विकास क्षेत्र के गाॅवों में मनरेगा योजना बंदरबांट का जरिया बनी है। समरथपुर गाॅव में मनरेगा कार्यो में जमकर धांधली से प्रभावित विकास कार्य को लेकर ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बतातें चलें कि मनरेगा योजना के माध्यम से गाॅवों में विकास की सरकारी योजना बंदरबांट के चलते कागजी बनकर रह जा रही है। कागज में बड़े-बड़े कार्यो को दर्शाकर हुए भुगतान के बाद भी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही बयां हो रही है। विकास खण्ड समरथपुर गाॅव को ही अगर बात करें तो लाखों खर्च के बाद भी विकास की स्थिति जहां की तहां बनी हुयी है। रक्षक से भक्षक बने सरकारी कमचारी मध्यस्थ बनकर उच्चाधिकारियों को बंदरबांट में सरीक कर काले कारनामों पर परदा डालने का काम कर रहे है। विकास के पैसों से गाॅव का विकास भले न हुआ हो, परन्तु ग्राम प्रधान के विकास की चर्चा गली चैराहों पर आम है। सूत्रों की मानें तो सत्ता पक्ष से नजदीकी के चलते अधिकारी और कर्मचारी भी हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। ग्रामीणों का आक्रोश यह है कि पारदर्शिता कायम रखने के लिए गाॅवों में नियुक्त मनरेगा कर्मियों पर हो रहा भारी भरकम व्यय अनावश्यक साबित हो रहा है। विकास की यह हकीकत वानगीभर है। यही हाल लगभग दर्जनभर गाॅवों का है जहंा मनरेगा के नामपर जमकर धांधली के बाद भी महकमा जाॅच की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।
बाक्स में डालें-
जब इस बावत मुख्य विकास अधिकारी श्रीकान्त मिश्र से बात की गयी तो उन्होंने मनरेगा में धांधली की शिकायत होने पर कड़ी कार्यवाही की बात कही। ज्यादा खर्च करने वाले गाॅवों को चिन्हित कर कार्याे का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। अगर खामियां उजागर हुई तो कार्यवाही जरूर होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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