मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के निःशक्तजन के समग्र विकास हेतु राज्य पुनर्वास नीति-2014 को अनुमोदित कर दिया है। यह नीति मुख्यतः विकलांगजन के भौतिक, शैक्षिक तथा आर्थिक पुनर्वास पर केन्द्रित है। इससे प्रदेश में ऐसा वातावरण सृजित करने में मदद मिलेगी जिससे विकलांगजन को समान अवसर, उनके अधिकारों का संरक्षण और समाज में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
निःशक्तता का शीघ्र पता लगाकर उपचार कराने पर बल दिया जाएगा और इसके जरूरी सुविधाएं सृजित की जाएंगी। चिकित्सा शिक्षा में स्नातकोत्तर, स्नातक डिग्री और डिप्लोमा स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निःशक्तता के निवारण तथा उपचार संबंधी माॅड्यूल्स शामिल किए जाएंगे। निःशक्तजन हेतु कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण के लिए अनुदान संबंधी नियमावली की व्यवहारिक कठिनाईयों को दूर किया जाएगा। पुनर्वास हेतु प्राथमिक स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। 15 से 18 वर्ष की आयु के निःशक्त बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने संबंधी एकीकृत शिक्षा योजना (आई0ई0डी0एस0एस0) का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक निःशक्त बच्चे की वर्ष 2020 तक स्कूलपूर्व, प्राइमरी व माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए उपयुक्त पहुंच हो।
निःशक्त व्यक्तियों द्वारा आपसी बातचीत के लिए संकेत भाषा, वैकल्पिक अभिव्यक्ति संबंधी संपे्रक्षण माध्यमों को मान्यता दी जाएगी तथा इन्हें मानकीकृत किया जाएगा। सार्वजनिक भवन/स्थान/परिवहन प्रणाली को निःशक्त व्यक्तियों के लिए अधिकतम सम्भव सीमा तक बाधामुक्त बनाया जाएगा। निःशक्तजन के सुगम आवागमन हेतु राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा तथा जनोपयोगी स्थलों पर विशेष पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सरल बनाकर कम से कम समय में निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने हेतु वर्तमान नियमों में संशोधन किए जाएंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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