उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश सरकार राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए गम्भीर है व इसके लिए लगातार हर सम्भव प्रयास कर रही है। देश और प्रदेश में आलू की अच्छी खपत है। आलू उत्पादक किसानों को अगर आलू का अच्छा भाव मिल जाए, तो उनकी आर्थिक स्थिति में गुणात्मक सुधार हो सकता है। इसी वर्ष राज्य सरकार द्वारा लागू की गई आलू विकास नीति तथा नीदरलैण्ड से हुए तकनीकी हस्तान्तरण समझौते से प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं की स्थापना, तकनीकी उन्नयन, विपणन व्यवस्था में सुधार तथा गुणवत्ता व प्रमाणन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इससे प्रदेश के आलू उत्पादक किसान आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगे।
मुख्यमंत्री आज राजकीय मेडिकल काॅलेज, कन्नौज के प्रेक्षागृह में चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, प्रदेश के उद्यान विभाग एवं डच पोटैटो क्लस्टर, नीदरलैण्ड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आलू किसानों की दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि यह कार्यशाला मुख्यमंत्री की नीदरलैण्ड यात्रा का प्रतिफल है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों को नीदरलैण्ड में आलू के उत्पादन में अपनायी जा रही नवीन तकनीकी के प्रशिक्षण से निश्चित रूप से मदद मिलेगी। प्रदेश मंे आलू का अधिक उत्पादन होने के बावजूद प्रसंस्करण, भण्डारण व विपणन की नियोजित व्यवस्था के अभाव में किसानों को आलू का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इससे प्रदेश में आलू का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन व प्राकृतिक ससंाधनों में गिरावट को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक उन्नतशील प्रजातियों तथा नवीनतम तकनीकी का विकास करें। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक यहां दो दिनों तक आलू उत्पादन, उसके रख-रखाव व बिक्री एवं इससे तैयार होने वाले अन्य उत्पादों हेतु नवीन तकनीकी से किसानों को अवगत कराएंगे। किसान कार्यशाला में अपने प्रश्नों एवं समस्याओं के सम्बन्ध में कृषि वैज्ञानिकांे से समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
नीदरलैण्ड के नेफटेक (नीदरलैण्ड कृषि एवं खाद्य तकनीकी केन्द्र) के निदेशक श्री मराइन लाइटेन ने नीदरलैण्ड के राजदूत का सन्देश प्रदेश के 11 जनपदों से पधारे 300 कृषकों एवं जनप्रतिनिधियों को पढ़कर सुनाते हुए कहा कि उनकी इच्छा है कि उनके विश्वविद्यालय सीधे प्रदेश के किसानों के साथ मिलकर काम करें। नीदरलैण्ड में 46 टन प्रति हेक्टेयर आलू उत्पादित होता है, जबकि प्रदेश में मात्र 24 टन। इस कमी को दूर करने के लिए वे और उनकी सरकार सहयोग करने के लिये तैयार हैं। उन्हांेने कहा कि किसानों की पैदावार किस तरह बढे़, इसके लिए मुख्यमंत्री काफी प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा कि नीदरलैण्ड के राजदूत एवं प्रदेश सरकार के बीच आपसी सहयोग के लिए जो समझौते हुए हैं, यह कार्यशाला उन्हीं समझौतों का प्रतिफल है।
नीदरलैण्ड के डच पोटैटो क्लस्टर के निदेशक प्रो0 एनटाॅन हैवरकाॅर्ट ने कहा कि पूरी दुनिया में गेहूं एवं चावल के बाद आलू का सर्वाधिक उपभोग किया जाता है। चीन एवं रूस के बाद भारत सबसे अधिक क्षेत्रफल में आलू उत्पादन करता है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आलू की उत्पादकता कैसे बढे़ इस ओर ध्यान देने के लिए यह कार्यशाला काफी उपयोगी होगी। हाॅलैण्ड का अनुभव उत्तर प्रदेश के आलू किसानों के लिए उपयोगी साबित होगा।
इससे पूर्व, प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री वी0एन0 गर्ग ने नीदरलैण्ड के कृषि वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश आलू की उत्पादकता में काफी पीछे ह,ै अन्य देशों के सापेक्ष हमारा उत्पादन आधा है। इसके लिये तकनीकी हस्तान्तरण, बीज उत्पादन प्रणालियों की खोज, भण्डारण प्रशिक्षण एवं निर्यात बढ़ाने की जरूरत है। यह प्रशिक्षण इस दिशा में पहला कदम है।
उद्घाटन सत्र के अन्त में चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो0 मुन्ना सिंह व जिलाधिकारी कन्नौज द्वारा मुख्य अतिथि व अन्य प्रमुख अतिथियों को स्मृति चिन्ह भंेट कर सम्मनित किया। कन्नौज के जिलाधिकारी श्री अनुज कुमार झा ने मुख्यमंत्री को जनपद के अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से जम्मू और कश्मीर में बाढ़ आपदा पीडि़तों की सहायता हेतु 72 लाख 76 हजार की धनराशि का चेक भेंट किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राजस्थान बार्डर पर शहीद हुए स्व0 ब्रह्मपाल सिहं की पत्नी श्रीमती विनीता देवी को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 20 लाख रुपए का चेक भी प्रदान किया।
इस अवसर पर प्रदेश सरकार के मंत्रिगण श्री पारसनाथ यादव, श्री शिव कुमार बेरिया, श्री विजय बहादुर पाल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एंव शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, कृषि वैज्ञानिक एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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