मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में विभिन्न पर्यावरणीय दुष्प्रभावों के निराकरण हेतु उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन प्राधिकरण गठित करने का निर्णय लिया है। यह प्राधिकरण स्वतंत्र रूप से राज्य में जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन एवं अल्पीकरण से सम्बन्धित कार्याें का संचालन/क्रियान्वयन करेगा।
प्राधिकरण के संचालन हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक शीर्ष समिति का गठन किया जाएगा। जिसमें मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव पर्यावरण, वन, नगर विकास, वित्त विभाग, निदेशक पर्यावरण के अतिरिक्त 04 विषय विशेषज्ञ एवं 02 गैर संस्थागत संगठन के प्रतिनिधि रखे जाएंगे। शीर्ष समिति के तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक गवर्निंग बाॅडी का गठन किया जाएगा। जिसमें मिशन विभागों के प्रमुख सचिवों के अतिरिक्त 04 विषय विशेषज्ञ सदस्य होंगे। प्राधिकरण के प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्याें के संचालन हेतु निदेशक पर्यावरण निदेशालय के अन्तर्गत एक कार्यकारी निकाय होगा। इस प्राधिकरण की न्यूनतम आवश्यकताओं के आधार पर अधिकारियों एवं अधीनस्थ कार्मिकों के पदों का सृजन वित्त विभाग की सहमति से किया जाएगा। प्राधिकरण के कार्याें के प्रारम्भिक संचालन हेतु 20 करोड़ रुपये की धनराशि राज्य सरकार द्वारा काॅरपस फण्ड के रूप में प्रदान की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन योजना के अनुरूप, प्रदेश सरकार ने राज्य स्तरीय एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत 07 मिशन विभागों को सम्मिलित किया गया है। इनमें सामरिक ज्ञान मिशन-पर्यावरण विभाग, सम्वर्धित ऊर्जा कुशलता मिशन-ऊर्जा विभाग, सतत पर्यावास मिशन-आवास विभाग, सतत कृषि मिशन-कृषि विभाग, हरित भारत मिशन-वन विभाग, सौर मिशन-अतिरिक्त ऊर्जा विभाग तथा जल मिशन-सिंचाई विभाग शामिल हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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