देश के प्रख्यात वैज्ञानिक डाॅ. होमी जहाॅगीर भाभा का जन्मदिन बीते दिन मनाया गया। अपने पैतृक निवास महमूदपुर में डाॅ. भाभा का जन्मदिन मनाते हुए राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व प्रदेश महासचिव एवं प्रवक्ता रामकुमार सिंह लाल भइया ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए बताया कि डाॅ. भाभा का जन्मदिन 30 अक्टूबर 1909 को है। वह बम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था।
श्री सिंह ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद पूरी दुनिया में परमाणु बम, अणुबम और अत्याधुनिक हथियारों की जरूरत समझी जाने लगी क्योंकि अमेरिका के द्वारा परमाणु बम हमले के सहारे नागासाकी और हिरोशिमा को तहस नहस करके एक तरफा अमेरिका और उसके मित्र संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना करके विश्वशान्ति का पाठ पढ़ाया जा रहा था। यद्यपि प्रकट रूप में एक अन्तर्राष्ट्रीय छलावा दिखाकर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना करके विश्व शान्ति का पाठ पढ़ाया जा रहा था। लेकिन दुनिया का कोई भी देश आन्तरिक रूप से इस भ्रम एवं छल को मानने को तैयार नहीं था। क्योंकि ये देश अपने-अपने लिए अलग से बीटो पावर की व्यवस्था इस संगठन में कर चुके थे। इस भ्रम को तोड़ते हुए सबसे पहले 1954 में चीन ने पूरी तैयारी के साथ परमाणु परीक्षण कर लिया। श्री सिंह ने कहा कि परमाणु परीक्षण और भारत की मदद से बीटो पावर पाने के बाद सबसे पहला हमला भारत पर ही कर दिया और भारत की सेनाए लगातार पीछे हटने लगी। निराशा और भय एक जबरदस्त मंजर खड़ा हो गया। परमाणु बम हमले की भी अपरोक्ष धमकी होने लगी। इसी आशा-निराशा के बीच पंडित नेहरू जैसे अपने आप को विश्व नेता कहलाने वाले प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सशस्त्र सेनायें, पच्चास करोड़ की आबादी सब तनमन से हारने लगी और नेहरू जी को ऐसे में पक्षाघात हो गया लगा कि आजादी के नायकों शहादत, जिन्दा नेताओं के भाषण सब बेकार जो जायेगंे। निराशा के बादल को अपनी बहादुर आवाज से जज्बात से तार-तार करते भाभा ने कहा मेरे जैसे वैज्ञानिक के जिन्दा रहते आप हथियार से नहीं हार सकते जरूरत पड़ी तो 18 दिन से लेकर 18 महीने परमाणु बम बना देगें। दुनिया के किसी भी देश का जवाब उसी की भाषा में दे देगें और आश्चर्य की उन्होंने थेरियम से यूरेनियम बना विश्व के विकसित गर्जना करने वाले देशों के समक्ष देश को खड़ाकर दिया। उन्होंने कहा कि आज हम उनका नमन करते है देश उनके बुद्धि-विवेक कौशल का सदैव ऋणी रहेगा। सभा में डाॅ. त्रिभवनाथ यादव ने अपना विचार रखते हुए कहा कि विज्ञान के युग में वैज्ञानिकों की जयन्ती भव्य ढंग से मनानी चाहिए। मो. इस्लाम ने कहा कि नेता अगर विचार पैदा करते है तो वैज्ञानिक हथियार तैयार करते है सही माने में हथियार के बिना हाथ, विचार कुछ काम नही करते। सभा में हरीश सिंह, राजेन्द्र यादव, अन्जनी यादव, राजेश सिंह, अम्बिका पाण्डेय, मथुरा पाण्डेय आदि शामिल रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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