सरकार के मंसानुसार किसानों को अपनी खेती के लिये किसान क्रेडिट कार्ड बनवाये जाने का प्राविधान किया गया है। लेकिन जिले के बैंक मैनेजरों व फील्ड आॅफीसरों की घोर उदासीनता व लापरवाही के चलते पात्र किसानों को आये दिन बैकों के चक्कर लगाना पड़ रहा है। कारण यह है कि न बैकों के फील्ड आफीसरों द्वारा अधिक क्षमता वाला कार्ड जारी करने व खसरा पर गन्ना गेहूॅं, ज्वार, बाजरा दर्ज होने पर मौके पर जाकर रिपोर्ट करने के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है। केसीसी बनवाने वाले किसानों को बैंकों द्वारा तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है। किसी को एक साथ पूरी जानकारी न देकर महिनों दौड़ाया जाता है। किसी को दस प्रतिशत न देने के लिए महिनों फील्ड आफीसर उन्हें गुमराह कर रहे है। जबकि यह सब शासनादेश के विरूद्ध है, शासनादेश में यह कहा गया है कि एक लाख की लिमिट से कम वाले किसानों को नोडयूज जैसी बिना आवश्यक कागजी कार्यवाही न पूरी करवाई जाय पर बैंक मैनेजर अपनी मनमानी से यह सब कर रहे है। सरकार की मंशा है कि किसानों को हर साल में किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाय जिससे वह छोटी-मोटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि विकास सम्बन्धी सहयोग पूरा कर सकें।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जयसिंहपुर क्षेत्र में एस.बी.आई, केनरा बैंक, ग्रामीण बैंक शाखा बरौसा, यूनियन बैंक शाखा उघड़पुर, बैंक आॅफ बड़ौदा शाखा बरौसा जैसे क्षेत्र के दर्जनों बैकों में किसानों को सी.सी. बनवाने के लिए 13 साला लिया जाता है। जिसके लिये किसानों को हजारों रूपये खर्च करने के बावजूद भी तहसील में वकीलों के चक्कर लगाने पड़ रहे है। खसरा व हिस्सा प्रमाण पत्र देने के लिए लेखपाल इन्हीं किसानों से अच्छी रकम वसूल करते है। इसके बाद बैंक कागजों के आधार पर किसान के खेतों का सर्वे करते है। सर्वे करने वालों को अच्छी रकम के लिये देना पड़ता है। अधिक लिमिट बनवाने के लिए कुल लिमिट का दस प्रतिशत बैंक मैनेजर को देना हेाता है। इन प्रक्रियाओं के बाद भी किसानों को कई बैकों के चक्कर लगाने पड़ते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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