इंसानियत के लिए कर्बला में लड़ते-लड़ते हजरत इमाम हुसैन अलै. सहित 72 साथियों की शहादत का जिम्मेदार शासक यजीद की मौत की तारीख छह जनवरी को पड़ रही है। जिस पर शिया समुदाय के लोग कल खुशियां मनायेंगे।
शिया वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष हैदर अब्बास खाँ ने बताया कि मोहम्मद साहब के बाद जब हजरत इमाम हुसैन अलै0 का दौर आया तो शाम के हाकिम का बेटा यजीद अरब का शासक बन बैठा। जो अपने अत्याचार और आतंक के बल पर शासन चला रहा था। वह इसे इस्लाम पर लागू करना चाहता था। वह खुदा, कुरआन मजीद और नवी को झुठला रहा था। इसीलिए हजरत इमाम हुसैन अलै. ने उसके खिलाफ उठकर इंसानियत व इस्लाम को बचाने के लिए अपने 72 साथियों सहित जंग-ए-कर्बला कर कुर्बानी पेश की। हुसैन की शहादत के काफी समय बाद एक दिन वह शिकार करने निकला था और एक हिरन का पीछा करते-करते वह अपने सिपाहियों से बिछुड गया। अचानक हिरन गायब हो गया और उसका घोड़ा भड़क गया। यजीद घोडे़ से गिरा तो उसका एक पैर घोड़े के रकाब से फंसी रही। घोड़ा दौड़ता रहा जिससे घसीट-घसीट कर उसके शरीर के टुकड़े-टुकडे़ हो गये। वह तारीख 14 रबीउल अव्वल सन् 64 की तारीख थी। इस तारीख को शिया समुदाय इंसानियत के दुश्मन और दुनिया के पहले आतंकवादी के अंत के रूप में मानकर खुशियां मनाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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