सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आॅडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व एकता सत्संग’ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका व बहाई धर्मानुयायी डा. भारती गाँधी ने कहा कि इस कलियुग में भक्तिभाव व प्रार्थना की ही महत्ता है और यही मानव के आध्यात्मिक विकास का सर्वसुलभ साधन है। प्रार्थना में असीम शक्ति होती है। सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना को ईश्वर जरूर स्वीकार करते हैं। डा. गाँधी ने आगे कहा कि प्रत्येक युग की आवश्यकताआंे व समस्याओं के अनुसार ही उस युग की शिक्षायें होती हैं। आज की आवश्यकता यह है कि एक ही छत के नीचे सभी धर्मों की प्रार्थना की जानी चाहिए। सभी धर्म एक ही ईश्वर को पाने के विभिन्न रास्ते हैं तथापि धर्म की मूल शिक्षा व आध्यात्मिक ज्ञान सदैव शाश्वत व एक ही रहता है।
डा. भारती गाँधी ने आगे कहा कि हम जिस रूप में भी ईश्वर को याद करें, हमारी भावना पवित्र होनी चाहिए, साथ ही हमें अपना कर्म करना चाहिए तभी हमारा भला हो सकता है। हम भी को मिलकर विश्व शान्ति व विश्व एकता की कामना करनी चाहिए एवं इस धरती पर हृदयों की एकता स्थापित करनी चाहिए, यही इस युग का शाश्वत सत्य है।
इससे पहले, आज सत्संग में सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने एक से बढ़कर एक समुधर भजनों का अनूठा समां बांधा जिसने सम्पूर्ण आॅडिटोरियम को भक्तिभाव से सराबार कर दिया। प्रभु महिमा का बखान करते एक से बढ़कर एक भजनों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस अवसर पर विभिन्न विद्वानों जैसे श्री पी के मिश्रा, श्री आई पी मिश्रा, श्री अजय सिंह, डा. यू बी सिंह आदि ने भी अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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