उ0प्र0 सरकार ने पशुधन विकास परिषद उ0प्र0 के माध्यम से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किसानों/पशुपालकों के पशुओ के संरक्षण, सर्वधन एवं पालन हेतु 2.50 करोड़ रुपये की लागत से अन्ना प्रथा उन्मूलन योजना लागू की है। यह योजना बुन्देलखण्ड क्षेत्र के चित्रकूट एवं झांसी जनपदों में संचालित की जायेगी। इस योजना के लागू होने से अब इस क्षेत्र के पशु चारे के अभाव में छुट्टा नहीं घूमेंगे। इस योजना के अन्तर्गत गोवंशीय पशुओं की न्यून दुग्ध उत्पादकता में सुधार की उन्नतिशील संततियों की संख्या में बढ़ोत्तरी करते हुए दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना एवं निम्न कोटि के नरवत्सों/सांड़ों की बधियाकरण कर संख्या में घटोत्तरी करना है। इसके अतिरिक्त योजना के संचालन से वर्ष भर पौष्टिक हरे चारे की उपलब्धता हेतु पशुपालकों को जागरूक भी किया जायेगा।
योजना में वर्ष 2014-15 हेतु प्रस्तावित धनराशि 2.5 करोड़ रुपये की 1/2 धनराशि ही अवमुक्त की गई है, जिसके कारण प्रस्तावित भौतिक लक्ष्य के सापेक्ष 1/2 धनराशि ही वर्ष 2014-15 में अवमुक्त धनराशि के अनुरूप ही कार्य सम्पन्न किये जायेंगे। इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किये जाने से स्थानीय गोवंशीय नस्लों में तेजी से सुधार होगा, जिसके फलस्वरूप अन्ना प्रथा का उन्मूलन हो सकेगा।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पशुओं की नस्ल सुधार योजना के अन्तर्गत निम्न कोटि के नरवत्सों/सांड़ो का बधियाकरण करते हुए क्षेत्र की गोवंशीय मादा पशुओं को उन्नतशील सांड़ों के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान द्वारा गर्भित कराकर उन्नतशील की जा सकेगी। निम्न कोटि के बछड़ों का बधियाकरण बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले जनपदों यथा चित्रकूट एवं झांसी में पशुगणना 2007 के अनुसार क्रमशः 39179 एवं 21872 गोवंशीय बछड़े जिनमें से क्रमशः 31343 एवं 17498 (80 प्रतिशत) बछड़ों का जनपद में कार्यरत विभागीय स्टाफ, पैरावेटस एवं बायफ केन्द्रों द्वारा बधियाकरण किया जाना योजना में प्रस्तावित था।
उक्त जनपदों से वर्ष 2014-15 हेतु स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष क्रमशः 15672 एवं 8749 गोवंशीय नरवत्सों/सांड़ो के बधियाकरण का लक्ष्य निधारित गया है। योजना द्वारा बधियाकरण शुल्क रु0 10.00 प्रति पशु वहन किया जायेगा। योजना में बधियाकरण हेतु पशुपालकों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन धनराशि रु0 100.00 प्रति पशु एस0एल0एस0सी0 समिति द्वारा प्रेरक (पैरावेटस) को देने हेतु सहमति प्रदत्त की गई है। बधियाकरण हेतु वर्डिजो कास्ट्रेटर का क्रय पशुपालन विभाग द्वारा स्वीकृत दरों एवं फर्मों से किया जाना है। योजना में बधियाकरण का पूर्ण विवरण उल्लिखित पंजिका में अंकित किया जायेगा। योजना की समीक्षा संबंधित पशुचिकित्सा अधिकारी करेंगे।
