उ0प्र0 सरकार ने मत्स्य पालकों/मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को मत्स्य विकास हेतु संचालित किये जा रहे कल्याणकारी कार्यक्रमों/योजनाओं का सीधा लाभ दिलाने के लिए पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित की है। उपलब्ध जल संसाधनों का मत्स्य विकास हेतु उपयोग, मत्स्य उत्पादन में वृद्धि, मत्स्य बीजों का संचय, बिक्री, उत्पादन, मत्स्य क्षेत्रों में रोजगार सृजन, उत्तम प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार की उपलब्धता तथा मछुआ कल्याणकारी कार्यक्रमों का सफल संचालन शासन द्वारा किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने मत्स्य पालन, विकास, व्यवसाय से जुड़े मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को मछुआ दुर्घटना बीमा योजना का लाभ योजना के अन्तर्गत पंजीकृत मछुआ सहायता समिति के सदस्य एवं व्यक्तियों की दुर्घटनावश अथवा पूर्णरूप से घायल/ अक्षम/मृत्यु होने की दशा में 1,00,000 रु0 तथा आंशिक रूप से एवं स्थाई अक्षमता की स्थिति में 50,000 रु0 की बीमा धनराशि भुगतान किये जाने की व्यवस्था है। दुर्घटना प्राकृतिक अथवा नदी, तालाब में डूबने, आकस्मिक बिजली गिरने, आंधी तूफान, मकान, पेड़ गिरने से दबकर मृत्यु होने, अग्निकांड या संक्रामक बीमारी, लकवाग्रस्त होने पर सड़क दुर्घटना अथवा अन्य किसी प्रकार की दुर्घटना संघर्ष अथवा हत्या होने की दशा में मृत्यु अथवा घायल होने पर पीडि़त को मछुआ दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिलेगा।
शासन द्वारा राष्ट्रीय मछुआ कल्याण योजना के अन्तर्गत मछुआ आवास योजना संचालित की गई है। इसमें भी पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों जो आवास विहीन और निर्धन है उनको मछुआ आवास पक्का बनवाने के लिए प्रति आवास निर्माण हेतु 50,000 रु0 की दर से शतप्रतिशत अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत मछुआ बाहुल्य ग्रामों में न्यूनतम 10 मछुआ आवासों का निर्माण कराये जाने का प्राविधान है। योजनान्तर्गत लाभार्थी स्वयं अपनी भूमि पर मछुआ आवास का निर्माण करा सकते है।
नदियों में मत्स्य अगुलिका का संचय (रिवर रैचिंग) की योजना के अन्तर्गत नदियों में प्राकृतिक मत्स्य सम्पदा संरक्षण, संवर्धन एवं पालन हेतु प्रदेश की प्रमुख नदियों में चिन्हित स्थलों पर भारतीय मेजर कार्प रोहू, मांगुर तथा नैना के बड़े आकार के मत्स्य बीजों का संचय कराकर प्राकृतिक मत्स्य सम्पदा का संरक्षण किया जाता है। अब तक प्रदेश की प्रमुख नदियों गंगा, यमुना, राप्ती, घाघरा एवं गोमती में इस कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
राज्य पोषित योजनाओं में मोबाइल फिश पार्लर योजना के अन्तर्गत प्रदेश के प्रमुख शहरों में मोबाइल फिश पार्लर की स्थापना कराई जा रही है।। इस योजना में मछलियों से बने विभिन्न व्यजनों को तैयार करके जनसामान्य तक पहुचानें के उद्देश्य से निजी क्षेत्र में मोबाइल फिश पार्लर की स्थापना की गई है। एक फिश पार्लर की इकाई लागत 5.50 लाख रु0 निर्धारित है। जिसमें लाभार्थियों को पूर्व में 30 प्रतिशत की दर से 1.65 लाख रु0 अनुदान सुविधा प्रदान की जाती थी लेकिन उ0प्र0 सरकार ने अब कुल लागत का 50 प्रतिशत अंश अनुदान दिए जाने की सुविधा प्रदत्त कर दी है। अतएवं फिश पार्लर लाभार्थी को अब 2.75 रु0 का अनुदान मिलेगा और 2.75 लाखरु0 लाभार्थी को स्वयं वहन करना होगा।
जल प्लावित क्षेत्रों में मत्स्य पालन विविधीकरण की योजना के अन्तर्गत कृषि हेतु अनुपयुक्त जल प्लावित भूमि को तालाब के रूप में विकसित करके मत्स्य पालन के अन्तर्गत आच्छादित किया जाता है। योजना की इकाई लागत 1.25 लाख रु0 प्रति हेक्टेयर निर्धारित है जिससे सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को 80 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को 90 प्रतिशत अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
महाझींगा पालन की योजना के अन्तर्गत मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि तथा जनसामान्य को महाझींगा के रूप में उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए मत्स्य पालन विविधिकरण के अन्तर्गत प्रदेश के मीठे जल में महाझींगा पालन को बढ़ावा दिये जाने हेतु योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत 1/2 हेक्टेयर जल क्षेत्र की एक इकाई के लिए महाझींगा के आयातित बीज एवं आहार की कुल लागत 50,000 रु0 प्रति मत्स्य पालक को प्रोत्साहन स्वरूप 50 प्रतिशत अनुदान देने की सुविधा प्रदत्त की जाती है। फिश फीड मिल की स्थापना हेतु परियोजना की प्रतियूनिट 10 लाख रु0 लागत में 50 प्रतिशत की दर से पांच लाख रु0 अनुदान लाभार्थी को दिये जाने की व्यवस्था है।
मत्स्य पालकों/मत्स्य विकास/संचय, संवर्धन तथा मत्स्य व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों एवं मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को योजनाओं/कार्यक्रमों की अधिक जानकारी करने के लिए उ0प्र0 मत्स्य निदेशालय, लखनऊ उ0प्र0 मत्स्य विकास निगम तथा जनपदों के जिला मत्स्य विकास अभिकरणों से सम्पर्क करके जानकारी मिल सकेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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