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’ का विमोचन करते हुए हिन्दी साहित्य जगत की सशक्त हस्ताक्षर व प्रख्यात कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने कहा कि यह एक ऐसी प्रेरणादायी पुस्तक है, जिसे पढ़कर किशार व युवा समझदारी से अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। इस पुस्तक में शर्मा जी ने अपने अनुभव का निचोड़ युवा पीढ़ी के सामने रखा है, और उन्हें कठिन परिस्थितियों से जूझने की ताकत दी है। श्रीमती रमा ने कहा कि यह पुस्तक अपने आप में अनूठी है जो व्यावहारिकता की कसौटी पर सौ प्रतिशत खरी है। इस अवसर पर श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने अपनी कुछ पक्तियों के माध्यम से पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ की लेखन शैली पर प्रकाश डाला। इससे पहले, पुस्तक ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’ के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य नागरिकों व बुद्धिजीवियों का हार्दिक स्वागत व अभिनन्दन करते हुए कहा कि आप सभी की उपस्थिति ने मेरा मनोबल व उत्साह दो गुना नहीं अपितु सौ गुना कर दिया है। हरि ओम शर्मा को पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ बनाने वाले तो आप ही हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डा. जगदीश गाँधी एवं श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ मेरे प्रेरणा स्रोत रहे हैं। आप सब महान व्यक्तित्व के हाथों मेरी पुस्तक का विमोचन होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
पुस्तक ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’ पर परिचर्चा में अपने विचार रखते हुए श्री मनोज तोमर, स्थानीय संपादक, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ ने कहा कि पं. शर्मा का लेखन सदैव से ही प्रभावशाली रहा है एवं आपकी सरल, सुबोध लेखन शैली निश्चित ही युवा पीढ़ी को आकर्षित करेगी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी बहुत तेजी से सफलता की सीढि़याँ चढ़ना चाहती है परन्तु इसके लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता है। श्री शर्मा जी की यह पुस्तक इसी आवश्यकता को पूरा करती है। काल्विन ताल्लुकेदार्स कालेज के प्रधानाचार्य श्री ए. एस. बेदी ने कहा कि यह पुस्तक सपनों की दुनिया से जगाकर वास्तविकता से परिचय कराती है। इसके अलावा, नैतिकता व सामाजिकता का ज्ञान देते हुए अपने कर्तव्य बोध से अवगत कराती है। श्री वीरेन्द्र सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त ने कहा कि शर्मा जी की यह पुस्तक एवं इससे पूर्व प्रकाशित सभी पुस्तकों ने आपको युवा पीढ़ी का प्रेरणास्रोत बना दिया है। आपने अपने लेखन से समाज में एक नया जोश और जज्बा पैदा किया है। समाजसेवी श्री टी.पी. हवेलिया ने कहा कि पूरी पुस्तक में रचनात्मक व सकारात्मक दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी गई है। पुस्तक में दिये गये छोटे-छोटे वाक्य अपने आप में गहरा निहितार्थ समेटे हुए हैं जिसे समझकर आज की पीढ़ी अपने जीवन को संवार सकती है। इसी प्रकार राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के प्रबन्धक श्री मनीष सक्सेना ने भी पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ के लेखन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए पुस्तक को सभी के लिए उपयोगी बताया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डा. वेद प्रकाश आर्य, संपादक, आर्य लोकवार्ता ने कहा कि यह पुस्तक मात्र एक पुस्तक ही नहीं अपितु छोटा-मोटा ग्रंथ है जिनमें जीवन की सूक्तियाँ समेटी गई हैं। पं. शर्मा जी ने इस पुस्तक के माध्यम से जिस प्रकार जमीनी हकीकत से हमारा साक्षात्कार कराया है वह बहुत कुछ सोचने पर विवश करता है। मैं जोर देकर कहना चाहूँगा कि समाज के अधिकाधिक लोगों तक यह पहुंचे जिससे सभी को जीवन को सही नजरिये से देख व समझ सकें। वास्तव में, पं. शर्मा की यह पुस्तक जीवन के नये आयाम उद्घाटित करती है। समारोह के अन्त में लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने खासतौर पर पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ जिनके अपार सहयोग की बदौलत ही मेरी सभी पुस्तकें अल्प समय में देश विदेश में लोकप्रिय हुई हैं।
समारोह के संयोजक श्री राजेन्द्र चैरसिया ने बताया कि पं. शर्मा की पुस्तकें ‘रचनात्मक विचारों, जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सरोकारों के अनूठे संग्रह के लिए केवल अपने देश में ही नहीं, अपितु पड़ोसी देशों यथा नेपाल, मारीशस आदि में भी ख्यातिप्राप्त हैं। इन दिनों पं. शर्मा की सभी पुस्तकें दस दिवसीय ‘लखनऊ बुक फेयर’ के स्टाल संख्या 151 पर उपलब्ध हैं। पं. शर्मा की इन ख्यातिप्राप्त पुस्तकों में ‘जागो, उठो, चलो’, ‘अवेक, एराइज, असेन्ड’, ‘जड़, जमीन, जहान’, ‘हार्वेस्ट आॅफ ह्यूमन वैल्यूज’, ‘जिद, जुनून, जिन्दादिली’, ‘अपना रास्ता खुद बनायें’, ‘कैसे बनें सफल माता-पिता’, ‘सच करें सपने’, ‘आओ करें ईश वंदना’, ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’ स्टाल नं. 151 पर बिक्री एवं प्रदर्शन के लिए उपलब्ध हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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