इस योजना में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत उच्च कोटि/संकर नस्ल के सांड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इस योजना के प्रथम चरण में चित्रकूट एवं झांसी जनपद क्रमशः 21 एवं 28 न्यायपंचायत को चरणबद्ध ढंग से योजनावधि वर्ष 2014-15 में स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष क्रमशः 31 एवं 43 कुल 74 उन्नतशील थारपारकर नस्ल/संकर (थारपारकर नरवत्सों/सांड़ों की अनुपलब्धता की दशा में जर्सी एवं इनके क्रास सांड़) के गोवंशीय सांड़ों को क्रय कर उपलब्ध कराया जायेगा। केन्द्रीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्रों/राजकीय पशुधन प्रक्षेत्रों से नैसर्गिक अभिजनन हेतु एम.एस.पी. के अनुरूप गोवंशीय नस्ल (डैम ईल्ड के आधार पर) के नवत्सों/साड़ों को क्रय कर उपलब्ध कराया जायेगा। उन्नतशील सांड़ों को क्रय करने से पूर्व भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली/मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों टी0वी0, जे0डी0 एवं ब्रसलोसिस रोग का परीक्षण कराना अनिवार्य होगा। योजना में उपलब्ध कराये गये साड़ क्षेत्र के प्रधान में संरक्षण में रहेगा। स्थानीय पशुचिकित्साधिकी सांड़ों के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे। क्षेत्र में वितरित उन्नतिशील/संकर नस्ल केक्षेत्र में वितरित उन्नतिशील/संकर नस्ल के साॅड़ ही छुट्टा गोवंशीय पशुओं को नैसर्गिक रूप से गर्भित कर सकेंगे। योजना के प्रथम चरण में ऐसे न्याय पंचायतों में साॅड़ों को उपलब्ध कराया जायेगा, जो मुख्यालय से दूरस्थ हों। तीन वर्ष के पश्चात इन साॅड़ों को स्थानानतरित करते हुए दूसरी न्याय पंचायतों में भेजा जायेगा, ताकि इनब्रीडिंग की समस्या उत्पन्न न हो सके। वितरित गोवंशीय साॅड़ों का तीन वर्षीय बीमा अनिवार्य रूप से कराया जायेगा।
योजना के अन्तर्गत कृत्रिम गर्भाधन द्वारा नस्ल सुधार किया जायेगा। योजना के अन्तर्गत क्षेत्र के निम्नकोटि के गोवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार हेतु पशुपालकों के द्वार पर एवं गौशालाओं मे ंपाले जा रहे पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। बुन्देलखण्ड के जनपदों यथा चित्रकूट एवं झांसी में क्रमशः 25000 एवं 19000 प्रजनन योग्य गोवंशीय मादा पशुओं के सापेक्ष वर्ष 2014-15 में क्रमशः 12500 एवं 9500 प्रजनन योग्य गोवंशीय मादा पशुओं को स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष कृत्रिम गर्भाधान किया जायेगा। कृत्रिम गर्भाधान कार्य हेतु विभागीय केन्द्रों, पैरावेट्स एवं बायफ सेंटर को निर्धारित शुल्क 40.00 रुपये प्रति कृत्रिम गर्भाधान योजना द्वारा वहन किया जायेगा। उक्त के अतिरिक्त जो भी व्यय होगा वह पशुपालन विभाग, बायफ एवं पैरावेट्स अपने उपलब्ध संसाधनों से कार्य करेंगे। इसके साथ ही हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। योजना का उद्देश्य पशुपालकों/गौशालाओं को ऐसे हरे चारे को बोने के लिए प्रोत्साहित करना है जिसकी उपलब्धता वर्ष भर बनी रहे, जिसके अन्तर्गत पशुओं को वर्ष भर पौष्टिक हरे चारे की उपलब्धता हेतु निम्न कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना है। क्षेत्र की गौशालाओं (चित्रकूट-04 एवं झांसी-05) की खाली भूमि पर हरे चारे की पूर्ति हेतु चारा बीज किट्स उपलब्ध करायी जायेगी। हरे चारे की पूर्ति हेतु पशुपालकों को चारा बीज की मिनीकिट निःशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी। वर्ष 2014-15 में चारा बीज का क्रय ऋतु के अनुसार स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष राजकीय कृषि प्रक्षेत्र से किया जायेगा, अनुपलब्धता की दशा मे ंपंजीकृत/मान्यता प्राप्त फर्मों से उन्नत प्रजाति के चारा बीजों को क्रय किया जायेगा। ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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