मंत्रिपरिषद ने राज्य जैव ऊर्जा नीति को मंजूरी प्रदान कर दी है। प्रदेश की कृषि, सामाजिक वानिकी एवं चारागाह हेतु पूर्णतः अनुप्रयुक्त भूमि का उपयोग कर कृषि एवं सहायक सेक्टर की उत्पादकता बढ़ाते हुए, ऊर्जा सेक्टर में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से नीति का अनुमोदन किया गया है। इस नीति के क्रियान्वयन के उपरान्त वर्ष 2020 के अन्त तक प्रति वर्ष वर्तमान मूल्यों पर लगभग 13,164 करोड़ रुपये की जैव ऊर्जा का उत्पादन अनुमानित है। इसमें बायोडीजल, बायोएथेनाल, बायोगैस तथा प्रोड्यूसर गैस के अलावा बायोगैस परियोजना के सह उत्पाद के रूप में उच्च गुणवत्ता की बायो स्लरी भी प्राप्त होगी, जिससे प्रदेश मंे जैविक खेती के प्रयासों को एक नई दिशा मिलेगी। इसके साथ ही, समस्त प्रकार की सड़ने योग्य कृषि, औद्यानिकी एवं काष्ठीय अपशिष्टों का उपयोग ऊर्जा उत्पादन हेतु होने से प्रदेश में स्वच्छता का वातावरण बनेगा तथा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी। पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर व्यय होने वाली बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
इस नीति के क्रियान्वयन से विकेन्द्रीकृत स्तर पर लघु एवं ग्रामीण औद्योगिक इकाईयों में ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। इससे इस क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ेगी और इकाईयों के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। वर्ष 2020 के अन्त तक लगभग 10 लाख युवाओं हेतु रोजगार के अवसर सृजित होना अनुमानित है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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