आलू उत्पादन में जीवांश खाद का विशेष महत्व है, जिन आलू उत्पादकों ने हरी खाद न डाली हो तो वे 250-300 कुन्तल सड़ी गोबर की खाद खेत तैयारी के समय अवश्य प्रयोग करें। यह जानकारी देते हुए प्रदेश के उद्यान निदेशक श्री एस.पी. जोशी ने किसानों को बताया कि वे संस्तुत मात्रा में नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश जनित उर्वरकों का भी समय से इस्तेमाल करें। उन्होंने बताया कि आलू में संतुलित पोषक तत्वों के प्रयोग से ही गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
उद्यान निदेशक ने आलू उत्पादाकों से कहा कि वे बुवाई के लिए प्रमाणित प्रजातियों की शुद्धता वाले रोग रहित आलू बीज का प्रयोग करें। विशेष रूप से बीज उत्पादन के लिए आलू काटकर न बोया जाय। उन्होंने बताया कि बुवाई के पूर्व आलू बीज को एग्नाल के घोल में शोधित कर लेना चाहिए। आलू के उचित जमाव के लिए अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम 18-20 डिग्री सेल्सियस तापक्रम होना चाहिए, ज्यादा तापक्रम होने की दशा में आलू सड़ने की सम्भावना होती है। अतः उचित तापक्रम होने पर ही आलू की बुवाई करनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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