सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अत्यधिक पारदर्शी, जनोपयोगी एवं सुदृढ़ बनाने के लिए शासन द्वारा गत 27 जून को गठित 3 सदस्यीय विभागीय समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाली समस्याओं के निराकरण के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं।
उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री, श्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि समिति ने अपनी 54 पृष्ठ की रिपोर्ट में 14 बिन्दुओं पर अपनी आख्या दी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव ‘उचित दर दुकानों’ की चयन प्रक्रिया पर है, जिसमें उचित दर विक्रेता का कार्यकाल अधिकतम 3 वर्ष किये जाने एवं 3 वर्ष के कार्यकाल के दौरान विक्रेता की मृत्यु की दशा में मृतक आश्रित के रूप में नियुक्ति की वर्तमान व्यवस्था को समाप्त किये जाने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने बताया कि समिति ने पाया कि वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था के अनुसार उचित दर की दुकान की नियुक्ति असीमित अवधि के लिए की जाती है तथा विक्रेता के निधन के पश्चात दुकान प्रायः उसके आश्रित को आवंटित हो जाती है। इस स्थायित्व बोध के कारण उचित दर विक्रेताओं द्वारा मनमाने ढंग से वितरण करने की आशंका बनी रहती है। वितरण व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए उचित होगा कि उचित दर विक्रेताओं की नियुक्ति 3 वर्ष के लिए ही हो। उन्होंने बताया कि समिति ने ग्रामीण क्षेत्र व नगरीय क्षेत्र में उचित दर विक्रेता के चयन हेतु अलग-अलग अर्हता रखने की भी सिफारिश की है।
खाद्य मंत्री ने उचित दर विक्रेता को देय लाभांश में वृद्धि किये जाने के संबंध में बताया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में संस्तुति की है कि वर्तमान में उचित दर विक्रेताओं को जो लाभांश दिया जा रहा है, वह देश के कई अन्य प्रान्तों की तुलना में कम है। कम लाभांश दिये जाने के कारण दुकानों का संचालन वित्तीय दृष्टिकोण से लाभप्रद नहीं रह गया है। इसके मद्देनजर विक्रेताओं के लाभांश में वृद्धि किया जाना नितान्त आवश्यक है। इसके अलावा समिति ने राशन कार्ड उपलब्ध कराये जाने की प्रक्रिया को अद्यतन एवं सुदृढ़ बनाने, प्रवर्तन प्रक्रिया के सरलीकरण, जनपद स्तर पर शिकायत प्रकोष्ठ के गठन, अपर जिलाधिकारी (नागरिक आपूर्ति) के पद को समाप्त करने एवं खाद्य प्रकोष्ठ की अप्रासंगिकता, उपायुक्त खाद्य एवं जिला आपूर्ति अधिकारी के पद को और प्रभावी बनाये जाने के संबंध में भी आवश्यक सुझाव दी है।
खाद्य मंत्री ने बताया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में जो संस्तुतियां की है, उस पर शासन स्तर पर गहन विचार-विमर्श के पश्चात ही जनहित में आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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