उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भारत सरकार से जे.एन.एन.यू.आर.एम. कार्यक्रम के यू.आई.जी. कार्यान्श में स्वीकृत प्रदेश की 30 परियोजनाओं की केन्द्रांश की धनराशि 252 करोड़ 30 लाख 50 हजार रुपए अवमुक्त करने का अनुरोध किया है।
इस सम्बन्ध में केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली को लिखे अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा क्रियान्वित जे.एन.एन.यू.आर.एम. कार्यक्रम के यू.आई.जी. कार्यान्श के अंतर्गत राज्य के 07 मिशन शहरों- लखनऊ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ तथा मथुरा में कुल 33 परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनमें से 30 परियोजनाओं के लिए केन्द्रांश निर्गत करते समय भारत सरकार द्वारा 10 प्रतिशत धनराशि यह कहते हुए रोक ली गई है कि कार्यक्रम के अंतर्गत प्रस्तावित सुधारों को राज्य द्वारा लागू नहीं किया गया है। सुधारों के क्रियान्वयन के पश्चात् यह धनराशि निर्गत की जानी थी।
उल्लेखनीय है कि जे.एन.एन.यू.आर.एम. कार्यक्रम के यू.आई.जी. कार्यान्श के अंतर्गत परियोजनाओं की स्वीकृति एवं अनुश्रवण हेतु गठित शहरी विकास मंत्रालय की केन्द्रीय स्वीकृति एवं अनुश्रवण समिति (सी.एस.एम.सी.) की 03 जनवरी, 2012 की बैठक के दिनांक 12 जनवरी, 2012 के कार्यवृत्त के अंतर्गत प्रदेश में प्रस्तावित सुधारों को क्रियान्वित मान लिया गया था तथा 09 मार्च, 2012 के बाद धनराशि निर्गत किए जाने का निर्णय भी लिया गया था, किन्तु इस निर्णय के बाद भी अभी तक 30 परियोजनाओं के सापेक्ष रोकी गई 10 प्रतिशत की धनराशि 252 करोड़ 30 लाख 50 हजार रुपए प्रदेश सरकार को प्राप्त नहीं हुई है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा निरन्तर अनुरोध किया जा रहा है। परियोजनाओं को पूर्ण किए जाने की अपरिहार्यता को देखते हुए भारत सरकार द्वारा रोकी गई 10 प्रतिशत केन्द्रांश की धनराशि मार्च, 2013 में अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा निर्गत कर परियोजनाओं का क्रियान्वयन कराया जा रहा है।
श्री यादव ने कहा है कि जे.एन.एन.यू.आर.एम. कार्यक्रम प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के कार्यक्रमों में सम्मिलित है। उन्होंने प्रदेश की नगरीय अवस्थापना सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए अपने सुझाव देते हुए श्री जेटली से उन पर सकारात्मक रूप से विचार करने का अनुरोध भी किया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि जे.एन.एन.यू.आर.एम. कार्यक्रम के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं में सृजित परिसम्पत्तियों के रख-रखाव पर आने वाले व्यय को परियोजना लागत में सम्मिलित करते हुए केन्द्र सरकार द्वारा धनराशि अवमुक्त किए जाने पर विचार किया जाए।
केन्द्र सरकार से स्वीकृत परियोजनाओं पर विलम्ब से प्राप्त होने वाली किश्तों के कारण परियोजनाओं की लागत में वृद्धि हो रही है। निर्धारित व्यवस्था के अनुसार लागत में हुई वृद्धि को प्रदेश सरकार को अपने संसाधनों से वहन करना होता है, जिससे राज्य को अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ रहा है। अतः बढ़ी हुई लागत को भी निर्धारित अनुपात में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए।
परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक भूमि की व्यवस्था पर आने वाले व्यय को भी परियोजना लागत में सम्मिलित कर निर्धारित अनुपात में उसे वहन किया जाना चाहिए। जे.एन.एन.यू.आर.एम. कार्यक्रम के नगरीय परिवहन परियोजना के अंतर्गत बसों के साथ-साथ आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं जैसे- बस डिपो, वर्कशाॅप, जंक्शन आदि विकसित कराए जाने हेतु भी धनराशि की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा इसे केन्द्र सरकार द्वारा ही वित्त पोषित किया जाना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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