उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आज यहां आयोजित कालिदास जयन्ती समारोह में प्रो0 अभिराज राजेन्द्र मिश्र, पूर्व कुलपति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी का, ‘‘लोकजीवने कालिदासस्य कृतीनां प्रभावः’’ विषय पर व्याख्यान हुआ। प्रो0 मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि कालिदास ने कभी भी अपने पाण्डित्य को दर्शाने का कार्य नहीं किया, बल्कि लोक परम्पराओं एवं कविताओं को प्रोत्साहित करने के लिये बहुत संघर्ष किया। कालिदास ने अपने साहित्य के समस्त इतिवृत जनता के बीच से लिये हैं। कालिदास ने अपने साहित्य में देवताओं, राजाओं, गन्धर्वों, किन्नरा,ें अर्ध-देवताओं, पामर, धीमर आदि समस्त लोक पक्षों का वर्णन किया है। उनके काव्य में प्रत्येक समाज की संस्कृति का अलग-अलग वर्णन मिलता है। नारी मनोविज्ञान का वर्णन पढ़कर तो मन नतमस्तक हो जाता है। वे लोक संवेदनाओं के अद्भुत पारखी हैं। देवताओं के लोक वर्णन में शिव-र्पावती के विवाह के समय में सभी लोक प्रथाओं का उल्लेख किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो0 सत्यदेव मिश्र, पूर्व कुलपति, श्री रामानन्दाचार्य, राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय ने की तथा कार्यक्रम का संचालन डा0 रामसुमेर यादव द्वारा किया गया। संस्कृत संस्थान के निदेशक श्री बृजेश चन्द्र जी ने सभी वक्ताओं एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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