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पशुपालन निदेशक डाॅ0 रूद्र प्रताप ने बताया कि शीतलहर के कुप्रभाव से पशु दूध उत्पादन गिर जाता है,

Posted on 20 December 2014 by admin

पशुपालन निदेशक डाॅ0 रूद्र प्रताप ने बताया कि शीतलहर के कुप्रभाव से पशु दूध उत्पादन गिर जाता है, इसके साथ ही उचित देखरेख एवं प्रबन्धन न होने से पशु बीमारी से प्रभावित होने से मृत्यु भी हो सकती है। पशुओं एवं मुर्गियों को शीतलहर के विपरीत प्रभाव से बचाने के लिए पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वह निम्न सुझावों पर अमल करें-पशुओं को खुले में न पालें। पशुओें को घिरी जगह एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से ढक दे जिससे सीधी हवा का झोका पशुओं तक ना पहुंच सके। पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। जल भराव न होने दें। बिछावन में पुआल का प्रयोग करें।     उन्होंने सलाह दी कि पशु बाड़े को नमी/सीलन से बचायें, ऐसा इन्तजाम करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे। बिछावन समय-समय पर बदलते रहें। रखा हुआ बासी पानी पशुओं को न पिलायें, स्वच्छ ताजा पानी हैन्डपाइप या कुओं से ही पिलायें। पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनायें तथा ध्यान रखें कि झूल खिसके नहीं अतैव नीचे से अगले एवं पिछले पैर के पाउ जरूर बांध दें। गर्मी हेतु अलाव जलायें, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं/बच्चों की पहुंच से दूर रखने के लिए पशु के गले की रस्सी छोटी बाधें कि पशु अलाव तक ना पहुंच सके। अलाव से पशुबाड़े में आगजनी का खतरा रहता है जिसपर विशेष ध्यान दें। कन्सट्रेट संतुलित आहार पशुओं को दें, तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढ़ा दें।
निदेशक ने बताया कि धूप निकलने पर पशु को अवश्य ही बाहर खुले स्थान पर घूप में खड़ा करें। नवजात बच्चों को खीस अवश्य पिलायें, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती हैं। प्रसव के बाद माँ को ठन्डा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलायें। भेड़ बकरियों में पी0पी0आर0 बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है अतः बीमारी से बचाव का टीका समय पर लगवायें। चूजा/मुर्गी के घरों में बल्ब जलायें और तापमान गिरने से रोकें या बाहर अलाव जलायें। गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें एवं प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा को ढके हुये स्थान में बिछावन पर ही रखकर ठन्ड/शीत से बचाव करें। नवजात बच्चों को ढक कर ठन्ड से बचाव करें। ठन्ड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं, तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें। उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्ण रूपेण पालन करें।
उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार की तकनीकी जानकारी के लिये समस्या निवारण केन्द्र पशुपालन विभाग के टोल फ्री न0 1800-180-1541 पर सम्पर्क करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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