उ0प्र0 सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से पशुपालकों/किसानों के समग्र सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान हेतु उनके पालतू पशुओं, की चिकित्सा एवं पशुओं को होने वाले रोगों से मुक्ति दिलाने हेतु इलाज की सुदृढ़ व्यवस्था की है। पशु चिकित्सा एवं रोगों की रोकथाम हेतु निरन्तर सेवायें 2200 पशु चिकित्सालयों, 268 द श्रेणी औषधालओं तथा 2575 पशु सेवा केन्द्रों के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रही है।
यह जानकारी प्रदेश के पशुधन विकास मंत्री श्री राज किशोर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक ब्लाक में पशु चिकित्सालय तथा पशु सेवा केन्द्र उपलब्ध हैं। किसान भाई अपने पशुओं का इलाज स्थानीय स्तर पर करा सकते हैं।
श्री सिंह ने बताया कि विषय विशेषज्ञों द्वारा पशु चिकित्सा शल्य क्रिया एवं एक्सरे आदि सेवायें पशुपालकों को पशु चिकित्सा पालीक्लीनिक लखनऊ, मुजफ्फरनगर एवं गोरखपुर के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रही है। विभिन्न पशु बीमारियों के नियंत्रण हेतु सघन टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। गलाघोटू, बी0क्यू0, खुरपका एवं मुॅहपका रोग निदान हेतु पूरे प्रदेश में डोर-टू-डोर निःशुल्क टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। टीकाकरण अभियान के दौरान 10 से 29 अक्टूबर तक 1.68 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। इसके साथ ही पशुओं के मेलों एवं पशु बाजारों, गोशालाओं, पशु प्रजनन एवं संरक्षण प्रक्षेत्रों, पशु शालाओं में भी टीकाकरण टीमों द्वारा मुॅहपका एवं खुरपका रोगों से बचाव के टीके पशुओं को लगाये जा रहे हैं।
पशुधन विकास मंत्री ने बताया कि पशुओं में उत्पन्न होने वाली बीमारियों के निदान हेतु रोगों की जांच/पैथालाॅजी की सुविधा मण्डल स्तर पर 10 मण्डलीय
रोग निदान प्रयोग शालाओं तथा राज्य स्तर पर लखनऊ में एक केन्द्रीय प्रयोगशाला द्वारा उपलब्ध करायी जा रही है। इसके अलावा 35 जनपदों में प्राथमिक जांच सुविधायें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर पशुपालन निदेशालय में डिजीज सर्वेलेंस एवं मानीटरिंग सेल द्वारा प्रदेश में पशुओं की दस प्रमुख बीमारियों तथा 141 अन्य पशुओं को होने वाली बीमारियों पर नियंत्रण रखने हेतु रोग सर्वेलेन्स का कार्य किया जा रहा है। रैबीज, स्वाइन फीवर, टी0बी0, ब्रुसोलोसिस, फ्ुलोरम तथा मुर्गियों की प्रमुख बीमारियों के निदान एवं नियंत्रण हेतु विशेष इकाइयों सक्रिय है।
पशुधन विकास मंत्री ने बताया कि पशुपालक/किसान अपने बीमार पशुओं, के इलाज बाॅझपन का शिकार गाय/भैंस आदि का कृत्रिम गर्भाधान तथा बाॅझपन निवारण हेतु इलाज की व्यवस्था समस्त राजकीय पशु चिकित्सालयों/पशुचिकित्सा केन्द्रों पर की गयी है। पशुओं के प्रजनन, संरक्षण तथा संवर्धन हेतु विशेष इकाइयों का गठन किया गया है। उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद द्वारा उन्नतशील, उच्च नस्ल के दुधारू पशुओं के संवर्धन, संरक्षण एवं प्रजनन हेतु कारगर व्यवस्था की जा रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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