वेद वेदांग गुरूकुल विद्यापीठ धनपतगंज के अष्टम वार्षिकोत्सव में आयोजित कवि सम्मेलन व मुसायरे में बड़ी संस्था में ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। हास्य, देश प्रेम, वीर रस की विधाओं में वर्णित कविओं की कविताओं से मौजूद लोग उत्साहित हुए बिना नहीं रह सके।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अध्यक्ष कवि देव नारायण तिवारी ने कहा कि रचित कविताएं समाज की दिशा तय करती है। कवित कर्मराज शर्मा ‘तुकान्त’ की पंक्तियां ‘‘अब तक जो हो गई छतिपूर्ति चाहता हूॅं, जन-जन में सिंह जैसी स्फूर्ति चाहता हूॅ, काश्मीर तो मेरा है, लाहौर भी ले लेगें, मैं तो अखण्ड भारत की मूर्ति चाहता हूॅं,’’ से ग्रामण उत्साहित हुए बिना नही रह सके। कवि पुष्कर सुलतानपुरी ने ‘‘चले गर हादसों का दौर, कोई गम नहीं होता उजाड़े इस्क की महफिल किसी में दम नहीं होता’’ दर्शक झूम उठे। कवि कुलदीप ‘‘मयंक’’ ने अपनी कविता ‘‘जमी की जन्नत को तुम पाने का सपना छोड़ दो, पाक गर भारत बना काश्मीर लेकर क्या करोगें’’ पढ़ी तो ग्रामीण वाह-वाह कर उठे। बाराबंकी से पधारे विकांस बौखल ने अपनी हास्य रचना से श्रोताओं को लोट पोट कर दिया। कवि अम्बरीश अम्बर, आशुतोष श्रीवास्तव, विशेष शर्मा, सुरेषा फक्कड़, डाॅ. आलोक शुक्ला, दिनेश दिनकर ने अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इस मौके पर यदुनाथ पाण्डेय, द्वारिका प्रसाद दूबे, जय प्रकाश भारती, राजमणि शर्मा, चन्द्रमणि मिश्र, उमाशंकर, मनोराम समेत अनेक लोग मौजूद रहे। संचालन संतोष सिंह ने किया। कार्यक्रम के अन्त में आयोजक व गुरूकुल आश्रम के अधिष्ठाना डाॅ. शिवदत्त पाण्डेय ने आगन्तुकों का आभार जताया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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